करौली. जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यरत आशा सहयोगिनीयों का विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार को 24 वें दिन भी कलेक्ट्रेट के सामने धरना प्रदर्शन जारी रहा. इस दौरान आशाओं ने सरकार के खिलाफ रोष जताकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने मांगें नहीं मानने की दशा में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.
आशाओं ने विभिन्न मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार भी कर रखा है. आशाओं का कहना है कि उन्हें न्यूनतम मजदूरी मिलती है. जिससे उनका गुजारा भी नही चल पाता. उसको बढ़ाकर कम से कम 18 हजार रूपये किया जाए. उन्होंने बताया कि सरकार ने उनको मेडिकल विभाग और महिला बाल विकास विभाग मे विभाजित कर रखा है. दोनों विभागों के अधिकारी उन पर दादागिरी करते हैं.
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अगर आशा को एक विभाग के अधिकारी ने फील्ड में भेज दिया तो दूसरे विभाग का अधिकारी उनकी अनुपस्थिति लगा देता है. इतनी परेशानियों के बाबजूद भी आशा काम काम करती हैं. फिर भी उनको बहुत कम वेतन मिलता है. आशाओं की प्रमुख मांग है कि उन्हें एक ही विभाग में समायोजित किया जाए. साथ ही उनका मानदेय बढाया जाये.
शाओं ने बताया कि वह लगातार 15 वर्षों से लगातार आशा सहयोगिनी के पद पर कार्य कर रही हैं और वेतन सिर्फ 2700 रूपये है. उनकी विभिन्न मांगों में केंद्र सरकार के तहत लाभार्थ योजनाओं से आशा सहयोगनियों को जोड़ने, वेतन में बढ़ोतरी करने, नियमितीकरण करने की मांग शामिल हैं.