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स्पेशल स्टोरी: दिवाली में मात्र 4 दिन शेष, बाजारों में पसरा है सन्नाटा...

दीपावली के उत्सव में कुछ ही दिन शेष है लेकिन करौली के बाजार अभी भी सूने नजर आ रहे हैं. इस बार दिवाली पर सारी दुकानें फीकी पड़ी हुई हैं. इतना ही नहीं आर्थिक मंदी और ऑनलाइन शॅापिंग के चलते इन दिनों लोग खरीददारी करने के लिए ज्यादा संख्या में घरों से बाहर निकल नहीं रहे हैं. जो बाजार कभी त्योहारों में गुलजार रहते थे वो आज सूनसान नजर आ रहे हैं.

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Published : Oct 23, 2019, 1:48 PM IST

करौली. हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक दिवाली के मात्र 4 दिन बाकी है. साल भर से व्यापार के सफल होने का मौका देखने वाले व्यापारियों के लिए इस बार दीपावली पर मायूस नजर आ रहे हैं. ऑनलाइन खरीददारी के बढ़ते क्रेज के कारण दुकानदारों का काम ठप्प पड़ा हुआ है.

दिवली नजदीक, बाजारों में छाया सन्नाटा

बाजार में रौनक की कमी का मुख्य कारण है आर्थिक तंगी. जब जेब में पैसे ही नहीं हो तो कोई क्या खरीदे. आर्थिक तंगी के चलते बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे दुकानदार सुबह दुकान खोलकर कर शाम को वापस लौट जाते हैं. कई दुकानों की तो यह स्थिति है कि इनकी बोहनी भी नहीं हो पा रही है.

पढे़ं- स्पेशल रिपोर्ट: कोटा में स्थित नशा मुक्ति केंद्र 150 से अधिक लोगों के लिए बना वरदान, रोजाना 40 से 50 लोग उपचार के लिए आते हैं

स्टॅाक भरा पड़ा, खरीदने वाला कोई नहीं-

त्योहारी सीजन में व्यापारी काफी दिन पहले ही सामान का अधिक स्टॉक लेकर आ जाते हैं क्योकिं उन्हें इस बात की उम्मीद रहती है कि दीपावली के वक्त उनका बिजनेस अच्छा चलेगा. इससे वे अधिक मुनाफा कमा कर अपने परिवार की आर्थिक जरूरतें पूरी कर सकेंगे. यह आशा अब निराशा में बदलती जा रही है. माल का स्टॉक लेने के लिए व्यवसायियों ने बाजार से ब्याज पर रुपया उधार लिया हुआ है. इनका मानना है कि कोई ग्राहक वेराइटी की कमी के चलते खाली न लौट जाए इसलिए हम ऐसा करते हैं. दिवाली को हफ्ते भर से भी कम बचा है लेकिन इस बार बाजार में उल्टा ही नजारा देखने को मिल रहा है. जो बाजार नवरात्रि के आगमन के दिन से गुलजार हो जाया करते थे. इन दिनों आलम ये होता था कि शहर के बाजारों में पांव रखने तक की जगह नहीं रहती थी. अब ये खाली नजर आ रहे हैं.

पढे़ं- दीवाली स्पेशल: जोधपुर में पटाखा मिठाई की धूम, 1600 रुपए प्रति किलो है भाव

व्यापारियों का कहना है कि पहले नोटबंदी उसके बाद जीएसटी फिर अब आर्थिक मंदी ने पूरे देश के साथ-साथ शहर के व्यापार की अर्थव्यवस्था को उलट-पुलट कर रख दिया है. हमारे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की दुकानों पर दशहरे के पहले से भारी भीड़ आसानी से देखी जाती थी, लेकिन इस वक्त काफी मंदी का दौर चल रहा है. सभी दुकानदार अपनी दुकानों पर ग्राहकों का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं.

