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SPECIAL: कोरोना संकट की भेंट चढ़ा रक्षाबंधन का त्योहार, बाजारों से रौनक गायब

उत्तर भारत के बड़े पर्वों में से एक रक्षाबंधन का त्योहार इस बार कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गया है. इस बार रक्षाबंधन का त्योहार को सिर्फ दो दिन बचे हैं. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के चलते राखी की दुकानों पर सन्नाटा पसरा है. खरीदारी नहीं होने से दुकानदारों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई हैं.

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बाजारों में से रौनक हुई गायब
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Published : Aug 2, 2020, 9:17 PM IST

करौली. भाई बहन के पवित्र प्रेम और विश्वास के प्रतीक रक्षाबंधन पर्व को मात्र दो दिन शेष हैं. लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते अभी तक राखी की चमक बाजारों में नहीं बिखर पा रही है. दूसरी ओर भारत-चीन सीमा विवाद के बाद लोगों में चीन के प्रति गुस्सा है.

इसके चलते इस बार चाइनीज राखियां भी बाजारों से गायब हैं. दुकानदारों ने अबकी देशी राखियों को तवज्जों देना शुरू किया है. वहीं बहनों को भी स्वदेशी राखियां ज्यादा भा रही हैं. हर साल जहां बाजार में 70 से 80 फीसदी तक चाइनीज राखियों का कब्जा होता था. वहीं इस बार दुकानदारों ने चाइनीज माल से तौबा कर ली है. कुछ एक दुकानों पर पिछले वर्ष का बचा खुचा माल व्यापारी बेच रहे है. लेकिन इस बार जो नाममात्र के ग्राहक आ रहे हैं, उनमें ज्यादातर स्वदेशी राखी की डिमांड है.

कोरोना संकट की भेंट चढ़ा रक्षाबंधन का त्यौहार

बाजार में सिर्फ एक चौथाई राखियों की हुई बिक्री

भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन 3 अगस्त को हैं. इस दिन सावन महीने का अंतिम सोमवार भी पड़ेगा. पूर्व में जहां रक्षाबंधन से मिठाई-फल और राखियों की दुकानें बाजार में सजी रहती थी और लोगों की भीड़ उमड़ा करती थी. रक्षाबंधन त्योहार से पांच दिन पहले ही लोग खरीदारी के लिए बाजारों में पहुंचना शुरू कर देते थे, लेकिन इस बार कोरोना के खौफ के कारण लोग घरों से नहीं निकल पा रहे हैं, जिसके कारण राखियां भी नहीं बिक पा रही है.

पढ़ेंः श्रीगंगानगर: रक्षाबंधन पर कोरोना की मार, दुकानों पर राखी लेने नहीं पहुंच रहे खरीददार

ईटीवी भारत की टीम ने जब बाजार में राखी बेचने वाले दुकानदारों से राखी की बिक्री को लेकर बातचीत की तो दुकानदारों ने उदास मन से कहा कि इस बार कोरोना के चलते रक्षाबंधन के त्योहार पर राखियों की बिक्री फीकी है. महिलाएं जहां पूर्व में रक्षाबंधन का त्यौहार आते ही बाजारों में खरीदारी के लिए झुंड बनाकर आती थी और बाजारों में राखियों की दुकानों से जमकर खरीदारी करती थी. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते और सरकारी गाइडलाइन की पालना करने के कारण राखियों की खरीदारी के लिए घरों से नहीं निकल रही है.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ः कपासन में कोरोना के चलते बाजारों में फीकी पड़ी राखी की रंगत...

क्योंकि कोरोना के प्रकोप के चलते बाजार सूने पड़े हैं. दुकानदारों ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन पर राखियों की बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में एक चौथाई रह गई है. लोग खरीदारी के लिए रुचि नहीं दिखा रहे हैं. दूसरी बात इस बार बाजार में चाइनीज राखिया लुप्त हो चुकी है. पहले में चलने वाली धागे की राखिया ही बिक्री के लिए देखने को मिल रही है.

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बाजारों में से रौनक हुई गायब

यह है राखियों के भाव

राखी विक्रेताओं ने बताया कि इस बार माल की आवक कम होने के कारण पिछले साल के बचे हुए माल की बिक्री हो रही है. जिसका 30 से 40 प्रतिशत भाव बढ़कर आ रहा है. बाजार में इस बार राखियों की बिक्री कम है. लेकिन जो भी बिक्री हो रही है. उसमें छोटे बच्चों की राखियां ज्यादा बिक रही हैं. बाजार मे ज्यादातर दुकानों पर 10 रुपये से लेकर 250 रुपये तक की राखियां है और कुछ दुकानों पर 300-500 रुपये की राखियां है. जिसमें बच्चों के लिए मिक्की माउस, छोटा भीम, फैंसी स्टोन वाली, लाइट वाली राखी वहीं डोरी वाली राखी, फैंसी नग वाली, रुद्राक्ष और श्रवन सोना जैसी कई राखियां बाजार में बिक रही है.

