कोटा. जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. मंगलवार को भी 15 नए केस सामने आए हैं, इसके बाद इस सीजन में अब तक 292 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं. इनमें सर्वाधिक मामले जुलाई और अगस्त में ही सामने आए हैं. इसके साथ ही दो डेंगू संदिग्ध मरीजों की मौत भी होना सामने आया है. दोनों ही मरीज डेंगू का उपचार करवाने के लिए निजी अस्पताल में भर्ती हुए थे, हालांकि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जगदीश सोनी ने दोनों ही केस की पुष्टि नहीं की है.
नहीं हुई डेंगू से कोई मौत : डॉ. जगदीश सोनी का कहना है कि मंगलवार तक 292 डेंगू के मरीजों की पुष्टि एलिसा के जरिए हुई है. इस टेस्ट में पॉजिटिव आने वाले मरीजों को ही सरकार डेंगू संक्रमित मानती है. ऐसे में उन्हें किसी भी अस्पताल से ऐसे मरीज की मौत की सूचना नहीं दी गई है. उनका कहना है कि कोटा जिले में अभी तक डेंगू से कोई भी मौत नहीं हुई है.
अब तक चार की मौत : बता दें कि सरकार डेंगू संक्रमण पता करने के लिए एलिसा टेस्ट को ही मानती है, जबकि अस्पतालों में डेंगू संदिग्ध मरीज भी भर्ती हो रहे हैं, जिनके कार्ड टेस्ट में डेंगू पॉजिटिव आ रहा है, लेकिन सरकार उन्हें कन्फर्म नहीं मानती है. कोटा में अब तक डेंगू संदिग्ध के रूप में चार लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें दो की मौत मंगलवार को हुई है. डेंगू संदिग्ध मृतकों में इंद्रविहार निवासी 30 वर्षीय युवक और केशवपुरा निवासी 12 वर्षीय बालक शामिल है. इससे पहले 17 अगस्त को तलवंडी निवासी महिला और 22 अगस्त को रंगबाड़ी निवासी युवक की डेंगू संदिग्ध मौत हुई थी.
मौसमी बीमारियों में केवल एक मौत का आंकड़ा : डॉक्टर सोनी का कहना है कि कोटा जिले में मौसमी बीमारी के चलते 17 अगस्त को एक महिला की मौत हुई थी. इसकी डेथ ऑडिट करवाई गई थी, जिसमें पुष्टि होने के बाद इसे स्क्रब टाइफस से मौत की सूची में जोड़ा गया है. यह 29 वर्षीय प्रसूता थी, जिसे डिलीवरी के बाद दम तोड़ दिया था. उसका बच्चा स्वस्थ है. महिला मूल रूप से पीपल्दा की रहने वाली थी, जो 6 अगस्त को बीमार हुई थी. उसके परिजन बारां में उसे उपचार के लिए ले गए थे, जहां से उसे कोटा के जेके लोन अस्पताल रेफर कर दिया था. वह गर्भवती थी इसी दौरान उसका प्रसव भी हो गया. वह स्क्रब टाइफस पॉजिटिव पाई गई थी. इसके बाद उसने 17 अगस्त को दम तोड़ दिया था.