ऑनलाइन बाजार ने किया धंधा चौपट

दिवाली के सीजन से व्यपारियों को बहुत सारी उम्मीदें जुड़ी होती है. सारे व्यापारी काफी दिनों पहले ही अपने-अपने संस्थानों में माल का अधिक स्टॉक लेकर आ जाते हैं, कई दुकानदारों ने तो ब्याज पर पैसा लेकर दुकानों का सामान खरीदा है. अब उनको मुनाफा तो दूर, ब्याज तक भरने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऑनलाइन खरीददारी के बढ़ते क्रेज ने इनके धंधे को चौपट कर दिया है. इससे इन बाजारों की रौनक गायब हो चुकी है.

करौली. हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक दिवाली के मात्र 4 दिन बाकी है. साल भर से व्यापार के सफल होने का मौका देखने वाले व्यापारियों के लिए इस बार दीपावली पर मायूस नजर आ रहे हैं. ऑनलाइन खरीददारी के बढ़ते क्रेज के कारण दुकानदारों का काम ठप्प पड़ा हुआ है.

दिवली नजदीक, बाजारों में छाया सन्नाटा

बाजार में रौनक की कमी का मुख्य कारण है आर्थिक तंगी. जब जेब में पैसे ही नहीं हो तो कोई क्या खरीदे. आर्थिक तंगी के चलते बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे दुकानदार सुबह दुकान खोलकर कर शाम को वापस लौट जाते हैं. कई दुकानों की तो यह स्थिति है कि इनकी बोहनी भी नहीं हो पा रही है.

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स्टॅाक भरा पड़ा, खरीदने वाला कोई नहीं-

त्योहारी सीजन में व्यापारी काफी दिन पहले ही सामान का अधिक स्टॉक लेकर आ जाते हैं क्योकिं उन्हें इस बात की उम्मीद रहती है कि दीपावली के वक्त उनका बिजनेस अच्छा चलेगा. इससे वे अधिक मुनाफा कमा कर अपने परिवार की आर्थिक जरूरतें पूरी कर सकेंगे. यह आशा अब निराशा में बदलती जा रही है. माल का स्टॉक लेने के लिए व्यवसायियों ने बाजार से ब्याज पर रुपया उधार लिया हुआ है. इनका मानना है कि कोई ग्राहक वेराइटी की कमी के चलते खाली न लौट जाए इसलिए हम ऐसा करते हैं. दिवाली को हफ्ते भर से भी कम बचा है लेकिन इस बार बाजार में उल्टा ही नजारा देखने को मिल रहा है. जो बाजार नवरात्रि के आगमन के दिन से गुलजार हो जाया करते थे. इन दिनों आलम ये होता था कि शहर के बाजारों में पांव रखने तक की जगह नहीं रहती थी. अब ये खाली नजर आ रहे हैं.

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व्यापारियों का कहना है कि पहले नोटबंदी उसके बाद जीएसटी फिर अब आर्थिक मंदी ने पूरे देश के साथ-साथ शहर के व्यापार की अर्थव्यवस्था को उलट-पुलट कर रख दिया है. हमारे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की दुकानों पर दशहरे के पहले से भारी भीड़ आसानी से देखी जाती थी, लेकिन इस वक्त काफी मंदी का दौर चल रहा है. सभी दुकानदार अपनी दुकानों पर ग्राहकों का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं.

ऑनलाइन बाजार ने किया धंधा चौपट

दिवाली के सीजन से व्यपारियों को बहुत सारी उम्मीदें जुड़ी होती है. सारे व्यापारी काफी दिनों पहले ही अपने-अपने संस्थानों में माल का अधिक स्टॉक लेकर आ जाते हैं, कई दुकानदारों ने तो ब्याज पर पैसा लेकर दुकानों का सामान खरीदा है. अब उनको मुनाफा तो दूर, ब्याज तक भरने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऑनलाइन खरीददारी के बढ़ते क्रेज ने इनके धंधे को चौपट कर दिया है. इससे इन बाजारों की रौनक गायब हो चुकी है.

Intro:हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध त्यौहारो मे से एक दिपावली का त्योहार को मात्र 5 दिन शेष बचे है. साल भर से व्यापार को सफल होने का मौका देखने वाले व्यापारियों के लिए इस बार दीपावली पर मायूसी के अलावा कुछ नहीं मिल पा रहा है. कारण है आर्थिक तंगी. आर्थिक तंगी के चलते बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे दुकानदार सुबह दुकान खोलकर कर शाम को वापस लौट जाते हैं. कई दुकानों की तो यह स्थिति है कि भोनी भट्टा भी नहीं हो पाता है.