करौली. भाई बहन के पवित्र प्रेम और विश्वास के प्रतीक रक्षाबंधन पर्व को मात्र दो दिन शेष हैं. लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते अभी तक राखी की चमक बाजारों में नहीं बिखर पा रही है. दूसरी ओर भारत-चीन सीमा विवाद के बाद लोगों में चीन के प्रति गुस्सा है.

इसके चलते इस बार चाइनीज राखियां भी बाजारों से गायब हैं. दुकानदारों ने अबकी देशी राखियों को तवज्जों देना शुरू किया है. वहीं बहनों को भी स्वदेशी राखियां ज्यादा भा रही हैं. हर साल जहां बाजार में 70 से 80 फीसदी तक चाइनीज राखियों का कब्जा होता था. वहीं इस बार दुकानदारों ने चाइनीज माल से तौबा कर ली है. कुछ एक दुकानों पर पिछले वर्ष का बचा खुचा माल व्यापारी बेच रहे है. लेकिन इस बार जो नाममात्र के ग्राहक आ रहे हैं, उनमें ज्यादातर स्वदेशी राखी की डिमांड है.

कोरोना संकट की भेंट चढ़ा रक्षाबंधन का त्यौहार

बाजार में सिर्फ एक चौथाई राखियों की हुई बिक्री

भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन 3 अगस्त को हैं. इस दिन सावन महीने का अंतिम सोमवार भी पड़ेगा. पूर्व में जहां रक्षाबंधन से मिठाई-फल और राखियों की दुकानें बाजार में सजी रहती थी और लोगों की भीड़ उमड़ा करती थी. रक्षाबंधन त्योहार से पांच दिन पहले ही लोग खरीदारी के लिए बाजारों में पहुंचना शुरू कर देते थे, लेकिन इस बार कोरोना के खौफ के कारण लोग घरों से नहीं निकल पा रहे हैं, जिसके कारण राखियां भी नहीं बिक पा रही है.

पढ़ेंः श्रीगंगानगर: रक्षाबंधन पर कोरोना की मार, दुकानों पर राखी लेने नहीं पहुंच रहे खरीददार

ईटीवी भारत की टीम ने जब बाजार में राखी बेचने वाले दुकानदारों से राखी की बिक्री को लेकर बातचीत की तो दुकानदारों ने उदास मन से कहा कि इस बार कोरोना के चलते रक्षाबंधन के त्योहार पर राखियों की बिक्री फीकी है. महिलाएं जहां पूर्व में रक्षाबंधन का त्यौहार आते ही बाजारों में खरीदारी के लिए झुंड बनाकर आती थी और बाजारों में राखियों की दुकानों से जमकर खरीदारी करती थी. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते और सरकारी गाइडलाइन की पालना करने के कारण राखियों की खरीदारी के लिए घरों से नहीं निकल रही है.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ः कपासन में कोरोना के चलते बाजारों में फीकी पड़ी राखी की रंगत...

क्योंकि कोरोना के प्रकोप के चलते बाजार सूने पड़े हैं. दुकानदारों ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन पर राखियों की बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में एक चौथाई रह गई है. लोग खरीदारी के लिए रुचि नहीं दिखा रहे हैं. दूसरी बात इस बार बाजार में चाइनीज राखिया लुप्त हो चुकी है. पहले में चलने वाली धागे की राखिया ही बिक्री के लिए देखने को मिल रही है.

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बाजारों में से रौनक हुई गायब

यह है राखियों के भाव

राखी विक्रेताओं ने बताया कि इस बार माल की आवक कम होने के कारण पिछले साल के बचे हुए माल की बिक्री हो रही है. जिसका 30 से 40 प्रतिशत भाव बढ़कर आ रहा है. बाजार में इस बार राखियों की बिक्री कम है. लेकिन जो भी बिक्री हो रही है. उसमें छोटे बच्चों की राखियां ज्यादा बिक रही हैं. बाजार मे ज्यादातर दुकानों पर 10 रुपये से लेकर 250 रुपये तक की राखियां है और कुछ दुकानों पर 300-500 रुपये की राखियां है. जिसमें बच्चों के लिए मिक्की माउस, छोटा भीम, फैंसी स्टोन वाली, लाइट वाली राखी वहीं डोरी वाली राखी, फैंसी नग वाली, रुद्राक्ष और श्रवन सोना जैसी कई राखियां बाजार में बिक रही है.

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