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करौली : आशा सहयोगिनीयों का धरना 24 वें दिन भी जारी...उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

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Published : Feb 5, 2021, 5:35 PM IST

Updated : Feb 6, 2021, 3:00 PM IST

करौली मे आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यरत आशा सहयोगिनीयों का विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार को 24 वें दिन भी कलेक्ट्रेट के सामने धरना प्रदर्शन जारी रहा. इस दौरान आशाओं ने कहा कि अभी वे अभी गांधीवादी तरीके से आंदोलन कर रही हैं. अगर सरकार ने शीघ्र ही मांगों को नहीं माना तो वे उग्र आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएंगी.

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आशा सहयोगिनीयों का प्रदर्शन जारी

करौली. जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यरत आशा सहयोगिनीयों का विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार को 24 वें दिन भी कलेक्ट्रेट के सामने धरना प्रदर्शन जारी रहा. इस दौरान आशाओं ने सरकार के खिलाफ रोष जताकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने मांगें नहीं मानने की दशा में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.

आशा सहयोगिनीयों का प्रदर्शन जारी

आशाओं ने विभिन्न मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार भी कर रखा है. आशाओं का कहना है कि उन्हें न्यूनतम मजदूरी मिलती है. जिससे उनका गुजारा भी नही चल पाता. उसको बढ़ाकर कम से कम 18 हजार रूपये किया जाए. उन्होंने बताया कि सरकार ने उनको मेडिकल विभाग और महिला बाल विकास विभाग मे विभाजित कर रखा है. दोनों विभागों के अधिकारी उन पर दादागिरी करते हैं.

पढ़ें- नियमित करने की मांग को लेकर आशा सहयोगिनी महिलाओं का जिला कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन

अगर आशा को एक विभाग के अधिकारी ने फील्ड में भेज दिया तो दूसरे विभाग का अधिकारी उनकी अनुपस्थिति लगा देता है. इतनी परेशानियों के बाबजूद भी आशा काम काम करती हैं. फिर भी उनको बहुत कम वेतन मिलता है. आशाओं की प्रमुख मांग है कि उन्हें एक ही विभाग में समायोजित किया जाए. साथ ही उनका मानदेय बढाया जाये.

शाओं ने बताया कि वह लगातार 15 वर्षों से लगातार आशा सहयोगिनी के पद पर कार्य कर रही हैं और वेतन सिर्फ 2700 रूपये है. उनकी विभिन्न मांगों में केंद्र सरकार के तहत लाभार्थ योजनाओं से आशा सहयोगनियों को जोड़ने, वेतन में बढ़ोतरी करने, नियमितीकरण करने की मांग शामिल हैं.

करौली. जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यरत आशा सहयोगिनीयों का विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार को 24 वें दिन भी कलेक्ट्रेट के सामने धरना प्रदर्शन जारी रहा. इस दौरान आशाओं ने सरकार के खिलाफ रोष जताकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने मांगें नहीं मानने की दशा में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.

आशा सहयोगिनीयों का प्रदर्शन जारी

आशाओं ने विभिन्न मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार भी कर रखा है. आशाओं का कहना है कि उन्हें न्यूनतम मजदूरी मिलती है. जिससे उनका गुजारा भी नही चल पाता. उसको बढ़ाकर कम से कम 18 हजार रूपये किया जाए. उन्होंने बताया कि सरकार ने उनको मेडिकल विभाग और महिला बाल विकास विभाग मे विभाजित कर रखा है. दोनों विभागों के अधिकारी उन पर दादागिरी करते हैं.

पढ़ें- नियमित करने की मांग को लेकर आशा सहयोगिनी महिलाओं का जिला कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन

अगर आशा को एक विभाग के अधिकारी ने फील्ड में भेज दिया तो दूसरे विभाग का अधिकारी उनकी अनुपस्थिति लगा देता है. इतनी परेशानियों के बाबजूद भी आशा काम काम करती हैं. फिर भी उनको बहुत कम वेतन मिलता है. आशाओं की प्रमुख मांग है कि उन्हें एक ही विभाग में समायोजित किया जाए. साथ ही उनका मानदेय बढाया जाये.

शाओं ने बताया कि वह लगातार 15 वर्षों से लगातार आशा सहयोगिनी के पद पर कार्य कर रही हैं और वेतन सिर्फ 2700 रूपये है. उनकी विभिन्न मांगों में केंद्र सरकार के तहत लाभार्थ योजनाओं से आशा सहयोगनियों को जोड़ने, वेतन में बढ़ोतरी करने, नियमितीकरण करने की मांग शामिल हैं.

Last Updated : Feb 6, 2021, 3:00 PM IST
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