Body:दीपावली स्पेशल
दीपावली में बच्चे हैं मात्र 5 दिन से फिर भी बाजारों में छाया सन्नाटा व्यापारी हुए मायूस,

करौली

कहने को तो यह दीपावली के सीजन का समय चल रहा है.. इस सीजन से सब को काफी आस एवं उम्मीदें जुड़ी होती है. सारे व्यापारी काफी दिनों पहले ही अपने-अपने संस्थानों में माल का स्टॉक इसी उम्मीद पर कर लेते हैं.की दीपावली के वक्त उनका बिजनेस अच्छा चलेगा.उनके माल की बिक्री अच्छी होगी.जिससे वह अच्छा मुनाफा कमा कर अपनी व अपने परिवार की आर्थिक जरूरतें पूरी कर सकेंगे.इस उम्मीद पर वे दिवाली के एक-डेढ़ माह पहले से ही माल का स्टॉक कर लेते हैं.इसके लिए कई छोटे-मोटे व्यवसायी बाजार से ब्याज पर रुपया उधार लेकर माल का स्टॉक करते हैं.ताकि सीजन में माल की कमी ना रहे.एवं कोई ग्राहक वेराइटी की कमी के चलते ख़ाली न लौट जाए.लेकिन इस बार दिपावली को हफ्ते भर भी कम बचा है.जबकी इन दिनों बाजार में उल्टा ही नजारा देखने को मिल रहा है.जो बाजार श्राद्ध समाप्त होते ही नवरात्रि के आगमन के दिन से गुलजार हो जाया करते थे.ग्राहकी की रोशनी से रोशन रहते थे.और इन दिनों आलम ये होता था.की शहर के बाजारों में पाँव रखने तक की जगह नहीं रहती थी.यदि सामान खरीदने के लिए दुकानों में जाना होता था.तो अपनी टू व्हीलर गाड़ियों बाज़ार के बाहर पार्क करना पड़ती थी.मगर आज स्थिति यह है शहर के मुख्य बाजारों से टू व्हीलर गाड़ी तो क्या आप फोर व्हीलर गाड़ी लेकर निकल जाइए.तो भी आपको कहीं भीड़-भाड़ या चहल-पहल नजर नहीं आएगी.आप आराम से कार लेकर भी बाजारों से निकल सकते हैं. पहले नोटबंदी  उसके बाद जीएसटी फिर अब आर्थिक मंदी ने पूरे देश के साथ-साथ शहर के व्यापार की अर्थव्यवस्था को काफी मंदी मे लाकर रख दिया है.इस समय व्यवसायी काफी मंदी के दौर से गुजर रहे हैं.पहले यह था होता था कि दीपावली के लगभग एक से डेढ़ माह के पहले से दुकानदारों का सीजन शुरु हो जाता था.कपड़ा,रेडीमेड, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की दुकानों पर दशहरे के पहले से भारी भीड़ आसानी से देखी जा सकती थी.लेकिन इस वक्त काफी मंदी का दौर चल रहा है.सभी दुकानदार अपनी दुकानों पर ग्राहकों का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं.बाजार में सन्नाटा पसरा पड़ा है.दुकानदारों ने दिवाली की आस में माल का स्टॉक तो कर लिया है.मगर दुकानों से ग्राहकी नदारद है.कई दुकानदारों ने ब्याज पर पैसा लेकर दीवाली का सीजन चलने की उम्मीद में अपनी दुकानों पर माल का स्टॉक किया है.अब उनको मुनाफा तो दूर,ब्याज तक भरने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अब आगे देखते हैं कि दीपावली गुजरने के बाद व्यापारी क्या रास्ता बनाता है.


वाईट----तुलसी फैरेटीया व्यापार मंडल अध्यक्ष,

वाईट---- सुरेंद्र दुकानदार,

वाईट---भुर सिंह, दुकानदार,

वाईट---आईद दुकानदार,

वाईट----आरिफ़ दुकानदार,

वाईट---दायम, दुकानदार,

नोट---साधना पान्डे,स्टोरी


Conclusion:
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