करौली. शहर में गजक कई जगहों पर बनाई जाती है, लेकिन पुश्तैनी गजक बनाने वाले कारीगर गिनती के ही हैं. ये कारीगर अपने पुश्तैनी धंधे को बरकरार रखे हुए हैं. मुस्लिम हलवाई कारीगरों की बनाई गजक खस्ता और जायकेदार होती है.
कड़ी मेहनत से बनाई जाती है गजक...
पीढ़ियों से गजक का धंधा कर रहे कारीगरों ने बताया, कि गजक बनाने के लिए कड़ी मेहनत लगती है. पहले गुड़ की चाशनी बनाकर तैयार की जाती है, फिर उसमें साफ तिल और मेवा डाला जाता है. इसके बाद गजक की कुटाई की जाती है. ज्यादा कुटाई होने से गजक खस्ता हो जाती है और जायका भी बढ़ जाता है.
कई वैरायटी की गजक...
करौली के कारीगर स्पेशल गजक, सुगर फ्री गजक मूंगफली की गजक सहित अलग-अलग स्वाद की गजक बनाकर तैयार करते हैं. कारीगर विशेष प्रकार की खस्ता गजक बनाने के लिए गजक को बार-बार कूट कर सूखा मेवा डालकर स्वाद बढ़ाते हैं. सुगर के रोगी भी करौली की खस्ता सुगर फ्री गजक का जायका ले रहे हैं.
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गजक का पुश्तैनी धंधा...
गजक का पुश्तैनी धंधा कर रहे कारीगर पप्पू ने बताया, कि गजक बनाने का हुनर अपने दादा से सीखा. आज भी दादा के नाम की गजक जिले भर में ख्याती प्राप्त है. पुश्तैनी रूप से गजक का कारोबार कर रहे हफीज ने बताया, कि उन्हें अपनी गजक के प्रचार-प्रसार की जरूरत ही नहीं पड़ती. गजक सिर्फ नाम से बिकती है. बड़ी मेहनत से ग्राहकों का विश्वास हासिल करते हैं. हमारी मेहनत ही हमारा कारोबार है और इसे बरकरार रखने के लिए पीढ़ियों से कड़ी मेहनत करते हैं. यही वजह है, कि देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी करौली की गजक के स्वाद की चर्चा होती है, जिसके चलते करौली में गजक का कारोबार सर्दी के दिनों में परवान चढ़ता है.
डिमांड के साथ ही अलग-अलग दाम...
करौली की प्रसिद्ध मोला गजक भंडार के पप्पू ने बताया, कि जिस हिसाब से ग्राहकों की गजक की डिमांड रहती है. उस हिसाब से गजक के भाव भी अलग-अलग हैं. हमारी दुकान पर 240 से लेकर 300 रुपए किलो तक की भाव की गजक बेची जाती है, जिसमें स्पेशल गजक, शुगर फ्री गजक, मूंगफली की गजक, शाही गजक है. खास बात यह है, कि हमारी दुकान पर डायबिटीज के लोगों के लिए भी शुगर फ्री गजक मिलती है. जिसका भाव 300 रुपए किलो है.