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कृषि विधेयक वापस लेने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन, दिल्ली कूच करने की चेतावनी

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Published : Feb 1, 2021, 6:26 PM IST

कृषि विधेयक वापस लेने की मांग को लेकर करौली स्थित कलेक्ट्रेट में सोमवार को विधायक लाखन सिंह के नेतृत्व में किसानों ने धरना-प्रदर्शन करने की मांग की. मांग पूरी नहीं होने पर दिल्ली कूच करने की चेतावनी देने के साथ राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा है.

Farmers protest under MLA Lakhon Singh, कृषि बिल वापस लेने की मांग
किसानों ने किया कलेक्ट्रे में प्रदर्शन

करौली. जिले में सोमवार को किसानों के समर्थन में विशाल आमसभा का आयोजन हुआ. आमसभा में किसानों ने विधायक लाखन सिंह के नेतृत्व मे कलेक्ट्रेट के धरना प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर तीनों कृषि कानून विधेयक को वापस लेने की मांग की. मांग पूरी नहीं होते जल्दी दिल्ली कूच करने की किसानों ने चेतावनी दी.

किसानों ने किया कलेक्ट्रे में प्रदर्शन

विधायक लाखन सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार ने संघीय ढांचे का उल्लंघन कर संविधान को रौदकर संसदीय प्रणाली को दरकिनार कर तथा बहुमत के आधार पर मोदी सरकार ने संसद के अन्दर तीन काले कानूनो को जबरन और बिगैर किसी चर्चा के पारित कर दिया है. इन तीनों कृषि विधेयकों को पारित कर केंद्र सरकार ने देश के किसान खेत और खलिहान के खिलाफ षड्यंत्र किया है. केंद्र की भाजपा सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से देश की हरित क्रांति को हराने की साजिश कर रही है.

पढ़ें: Special : न्याय देने में राजस्थान को 10वां स्थान, लेकिन हजारों मुकदमे 30 साल से चल रहे लंबित

देश के अन्नदाता और भाग्य विधाता किसान तथा खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का प्रयास किया जा रहा है..काले कानूनों से अनाज मंडी सब्जी मंडी को खत्म करने से कृषि उपज खरीद व्यवस्था पूरी तरह नष्ट हो जाएगी. ऐसे में किसानों को ना तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा और ना ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत मिलेगी. विधायक ने बताया कि देश का 86% किसान 5 एकड़ से कम भूमि का मालिक है. जमीन की औसत मिल्कियत दो एकड़ या उससे कम है. ऐसे में 86 प्रतिशत अपनी उपज नजदीकी अनाज मंडी सब्जी मंडी के अलावा कही और जगह परिवहन करके नही ले जा सकता है.

मंडी प्रणाली नष्ट होते ही सीधा प्रहार स्वाभाविक तौर से किसान पर होगा और लाखों करोड़ों मजदूरो की रोटी और आजिविका खत्म हो जायेगी. साथ ही अनाज मंडी के खत्म होते ही प्रांतों की आय भी खत्म हो जाएगी. विधायक ने बताया कि किसानों के समर्थन में कलेक्ट्रेट के सामने धरना देकर राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है और मांग की गई है कि इन तीनों कृषि कानूनों को जल्दी ही वापस लिया जाए वरना करौली के किसान भी दिल्ली कूच करेंगे.

करौली. जिले में सोमवार को किसानों के समर्थन में विशाल आमसभा का आयोजन हुआ. आमसभा में किसानों ने विधायक लाखन सिंह के नेतृत्व मे कलेक्ट्रेट के धरना प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर तीनों कृषि कानून विधेयक को वापस लेने की मांग की. मांग पूरी नहीं होते जल्दी दिल्ली कूच करने की किसानों ने चेतावनी दी.

किसानों ने किया कलेक्ट्रे में प्रदर्शन

विधायक लाखन सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार ने संघीय ढांचे का उल्लंघन कर संविधान को रौदकर संसदीय प्रणाली को दरकिनार कर तथा बहुमत के आधार पर मोदी सरकार ने संसद के अन्दर तीन काले कानूनो को जबरन और बिगैर किसी चर्चा के पारित कर दिया है. इन तीनों कृषि विधेयकों को पारित कर केंद्र सरकार ने देश के किसान खेत और खलिहान के खिलाफ षड्यंत्र किया है. केंद्र की भाजपा सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से देश की हरित क्रांति को हराने की साजिश कर रही है.

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देश के अन्नदाता और भाग्य विधाता किसान तथा खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का प्रयास किया जा रहा है..काले कानूनों से अनाज मंडी सब्जी मंडी को खत्म करने से कृषि उपज खरीद व्यवस्था पूरी तरह नष्ट हो जाएगी. ऐसे में किसानों को ना तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा और ना ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत मिलेगी. विधायक ने बताया कि देश का 86% किसान 5 एकड़ से कम भूमि का मालिक है. जमीन की औसत मिल्कियत दो एकड़ या उससे कम है. ऐसे में 86 प्रतिशत अपनी उपज नजदीकी अनाज मंडी सब्जी मंडी के अलावा कही और जगह परिवहन करके नही ले जा सकता है.

मंडी प्रणाली नष्ट होते ही सीधा प्रहार स्वाभाविक तौर से किसान पर होगा और लाखों करोड़ों मजदूरो की रोटी और आजिविका खत्म हो जायेगी. साथ ही अनाज मंडी के खत्म होते ही प्रांतों की आय भी खत्म हो जाएगी. विधायक ने बताया कि किसानों के समर्थन में कलेक्ट्रेट के सामने धरना देकर राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है और मांग की गई है कि इन तीनों कृषि कानूनों को जल्दी ही वापस लिया जाए वरना करौली के किसान भी दिल्ली कूच करेंगे.

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