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Special: करौली की 'गजक', इसके जायके की खुशबू महकती है विदेशों तक

करौली शहर की ख्याति प्राप्त गजक देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने स्वाद का डंका बजा रही है. अमेरिका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, रूस और सऊदी अरब में रह रहे लोगों को इन दिनों में यहां की गजक का बेसब्री से इंतजार रहता है.

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गजक के जायके की खुशबू महकती है विदेशों तक
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Published : Jan 2, 2020, 9:35 AM IST

करौली. शहर में गजक कई जगहों पर बनाई जाती है, लेकिन पुश्तैनी गजक बनाने वाले कारीगर गिनती के ही हैं. ये कारीगर अपने पुश्तैनी धंधे को बरकरार रखे हुए हैं. मुस्लिम हलवाई कारीगरों की बनाई गजक खस्ता और जायकेदार होती है.

कड़ी मेहनत से बनाई जाती है गजक...

पीढ़ियों से गजक का धंधा कर रहे कारीगरों ने बताया, कि गजक बनाने के लिए कड़ी मेहनत लगती है. पहले गुड़ की चाशनी बनाकर तैयार की जाती है, फिर उसमें साफ तिल और मेवा डाला जाता है. इसके बाद गजक की कुटाई की जाती है. ज्यादा कुटाई होने से गजक खस्ता हो जाती है और जायका भी बढ़ जाता है.

गजक के जायके की खुशबू महकती है विदेशों तक

कई वैरायटी की गजक...

करौली के कारीगर स्पेशल गजक, सुगर फ्री गजक मूंगफली की गजक सहित अलग-अलग स्वाद की गजक बनाकर तैयार करते हैं. कारीगर विशेष प्रकार की खस्ता गजक बनाने के लिए गजक को बार-बार कूट कर सूखा मेवा डालकर स्वाद बढ़ाते हैं. सुगर के रोगी भी करौली की खस्ता सुगर फ्री गजक का जायका ले रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: देश भर में घुल रही बूंदी के गुड़ की मिठास

गजक का पुश्तैनी धंधा...

गजक का पुश्तैनी धंधा कर रहे कारीगर पप्पू ने बताया, कि गजक बनाने का हुनर अपने दादा से सीखा. आज भी दादा के नाम की गजक जिले भर में ख्याती प्राप्त है. पुश्तैनी रूप से गजक का कारोबार कर रहे हफीज ने बताया, कि उन्हें अपनी गजक के प्रचार-प्रसार की जरूरत ही नहीं पड़ती. गजक सिर्फ नाम से बिकती है. बड़ी मेहनत से ग्राहकों का विश्वास हासिल करते हैं. हमारी मेहनत ही हमारा कारोबार है और इसे बरकरार रखने के लिए पीढ़ियों से कड़ी मेहनत करते हैं. यही वजह है, कि देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी करौली की गजक के स्वाद की चर्चा होती है, जिसके चलते करौली में गजक का कारोबार सर्दी के दिनों में परवान चढ़ता है.

डिमांड के साथ ही अलग-अलग दाम...

करौली की प्रसिद्ध मोला गजक भंडार के पप्पू ने बताया, कि जिस हिसाब से ग्राहकों की गजक की डिमांड रहती है. उस हिसाब से गजक के भाव भी अलग-अलग हैं. हमारी दुकान पर 240 से लेकर 300 रुपए किलो तक की भाव की गजक बेची जाती है, जिसमें स्पेशल गजक, शुगर फ्री गजक, मूंगफली की गजक, शाही गजक है. खास बात यह है, कि हमारी दुकान पर डायबिटीज के लोगों के लिए भी शुगर फ्री गजक मिलती है. जिसका भाव 300 रुपए किलो है.

करौली. शहर में गजक कई जगहों पर बनाई जाती है, लेकिन पुश्तैनी गजक बनाने वाले कारीगर गिनती के ही हैं. ये कारीगर अपने पुश्तैनी धंधे को बरकरार रखे हुए हैं. मुस्लिम हलवाई कारीगरों की बनाई गजक खस्ता और जायकेदार होती है.

कड़ी मेहनत से बनाई जाती है गजक...

पीढ़ियों से गजक का धंधा कर रहे कारीगरों ने बताया, कि गजक बनाने के लिए कड़ी मेहनत लगती है. पहले गुड़ की चाशनी बनाकर तैयार की जाती है, फिर उसमें साफ तिल और मेवा डाला जाता है. इसके बाद गजक की कुटाई की जाती है. ज्यादा कुटाई होने से गजक खस्ता हो जाती है और जायका भी बढ़ जाता है.

गजक के जायके की खुशबू महकती है विदेशों तक

कई वैरायटी की गजक...

करौली के कारीगर स्पेशल गजक, सुगर फ्री गजक मूंगफली की गजक सहित अलग-अलग स्वाद की गजक बनाकर तैयार करते हैं. कारीगर विशेष प्रकार की खस्ता गजक बनाने के लिए गजक को बार-बार कूट कर सूखा मेवा डालकर स्वाद बढ़ाते हैं. सुगर के रोगी भी करौली की खस्ता सुगर फ्री गजक का जायका ले रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: देश भर में घुल रही बूंदी के गुड़ की मिठास

गजक का पुश्तैनी धंधा...

