करौली. क्षेत्र के किसानों पर मौसम ने एक बार फिर से कहर बरपा दिया है. चार दिनों से लगातार पड़ रहे शीतलहर के प्रकोप बढ़ने के साथ ही गलन वाली ठंड से सरसों की फसल में असर दिखाई देने लगा है. ठंड के कारण सभी फसलें बरबाद हो रही है. इन दिनों किसानों की खड़ी सरसों की फसल में बूंद की सफेद चादर छा गई है. जिससे सरसों की फसल के फूल में सफेदी छाने और गलने के साथ ही फूल मुरझाने से किसान चिंतित बना हुआ है. वहीं ठंड का जोर आंशिक रूप से कम तो हुआ है, लेकिन पाला पड़ने की संभावना लगातार बनी रहने से किसानों की चिंता बढ़ रही है.
किसानों ने बताया कि किसानों के ऊपर प्रकृति की वक्र दृष्टि चल रही हैं. तेज सर्दी पड़ने से सरसों की फसले रसातलीय झांकने लगने के साथ पौधै मुरझा रहे है. अगर एक-दो दिन तक इसी तरह गलन और शीतलहर बनी रही तो सरसों की फसल में भारी नुकसान होने की आशंका बन जाएगी. किसानों ने कहा कि मौसम इन दिनों तेज शीतलहर का कहर इन दिनों बरपा रही है, जिससे किसान मायूस बना हुआ है. माथे पर चिंता की लकीरें सता रही हैं.
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कृषि अधिकारियों के अनुसार पौधे में विद्यमान तरल पदार्थ पाला पड़ने से बर्फ में बदल जाता है और धूप खिलने पर वह फिर से अपने तरल अवस्था में आ जाता है, तो उसका आयतन बढ़ जाता है. आयतन बढ़ने से पौधे की कोशिकाएं फट जाती हैं और पौधा नष्ट हो जाता है. विश्लेषकों का मानना है कि सिंचाई के साथ ही व्यापारिक गंधक के अम्ल का स्प्रे फसलों में किया जाए तो पारा गिरने से फसल की कुछ सुरक्षा संभव है.
इसके साथ ही बताया कि सर्दी के मौसम में उगाई जाने वाली अधिकांश फसलें सर्दियों में पड़ने वाले पाले और सर्दी से प्रभावित होती है. सब्जी और फल इस पाले के प्रति संवेदनशील होते है. जबकि खाद्यान्न फसलें अपेक्षाकृत कम प्रभावित होती है. इसी कारण पाला पड़ने से सरसों और चने की फसलों को आंशिक या पूर्ण रूप से हानि पहुंचती है.