करौली. धनतेरस के साथ ही पांच दिवसीय पर्व दिवाली की शुरूआत हो चुकी है. दिवाली के त्योहार को लेकर हर वर्ग में एक खास उत्साह और विशेष उम्मीद बंधी होती है. लेकिन साल 2020 की शुरूआत में ही कोरोना वायरस ने देश और दुनिया के इंसानों के साथ ही बाजारों को भी जकड़ लिया, जिसकी जकड़न से अब तक भी बाजार आजाद नहीं हो पाए हैं. दिवाली के त्योहार पर व्यापारी को जहां अच्छी ग्राहकी होने की उम्मीद होती है. वहीं आम नागरिको में भी नए आभूषण, कपड़े और बर्तन के साथ ही कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जिनमें खासकर मोबाइल खरीदने की इच्छा रहती है. लेकिन इस बार दोनों की ही इन उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आया.
दरअसल, धनतेरस के साथ ही शुरू होने वाला दिवाली के त्योहार की शुरूआत हो चुकी है. बाजारों में विभिन्न प्रकार की दुकानें पूरी तरीके से सज-धजकर तैयार हैं. लेकिन कोरोना के चलते मंदी का दौर जारी रहने के कारण बिक्री नहीं होने के कारण दुकानदारों के चेहरों पर मायूसी नजर आ रही है. धनतेरस के साथ शुरू होने वाली दिवाली का त्योहार वैसे तो शुरू हो चुका है और अच्छी बिक्री की उम्मीद लगाए बैठे दुकानदारों ने दुकानों में सामान भी खूब सारा भर लिया है. अपनी-अपनी दुकानों को अच्छे से सजा-धजाकर तैयार कर लिया है. ताकि दिवाली पर खरीदारों की दुकानों पर लाइन लगी रहे.
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लेकिन जब Etv Bharat की टीम ने बाजार में जाकर हकीकत को जाना तो दुकानदारों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई थी. टीम ने जब दुकानदारों से मायूसी का कारण पूछा तो दुकानदारों ने साफ शब्दों में कहा कि अच्छी बिक्री की उम्मीद थी. लेकिन कोरोना के चलते इस बार पिछले साल की तुलना में आधी से भी कम बिक्री रह गई है और काफी लागत लगाकर दुकान में सामान भरा पड़ा है, लेकिन बिक्री नहीं होने के कारण सामान की कीमत भी नहीं निकल पा रही है. कोरोना के चलते लोगों के धंधे बंद हो जाने के कारण लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण लोग खरीदारी करने के लिए बाजार में ही नहीं आ रहे हैं. दुकानदारों ने बताया कि कोरोना के चलते सभी प्रकार के धंधे और बिजनेस पर बहुत असर पड़ा है.
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जब मोबाइल विक्रेता सीताराम भूतिया से बात की तो उन्होंने बताया कि इस साल पिछले साल के मुकाबले केवल 40 फीसदी की बिक्री रह गई है. जबकि धनतेरस पर जबरदस्त बिक्री होती थी. लेकिन कोरोना ने सभी के काम धंधे चौपट कर दिए, जिसके कारण दिवाली पर भी लोग खरीदारी करने के लिए बाजारों में नहीं आ रहे हैं और सभी उद्योग धंधों पर कोरोना का असर पड़ा है.
सोना चांदी का व्यवसाय करने वाले धर्मेंद्र स्वर्णकार ने बताया कि इस साल आर्थिक संकट के कारण पिछले साल की तुलना में न के बराबर बिक्री है. लोगों ने सिर्फ धनतेरस पर औपचारिकता के लिए ही खरीदारी की है. कोराना ने लोगों को बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया है. पिछले साल तक धनतेरस के दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदने वालों की भीड़ लगी रहती थी. लेकिन कोरोना के कारण कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है. धनतेरस के साथ ही दिवाली का पर्व शुरू हो गया, लेकिन सराफा बाजार बेजान पड़ा है.
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ऐसा ही रहा तो खाने के पड़ जाएंगे लाले
धर्मेंद्र स्वर्णकार बताते हैं कि बाजार में अब सोना चांदी के आभूषण खरीदने के लिए महिलाएं कम आ रही हैं. जबकि आर्टिफिशियल ज्वेलरी की डिमांड बाजार में बढ़ी है. इसकी वजह यह मानी जा रही है कि लोगों के पास धन का अभाव है. कोरोना का असर कहीं न कहीं व्यापार से लेकर खेत-खलिहान पर भी पड़ा है. किसानों को उनकी फसल का सही मुआवजा नहीं मिला, जिसकी वजह से सराफा कारोबार बूम नहीं पकड़ा सका है. करौली जिले का बाजार किसानों से ही चलता है और यहां किसान ही परेशान है तो बाजार कहां से उठेगा.
ग्राहक न होने से सूनी पड़ी रहीं दुकानें
दुकानों पर ग्राहकों की आवक न होने के कारण दुकानदार भी सुस्ताते नजर आए. कुछ तो दुकान खाली छोड़कर इधर-उधर बतियाते नजर आए. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. धनतेरस के दिन दुकानों पर बात करने तक का दुकानदार के पास समय नहीं होता था. इस समय केवल बर्तन और कपड़े के अलावा परचून की दुकान पर ही भीड़ लगी है. बाकी बाजार में भीड़ तो मिली, लेकिन सिर्फ खानापूर्ति के लिए.