गजक का पुश्तैनी धंधा कर रहे कारीगर पप्पू ने बताया, कि गजक बनाने का हुनर अपने दादा से सीखा. आज भी दादा के नाम की गजक जिले भर में ख्याती प्राप्त है. पुश्तैनी रूप से गजक का कारोबार कर रहे हफीज ने बताया, कि उन्हें अपनी गजक के प्रचार-प्रसार की जरूरत ही नहीं पड़ती. गजक सिर्फ नाम से बिकती है. बड़ी मेहनत से ग्राहकों का विश्वास हासिल करते हैं. हमारी मेहनत ही हमारा कारोबार है और इसे बरकरार रखने के लिए पीढ़ियों से कड़ी मेहनत करते हैं. यही वजह है, कि देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी करौली की गजक के स्वाद की चर्चा होती है, जिसके चलते करौली में गजक का कारोबार सर्दी के दिनों में परवान चढ़ता है.

डिमांड के साथ ही अलग-अलग दाम...

करौली की प्रसिद्ध मोला गजक भंडार के पप्पू ने बताया, कि जिस हिसाब से ग्राहकों की गजक की डिमांड रहती है. उस हिसाब से गजक के भाव भी अलग-अलग हैं. हमारी दुकान पर 240 से लेकर 300 रुपए किलो तक की भाव की गजक बेची जाती है, जिसमें स्पेशल गजक, शुगर फ्री गजक, मूंगफली की गजक, शाही गजक है. खास बात यह है, कि हमारी दुकान पर डायबिटीज के लोगों के लिए भी शुगर फ्री गजक मिलती है. जिसका भाव 300 रुपए किलो है.

Intro:करौली शहर की ख्याती प्राप्त गजक देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी अपने स्वाद का डंका बजा रही हैं.अमेरिका,पाकिस्तान, अफगानिस्तान, रूस सऊदी अरब मे बसे लोगों को इन दिनों में करौली की गजक का बेसव्री से इन्तजार रहता है.गजक का पुश्तैनी धंधा कर रहे कुशल कारीगर बडे ही परिश्रम से गजक बना कर लोगों का जायका बढा रहे हैं.


Body:साधना पान्डे सर्दी स्पेशल,

करौली की गजक ने विदेशों मे जमायी थाक.गुड तिली से बनी गजक का स्वाद सबसे निराला.पुश्तैनी कारीगरों द्वारा बनाई जाती है गजक,

करौली

करौली शहर में गजक वैसे तो कई जगहों पर बनाई जा रही है.लेकिन पुश्तैनी गजक बनाने वाले कारीगर गिनती के ही है जो अपने पुश्तैनी धंधें को बरकरार रखे हुए हैं.मुस्लिम हलवाई कारीगरों द्वारा बनाई गजकं एकदम से खस्ता और जायकेदार होती है.

पीडियों से गजक का धंधा कर रहे कारीगरो ने बताया की  गजक बनाने के लिए अथक मेहनत और परिश्रम की जरूरत होती है.जिसके लिये पहले गुड की चाशनी बना कर तैयार की जाती है.फिर उसमें साफ की गई तिली को डाल कर मेवा डाले जाते हैं. फिर गजक की कई बार कुटाई की जाती है.ज्यादा कुटाई होने से गजक एक दम से खस्ता हो जाती है और जायका भी बढ जाता है.कारीगर विशेष प्रकार की खस्ता गजक बनाने  के लिए गजक को बार बार कूट कर सूखे मेवा डालकर स्वाद बढाते हैं.इसके अलावा सुगर के रोगी भी करौली की खस्ता सुगर फ्री गजक का जायका ले रहे हैं.कारीगरों द्वारा गजक की कई तरह की वैरायटीयाॅ तैयार की जाती है.जिनमें स्पेशल गजक सुगर फ्री गजक मूगफली की गजक सहित बडे स्वाद की गजक बना कर तैयार करते हैं.फिर काॅच के शोकेस में सलीके से सजाकर ग्राहकों को विक्री के लिए तैयार रहते हैं.

गजक का पुश्तैनी धंधा कर रहे कारीगर पप्पू ने बताया की गजक बनाने का हुनर अपने दादा से सीखा आज भी दादा के नाम की गजक जिले भर में ख्याती प्राप्त है.पुश्तैनी रूप से गजक का कारोबार कर रहे हफीज ने बताया की उन्हे अपनी गजक के प्रचार प्रसार की जरूरत ही नहीं पडती हमारी गजक सिर्फ नाम से बिकती है.बडी मेहनत और माल डाल कर हम ग्राहकों  का विश्वास हासिल करते हैं.हमारी मेहनत ही हमारा कारोवार है.और इसे बरकरार रखने के लिए हम पीडियों से एक जैसा ही काम करते आ रहे है.देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी करौली की गजक ने स्वाद में अपना नाम कमाया है.जिसके परिणाम स्वरूप करौली में गजक का कारोवार सर्दी के दिनों में परवान चढता है.

गजक की डिमांड के साथ ही अलग अलग है भाव,

करौली की प्रसिद्ध मोला गजक भंडार के पप्पू ने बताया की जिस हिसाब से ग्राहकों की गजक की डिमांड रहती है.उस हिसाब से गजक के भाव भी अलग-अलग हैं. हमारी दुकान पर 240 से लेकर 300 किलो तक की भाव तक की गजक बेची जाती है. जिसमें स्पेशल गजक, शुगर फ्री गजक, मूंगफली की गजक, शाही गजक है, खास बात यह है कि हमारी दुकान पर डायबिटीज के लोगो के लिए भी शुगर फ्री गजक मिलती है. जिसका भाव 300 रुपए किलो है.


बाईट .पप्पू पुश्तैनी करीगर,

बाईट  .हफीज गजक कारीगर,

बाईट--रफीक गजक कारीगर,

बाईट--श्याम सुंदर ग्राहक,


Conclusion:
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