करौली. कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को परेशानी में डाल रखा है. वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण के फैलते प्रभाव के कारण देश की अर्थ व्यवस्था पर बड़ा भारी संकट खड़ा हो गया है. जिसके कारण देश के लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. इस संकट से सभी वर्ग के लोगों को परेशानी हो रही है.
कोरोना से बचाव के लिए देश में लगाए गए लॉकडाउन के कारण पिछले 4 महीनों से आम आदमी का जीवन बड़ा मुश्किल हो रहा है. हर वर्ग का आदमी परेशानी का सामना कर रहा है. कोरोना संकट से न्यायालयों में वाद-विवाद और हर वर्ग की पैरवी करने वाले अधिवक्ता भी इससे अछूते नहीं हैं. उनको भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है.
इसको लेकर अधिवक्ताओं ने बताया कि कोरोना महामारी से वकीलों ही नहीं, पूरे देश की जनता परेशान है. कोरोना की शुरुआत में ही सरकार ने लॉकडाउन कर दिया था. जिससे लोगों के काम-धंधे ठप हो गए थे. काम-धंधे बंद होने से लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है, लोग भूखे मर रहे हैं. कोरोना की वजह से लोग न्यायालयों में नहीं आ रहे.
नहीं मिल पा रहा मेहनताना
साथ ही बताया कि सरकार ने न्यायालय खोल दिए हैं. जिसमें हमें मजबूरन आना पड़ता है, लेकिन न्यायालयों में लोग नहीं आने के कारण हमें हमारा जो दैनिक मेहनताना मिलता था, वह भी नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण हमें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. सरकार की ओर से बार काउंसिल के सदस्यों को सहायता राशि देने की बात कही गई, लेकिन वह भी हमें नहीं मिली. न्यायालय परिसर में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है.
इसके बाद ईटीवी भारत की टीम ने जब अन्य अधिवक्ताओं से बात की तो उनका भी यही कहना था कि कोरोना महामारी के कारण वकीलों को भी बहुत आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है. न्यायालयों में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है. जब हमारे द्वारा न्यायालय में कोई दरख्वास्त लगाई जाती है तो अधिकारी उसे तीन-तीन दिन तक देखते भी नहीं है. लोगों के मुकदमे व अन्य काम पूरी तरह से ठप पड़े हैं. वकीलों के सामने आर्थिक संकट की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो चुकी है.
न्यायालय तक नहीं पहुंचे रहे लोग
साथ ही बताया कि वर्तमान समय में सारे न्यायालयों के काम ठप पड़े हैं. हाईकोर्ट में कोरोना संक्रमित मिलने के बाद 3 दिन के लिए बंद कर दिया गया था. अधीनस्थ न्यायालयों में किसी भी प्रकार का कोई काम नहीं होता. जनता पूरी तरह से परेशान है. साधन नहीं चलने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले क्लाइंट भी न्यायालयों तक नहीं आ पाते. पहले जो व्यवस्था चल रही थी, वह ठीक थी. व्हाट्सएप के जरिए मैसेज डाल देते थे. सारा काम ठीक चल रहा था. लेकिन उस व्यवस्था को बंद कर दिया गया है. वर्तमान में ऑफलाइन कार्य ही किए जा रहे हैं. ऑफलाइन कार्यों में केवल अति आवश्यक कार्य को ही किया जा रहा है.
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लोग कोरोना की वजह से बुरी तरह भयभीत है और लोग कोरोना से अपना बचाव करना चाहते हैं, लेकिन सरकार का ध्यान आम जनता की परेशानी को देखना नहीं होकर अपनी कुर्सी बचाने में पूरा ध्यान लगा हुआ है. जिसके कारण वकीलों को भी भूखे मरने की नौबत का सामना करना पड़ रहा है. अधिवक्ताओं का कहना था कि वकीलों का मुख्य व्यवसाय कोर्ट कचहरी में वकालत करना है. लेकिन कोरोना की वजह से कोर्ट कचहरी में सुनवाई नहीं होने के कारण वकीलों का काम धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है. वकीलों की आमदनी का कोई जरिया नहीं है. जिसके कारण परिवार के बच्चों का भरण पोषण करने के लाले पड़ रहे हैं और कोरोना संकटकाल में वकीलों के सामने बहुत बड़ी आर्थिक समस्या पैदा हो गई है.
कोरोना संक्रमण का रहता है डर
वकीलों ने बताया कि वैसे तो कोर्ट परिसर में फरियादियों का टोटा बना हुआ है. फिर भी जो फरियादी आते हैं. उनमें कम ही लोग मास्क का प्रयोग करते हैं. ऐसे में कोरोना संक्रमण का डर भी बना हुआ है. हालांकि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारियों और न्यायिक अधिकारियों द्वारा न्यायालय परिसर का निरिक्षण कर वकीलों, क्लाइंट, कोर्ट परिसर में काम करने वाले दुकानदारों आदि को निर्देश दिए गए हैं कि मास्क का प्रयोग करें और जो लोग माक्स का प्रयोग नहीं करते हैं. उनसे दूरी बनाएं. उनको कोर्ट में आने की अनुमति नहीं दी जाए, फिर भी कई लोग बिना मास्क के आ जाते हैं. ऐसे में कोरोना संक्रमण का भय सताता है.