करौली. कोरोना वायरस के चलते सरकार की ओर से लॉकडाउन के आदेश जारी किए गए हैं. इसके चलते लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं. ऐसे में एक ओर कोरोना वायरस का बढ़ता संक्रमण और दूसरी ओर गर्मी का मौसम बेजुबान जानवरों के लिए भारी समस्या उत्पन्न कर रहा है. इस संकट की घड़ी में अब ये बेजुबान जानवर भूखे मरने के कगार पर आ गए हैं. ऐसे में मानवता की मिसाल पेश करते हुए करौली शहर के सामाजिक कार्यकर्ता धीरज शुक्ला आगे आए है, जो इनके लिए रोजाना खाने की व्यवस्था करते है.
बेजुबानों को तलाशकर देते है आहार
इस संकट की घड़ी में जहां इंसानों की व्यवस्था पूरी तरह से नहीं हो पा रही है. ऐसे में बेजुबान जानवरों के लिए करौली के धीरज शुक्ला की टीम आगे आई. बता दें कि ये टीम इन बेजुबानों की तलाश करके इन्हें खाने की खाद्य पदार्थ देते है.
बेजुबानों को भोजन कराना सबसे बड़ा धर्म
धीरज शुक्ला ने बताया कि बेजुबानों को भोजन कराने से बड़ा कोई भी धर्म नहीं है. कोराना संकट की इस घड़ी में जहां लोग फोन करके खाद्य सामग्री मंगवा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर यह बेजुबान सड़कों पर भूखे तड़प रहे हैं. ऐसे में करौली शहर के ही सामाजिक कार्यकर्ता भुवनेंद्र भारद्वाज और निजी स्कूल शिक्षक विपिन शुक्ला से प्रेरणा मिली, जिसके बाद प्रतिदिन सुबह भोर होते ही गाड़ी में केले, चपाती, चना, मटर आदि लेकर निकलते हैं.
इसके साथ ही धीरज ने बताया कि इन बेजुबान जानवरों के खाने का टेस्ट भी बदलता रहे, इसका भी खास ध्यान रखा जाता है, इसलिए प्रतिदिन मेन्यू भी चेंज किया जाता है. खास बात यह है कि यह सामाजिक कार्यकर्ता खुद ही अपने स्तर पर इन पशुओं की भोजन की व्यवस्था करते हैं. साथ ही स्वयं ही चपाती बनाकर ले जाते है और इन को तलाश कर इन्हें भोजन करवाते हैं. वहीं, उनकी टीम के सदस्य बालकृष्ण गोयल, सुनील तिवाड़ी आदि भी उनका सहयोग कर रहे हैं.