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शीतलहर का प्रकोप: करौली के ग्रामीण इलाकों में पाला पड़ने से खड़ी फसलें खराब, किसान चिंतित

करौली के ग्रामीण इलाकों मे बीते दिनों से लगातार पड़ रही शीतलहर के प्रकोप बढ़ने के साथ ही गलन वाली ठंड से सरसों की फसल में असर दिखाई देने लगा है. ठंड के कारण खेतों में लगभग सभी फसलें बर्बादी के कगार पर पहुंच गई हैं. इन दिनों किसानों की खड़ी सरसों की फसल में बूंद की सफेद चादर छा गई है. सरसों की फसल के फूल में सफेदी छाने और गलने के साथ ही फूल मुरझाने से किसान चिंतित बना हुआ है.

Karauli news, करौली की खबर
पाला पड़ने से खड़ी फसलें हुई खराब
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Published : Jan 11, 2020, 8:22 PM IST

करौली. क्षेत्र के किसानों पर मौसम ने एक बार फिर से कहर बरपा दिया है. चार दिनों से लगातार पड़ रहे शीतलहर के प्रकोप बढ़ने के साथ ही गलन वाली ठंड से सरसों की फसल में असर दिखाई देने लगा है. ठंड के कारण सभी फसलें बरबाद हो रही है. इन दिनों किसानों की खड़ी सरसों की फसल में बूंद की सफेद चादर छा गई है. जिससे सरसों की फसल के फूल में सफेदी छाने और गलने के साथ ही फूल मुरझाने से किसान चिंतित बना हुआ है. वहीं ठंड का जोर आंशिक रूप से कम तो हुआ है, लेकिन पाला पड़ने की संभावना लगातार बनी रहने से किसानों की चिंता बढ़ रही है.

पाला पड़ने से खड़ी फसलें हुई खराब

किसानों ने बताया कि किसानों के ऊपर प्रकृति की वक्र दृष्टि चल रही हैं. तेज सर्दी पड़ने से सरसों की फसले रसातलीय झांकने लगने के साथ पौधै मुरझा रहे है. अगर एक-दो दिन तक इसी तरह गलन और शीतलहर बनी रही तो सरसों की फसल में भारी नुकसान होने की आशंका बन जाएगी. किसानों ने कहा कि मौसम इन दिनों तेज शीतलहर का कहर इन दिनों बरपा रही है, जिससे किसान मायूस बना हुआ है. माथे पर चिंता की लकीरें सता रही हैं.

पढ़ें- करौलीः CAA को लेकर जन जागरण रैली का आयोजन, लोगों को किया जागरूक

कृषि अधिकारियों के अनुसार पौधे में विद्यमान तरल पदार्थ पाला पड़ने से बर्फ में बदल जाता है और धूप खिलने पर वह फिर से अपने तरल अवस्था में आ जाता है, तो उसका आयतन बढ़ जाता है. आयतन बढ़ने से पौधे की कोशिकाएं फट जाती हैं और पौधा नष्ट हो जाता है. विश्लेषकों का मानना है कि सिंचाई के साथ ही व्यापारिक गंधक के अम्ल का स्प्रे फसलों में किया जाए तो पारा गिरने से फसल की कुछ सुरक्षा संभव है.

पढ़ें- छात्राओं में आत्मविश्वास पैदा करने के लिए पुलिस ने लगाया महिला शक्ति आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर

इसके साथ ही बताया कि सर्दी के मौसम में उगाई जाने वाली अधिकांश फसलें सर्दियों में पड़ने वाले पाले और सर्दी से प्रभावित होती है. सब्जी और फल इस पाले के प्रति संवेदनशील होते है. जबकि खाद्यान्न फसलें अपेक्षाकृत कम प्रभावित होती है. इसी कारण पाला पड़ने से सरसों और चने की फसलों को आंशिक या पूर्ण रूप से हानि पहुंचती है.

करौली. क्षेत्र के किसानों पर मौसम ने एक बार फिर से कहर बरपा दिया है. चार दिनों से लगातार पड़ रहे शीतलहर के प्रकोप बढ़ने के साथ ही गलन वाली ठंड से सरसों की फसल में असर दिखाई देने लगा है. ठंड के कारण सभी फसलें बरबाद हो रही है. इन दिनों किसानों की खड़ी सरसों की फसल में बूंद की सफेद चादर छा गई है. जिससे सरसों की फसल के फूल में सफेदी छाने और गलने के साथ ही फूल मुरझाने से किसान चिंतित बना हुआ है. वहीं ठंड का जोर आंशिक रूप से कम तो हुआ है, लेकिन पाला पड़ने की संभावना लगातार बनी रहने से किसानों की चिंता बढ़ रही है.

