करौली. सामाजिक परिवेश तेजी से बदल रहा है. दुनिया डिजीटल होती जा रही है. ऐसे में निरक्षरता किसी दंश से कम नहीं है. राजस्थान में निरक्षर लोगों को केंद्र सरकार राज्यों के प्रयासों से पढ़ना-लिखना सिखाएगी. प्रदेश के 4.20 लाख निरक्षरों को साक्षर करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्रीय प्रवर्तित योजना पढ़ना-लिखना अभियान को मंजूरी दी है. इससे करौली जिले में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 33300 महिला व पुरुष अनपढों को साक्षर होने का लाभ मिलेगा.
चिंताजनक पहलू ये है कि प्रदेश में सर्वाधिक निरक्षरों वाले जिलों में सिरोही के बाद करौली जिला दूसरे स्थान पर है. करौली समेत राज्य के 33 जिलों में 15 साल से अधिक आयु के 4 लाख 20 हजार महिला व पुरूष निरक्षर है. 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों में सर्वाधिक 3 लाख 15 हजार महिलाएं हैं. वहीं पुरूषों का आंकड़ा एक लाख पांच हजार है. राजस्थान में सबसे ज्यादा 33300 निरक्षर सिरोही और सबसे कम 4000 निरक्षर दौसा जिले से है.
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चिंताजनक बात यह भी है कि प्रदेश में सर्वाधिक असाक्षर वाले जिलों में सिरोही के बाद करौली जिला दूसरे स्थान पर है. जिले में 33 हजार 300 महिला व पुरूष निरक्षर है, प्रदेश में सर्वाधिक निरक्षर वाला दूसरा जिला है. केंद्र सरकार ने अनपढ़ रहे लोगों को साक्षर करने के लिए पढ़ना-लिखना अभियान शुरू किया है. वर्ष 2020-21 में एमएचआरडी नई दिल्ली की और से राजस्थान समेत अन्य राज्यों में यह अभियान चलाया जाएगा.
साक्षर भारत अभियान के अंतर्गत पूर्व में लोक शिक्षा केंद्र भी संचालित थे. जो 31 मार्च 2018 को बंद हो गए. वर्तमान में सरकार ने इन निरक्षरों को साक्षर करने के लिए पढ़ना-लिखना अभियान शुरू किया है. इसमें कॉलेज के स्टूडेंट्स और एनसीसी के स्वयंसेवक अनपढों को पढ़ना-लिखना सिखाकर समाज में शिक्षा की अलख जगाने में सहभागिता निभाएंगे. वर्ष 2020-21 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमआचआरडी) नई दिल्ली की ओर से राजस्थान सहित अन्य राज्यों को भी इस अभियान में शामिल किया गया है. अभियान के सफल संचालन और क्रियांवयन के लिए जिला साक्षरता समिति के तत्वावधान में जिला, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर समितियों का गठन भी किया जाएगा.
इस संबंध में साक्षरता एवं सतत शिक्षा,राजस्थान के निदेशक डॉ.भंवरलाल ने सभी कलेक्टर्स को भी आदेश जारी कर दिए हैं. सी ग्रेड, ड्रॉप आउट व 2011 की जनगणना सर्वे में शेष रहे असाक्षरों को साक्षर करने का टारगेट तय किया गया है. राज्य में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों में सर्वाधिक 3 लाख 15 हजार महिलाएं हैं तो पुरुषों का आंकड़ा महज डेढ़ लाख ही है. करौली जिले में साक्षरता दर बढाने से निरक्षरों की संख्या में कमी तो आई है, मगर अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाए हैं. मसलन, निरक्षरता का कलंक मिटाने के लिए सरकार की योजनाएं मंशानुरूप कामयाब नहीं हो पा रही हैं. करौली सहित राज्य के 33 जिलों में 15 साल से अधिक आयु वर्ग के 4 लाख 20 हजार महिला व पुरुष निरक्षर हैं. राजस्थान में सबसे ज्यादा 33300 निरक्षर सिरोही और सबसे कम 4 हजार दौसा जिले में हैं.जबकि, देश के अति पिछड़े जिलों में शुमार करौली जिला 30300 निरक्षरों के साथ प्रदेशभर में दूसरे स्थान पर है.