पाला पड़ने से खड़ी फसलें हुई खराब

किसानों ने बताया कि किसानों के ऊपर प्रकृति की वक्र दृष्टि चल रही हैं. तेज सर्दी पड़ने से सरसों की फसले रसातलीय झांकने लगने के साथ पौधै मुरझा रहे है. अगर एक-दो दिन तक इसी तरह गलन और शीतलहर बनी रही तो सरसों की फसल में भारी नुकसान होने की आशंका बन जाएगी. किसानों ने कहा कि मौसम इन दिनों तेज शीतलहर का कहर इन दिनों बरपा रही है, जिससे किसान मायूस बना हुआ है. माथे पर चिंता की लकीरें सता रही हैं.

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कृषि अधिकारियों के अनुसार पौधे में विद्यमान तरल पदार्थ पाला पड़ने से बर्फ में बदल जाता है और धूप खिलने पर वह फिर से अपने तरल अवस्था में आ जाता है, तो उसका आयतन बढ़ जाता है. आयतन बढ़ने से पौधे की कोशिकाएं फट जाती हैं और पौधा नष्ट हो जाता है. विश्लेषकों का मानना है कि सिंचाई के साथ ही व्यापारिक गंधक के अम्ल का स्प्रे फसलों में किया जाए तो पारा गिरने से फसल की कुछ सुरक्षा संभव है.

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इसके साथ ही बताया कि सर्दी के मौसम में उगाई जाने वाली अधिकांश फसलें सर्दियों में पड़ने वाले पाले और सर्दी से प्रभावित होती है. सब्जी और फल इस पाले के प्रति संवेदनशील होते है. जबकि खाद्यान्न फसलें अपेक्षाकृत कम प्रभावित होती है. इसी कारण पाला पड़ने से सरसों और चने की फसलों को आंशिक या पूर्ण रूप से हानि पहुंचती है.

Intro:जिले के ग्रामीण इलाकों मे बीते दिनों से लगातार पड़ रही शीतलहर के प्रकोप बढ़ने के साथ ही गलतवाली ठंडक से सरसों की फसल में असर दिखाई देने लगा है.ठंड के कारण खेतों में फसलें बर्बादी के कगार पर पहुंच गई हैं. इन दिनों किसानों की खड़ी सरसों की फसल में बूंद की सफेद चादर छा गई है. सरसों की फसल के फूल में सफेदी छाने व गलने के साथ ही फूल मुरझाने से किसान चिंतित बना हुआ है.


Body:पाला पड़ने से किसानों की बढ़ी चिंता,किसान हुआ चिंतित,

करौली

करौली क्षेत्र के किसानों पर मौसम ने एक बार फिर कहर बरपा दिया है. चार दिनों से लगातार पड़ रहे शीतलहर के प्रकोप बढ़ने के साथ ही गलनवाली ठंडक से सरसों की फसल में असर दिखाई देने लगा है. ठंड के कारण खेतों में फसलें बर्बादी के कगार पर पहुंच गई हैं. इन दिनों किसानों की खड़ी सरसों की फसल में बूंद की सफेद चादर छा गई है. सरसों की फसल के फूल में सफेदी छाने व गलने के साथ ही फूल मुरझाने से किसान चिंतित बना हुआ है. ठंड का जोर आंशिक रूप से कम तो हुआ है. लेकिन पाला पड़ने की संभावना लगातार बनी रहने से किसानों की चिंता बढ़ रही है. किसानों ने बताया की किसानों के ऊपर प्रकृति की वक्र दृष्टि चल रही हैं. तेज सर्दी पडने से सरसों की फसले रसातलीय झांकने लगने के साथ पौधै मुरझा रहे है. अगर एक-दो दिन तक इसी तरह गलन और शीतलहर बनी रही तो सरसों की फसल में भारी नुकसान होने की आशंका बन जाएगी. किसानों ने कहा कि तेज शीतलहर का कहर इन दिनों बरपा रही है.जिससे किसान मायूस बना हुआ है. माथे पर चिंता की लकीरें सता रही हैं.कृषि अधिकारियों के अनुसार पौधे में विद्यमान तरल पदार्थ पारा पड़ने से बर्फ में बदल जाता है. और धूप खिलने पर वह पुनः अपने तरल अवस्था में आता है. तो उसका आयतन बढ़ जाता है. आयतन बढ़ने से पौधे की कोशिकाएं फट जाती हैं और पौधा नष्ट हो जाता है. विश्लेषकों का मानना है की सिंचाई के साथ व्यापारिक गंधक के अम्ल का स्प्रे फसलों में किया जाए तो पारा गिरने से फसल की कुछ सुरक्षा संभव है.सर्दी के मौसम में उगाई जाने वाली अधिकांश फसलें सर्दियों में पड़ने वाले पाले एवं सर्दी से प्रभावित होती है. सब्जी और फल इस पाले के प्रति संवेदनशील होते है. जबकि खाद्यान्न फसलें अपेक्षाकृत कम प्रभावित होती है. पाला पड़ने से सरसों एवं चने की फसलों को आंशिक या पूर्ण रूप से हानि पहुंचती है.

वाईट---किसान


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