प्रदेश में वर्गवार निरक्षरों का आंकड़ा
वर्ग | पुरुष | महिला | कुल |
एससी | 19036 | 57107 | 76143 |
एसटी | 17314 | 51948 | 69262 |
माइनोरिटी | 10500 | 31500 | 42000 |
अन्य | 58150 | 17444 | 232595 |
करौली जिले में अभी 53,014 निरक्षर
सर्वे 2011 के अनुसार करौली जिले में निरक्षरों की संख्या 2,61,105 थी, मगर 25 मार्च 2018 को हुई परीक्षा में 2,08,091 साक्षर हो गए. इस हिसाब से वर्तमान में 53,014 असाक्षर शेष बचे हैं, इनमें भी 22,991 पुरुष तो 30,028 महिलाएं शामिल हैं. हालांकि, सरकार के पढना-लिखना अभियान अंतर्गत करौली जिले में 22725 महिलाएं व 7575 पुरुषों सहित कुल 30,300 निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए लक्षित किया गया है.
दस निरक्षरों पर एक वॉलेंटियर पढ़ाएगा
पढ़ना-लिखना अभियान अंतर्गत ग्राम पंचायत स्तर पर दस निरक्षरों को साक्षर करने का जिम्मा अब स्वयंसेवक निभाएंगे. इन वॉलेंटियर्स को कोई भी मानदेय नहीं मिलेगा,सिर्फ शैक्षणिक और आवश्यक पठनीय सामग्री जरूर मुहैया कराई जाएगी. खास यह है कि इन स्वयंसेवकों का चयन भी संबंधित पीईओ ही करेगा.
अभियान लक्ष्य: करौली जिले में 30300 वर्गवार निरक्षरों पर एक नजर
वर्ग | पुरुष | महिला | कुल निरक्षर |
एससी | 1841 | 5524 | 7365 |
एसटी | 1688 | 5063 | 6751 |
मॉइनोरिटी | 0758 | 2272 | 3030 |
अन्य | 3288 | 9866 | 13154 |
दो दशक में करोडों खर्च, फिर भी महिलाएं ज्यादा निरक्षर
बीते दो दशकों से अनपढ महिला पुरुषों को साक्षर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की कई स्कीमों पर करोडों रुपए खर्च हो चुके हैं. मगर आज भी समाज में निरक्षर महिलाओं की तादाद बहुत ज्यादा है. साक्षरता दर नहीं बढी है और आज भी प्रदेश में 3 लाख 15 हजार महिलाएं निरक्षर हैं. सर्वाधिक अनपढ महिलाएं सिरोही में 24975, करौली में 22725 हैं. जबकि, सबसे कम 10800 जैसलमेर में हैं.
ईच वन-टीच वन अंतर्गत वॉलेंटियर्स का चयन
निरक्षरों को पढाने-लिखाने के लिए अभियान अंतर्गत स्वयंसेवकों का चयन किया जाएगा. ईच वन-टीच वन के तहत एनसीसी, एनएसएस, स्काउट-गाइड, कॉलेज के छात्र-छात्राओं का चिह्नीकरण कर उनको आसपास के असाक्षरों को पढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा.
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अभियान में लक्षित जिलेवार निरक्षर
सिरोही-33300, करौली-30300, बारां- 28600, नागौर- 28200, जयपुर-20000, अलवर-19300, जालौर- 19200, पाली- 19000, धौलपुर-16500, उदयपुर-15000, टोंक- 15000, जैसलमेर-14400, जोधपुर-12700, बांसवाडा-12600, चित्तौडगढ़-12300, बीकानेर- 12000, बूंदी-9900, बाड़मेर-9000, अजमेर-8000, कोटा-7900, डूंगरपुर-7300, गंगानगर-7200, हनुमानगढ़-6600, झालावाड- 6500, सीकर- 6300, प्रतापगढ़-6300, भीलवाडा-6300, राजसमंद-6000, चूरू-5900, झुंझुनू-5800, भरतपुर-4500, स.माधोपुर- 4100 और दौसा- 4000.
40% से कम महिला साक्षरता दर पर हर ब्लॉक पर महिला कक्षा
प्रत्येक ब्लॉक पर एक विशेष महिला कक्षा का संचालन होगा, जहां 40 प्रतिशत से कम महिला साक्षरता दर हो. उस ग्राम पंचायत के ग्राम या ढाणी का चयन करना होगा. जहां एससी, एसटी,अल्पसंख्यक समूह की कम से कम 20 महिलाएं पढने की इच्छुक की हों. इनमें महिला स्वयंसेवी शिक्षक चयन की प्राथमिकता होगी. दसवीं पास महिला नहीं मिलने पर अन्य ग्राम से भी चयन किया जा सकेगा. उसके आने-जाने का किराया विभाग वहन करेगा.