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करौली : गुमानो मां के दरबार में पूर्णिमा के अवसर पर उमड़ा जनसैलाब, 300 साल पुराना है इतिहास - करौली चुम्बकीय शक्ति मंदिर

करौली जिला मुख्यालय से लगभग 65 किमी दूर चुम्बकीय शक्ति के नाम से प्रसिद्ध करणपुर वाली गुमाणो माता पर शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं का हुजूम दर्शन के लिए उमड़ पड़ा. श्रद्धालुओं ने माता के जयकारों के साथ चौखट चूम कर मनौतियां मांगी.

Karauli news, गुमानो मां मंदिर करौली
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Published : Oct 13, 2019, 10:38 PM IST

करौली. उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ कैलादेवी आस्थाधाम से करीब 40 किलोमीटर दूर पहाड़ों के बीच में स्थित चुम्बकीय शक्ति के नाम से प्रसिद्ध करणपुर वाली गुमाणो माता पर शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. हजारों श्रद्धालुओं ने रंग बिरंगे परिधानों में हाथ में पताका लिए अखंड ज्योति के दर्शन कर मनौतियां मांगी.

गुमानो मां के दरबार में पूर्णिमा के अवसर पर आए श्रद्धालु

बता दें कि भक्त मां के दरबार में पैदल यात्रा करके यहां पर पहुंचते है. हाल ही में नवरात्रों में यहां पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब भी देखने को मिला था. साथ ही श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन ने अच्छी व्यवस्था कर रखी है. वहीं माता की दर्शन के लिए काफी संख्या में नवविवाहित जोड़े भी पहुंचे.

पढ़ेंः करौली : कलेक्टर ने मंडरायल उपखंड मुख्यालय का किया औचक निरीक्षण, गैरहाजिर मिले कई कर्मचारी

चुम्बकीय शक्ति के नाम से है माता की पहचानः

प्रसिद्ध करणपुर वाली गुमाणो देवी को चुम्बकीय शक्ति के नाम से जाना जाता है. यूं तो राजस्थान में कई देवियां हैं लेकिन करणपुर वाली माता की कुछ अलग ही महिमा है. यहां दो देवियां है जिसमें छोटी देवी का नाम गुमाणो ओर बड़ी देवी का नाम करणपुर वाली बीजासन देवी है. इन देवीयों पर मोतीचूर के लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाने की भी परम्परा है.

माता का 300 साल पुराना है इतिहासः

इतिहासकारों के अनुसार करणपुर वाली बीजासन और गुमाणो माता का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है. बड़ी देवी बीजासन माता को रामजीलाल चिरंजी लाल गोठिया के पूर्वज 300 साल पहले इंद्रगढ़ से यहां लाए थे. जादौन वंश में जन्मी गुमाणो देवी का विवाह रियासत काल में कोटा बूंदी में राजपूत घराने के हाड़ा गोत्र में कर दिया था. गुमाणो देवी एक बार करणपुर वाली बीजासन माता के दर्शन करने आई थी. उसी दौरान उसने माता के सामने दम तोड़ दिया और वह बीजासन माता के सामने प्रकट हो गई. तभी से छोटी बहन गुमाणो देवी का यहां एक मंदिर बना दिया गया. दोनों देवियों के मंदिर आमने सामने है. मन्दिर में लांगुरिया गीतों की धूम रहती है. श्रद्धालु गुमाणो माता के दरबार में लांगुरिया गीतों पर जमकर नृत्य करते है.

पढ़ेंः करौली: दो बाइकों की टक्कर में एक व्यक्ति की मौत, 5 घायल

मंदिर के महंत घनश्याम ने बताया की गुमानो माता की चुंबकीय शक्ति की जो महिमा है वह किसी से छुपी हुई नहीं है. कोई भी भक्त अगर मां से मनौती मांगता है और मन्नत पूरी होने के बाद वह मां के दरबार में नहीं आता है तो गुमानो मां भक्त के सपने में या किसी भी बहाने से याद दिला देती है.

साथ ही कहा कि जिन लोगों के संतान नहीं होती है, नौकरी नहीं लगती है या किसी परेशानी से परेशान होते हैं तो मां उनकी बहुत जल्दी सुनती है. भक्तो की मनौती पूरी होने के बाद भक्त यहां पर आकर छप्पन भोग, फूल बंगला झांकी, सवामणी का आयोजन भी करते हैं.

करौली. उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ कैलादेवी आस्थाधाम से करीब 40 किलोमीटर दूर पहाड़ों के बीच में स्थित चुम्बकीय शक्ति के नाम से प्रसिद्ध करणपुर वाली गुमाणो माता पर शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. हजारों श्रद्धालुओं ने रंग बिरंगे परिधानों में हाथ में पताका लिए अखंड ज्योति के दर्शन कर मनौतियां मांगी.

गुमानो मां के दरबार में पूर्णिमा के अवसर पर आए श्रद्धालु

बता दें कि भक्त मां के दरबार में पैदल यात्रा करके यहां पर पहुंचते है. हाल ही में नवरात्रों में यहां पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब भी देखने को मिला था. साथ ही श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन ने अच्छी व्यवस्था कर रखी है. वहीं माता की दर्शन के लिए काफी संख्या में नवविवाहित जोड़े भी पहुंचे.

पढ़ेंः करौली : कलेक्टर ने मंडरायल उपखंड मुख्यालय का किया औचक निरीक्षण, गैरहाजिर मिले कई कर्मचारी

चुम्बकीय शक्ति के नाम से है माता की पहचानः

प्रसिद्ध करणपुर वाली गुमाणो देवी को चुम्बकीय शक्ति के नाम से जाना जाता है. यूं तो राजस्थान में कई देवियां हैं लेकिन करणपुर वाली माता की कुछ अलग ही महिमा है. यहां दो देवियां है जिसमें छोटी देवी का नाम गुमाणो ओर बड़ी देवी का नाम करणपुर वाली बीजासन देवी है. इन देवीयों पर मोतीचूर के लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाने की भी परम्परा है.

माता का 300 साल पुराना है इतिहासः

इतिहासकारों के अनुसार करणपुर वाली बीजासन और गुमाणो माता का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है. बड़ी देवी बीजासन माता को रामजीलाल चिरंजी लाल गोठिया के पूर्वज 300 साल पहले इंद्रगढ़ से यहां लाए थे. जादौन वंश में जन्मी गुमाणो देवी का विवाह रियासत काल में कोटा बूंदी में राजपूत घराने के हाड़ा गोत्र में कर दिया था. गुमाणो देवी एक बार करणपुर वाली बीजासन माता के दर्शन करने आई थी. उसी दौरान उसने माता के सामने दम तोड़ दिया और वह बीजासन माता के सामने प्रकट हो गई. तभी से छोटी बहन गुमाणो देवी का यहां एक मंदिर बना दिया गया. दोनों देवियों के मंदिर आमने सामने है. मन्दिर में लांगुरिया गीतों की धूम रहती है. श्रद्धालु गुमाणो माता के दरबार में लांगुरिया गीतों पर जमकर नृत्य करते है.

पढ़ेंः करौली: दो बाइकों की टक्कर में एक व्यक्ति की मौत, 5 घायल

मंदिर के महंत घनश्याम ने बताया की गुमानो माता की चुंबकीय शक्ति की जो महिमा है वह किसी से छुपी हुई नहीं है. कोई भी भक्त अगर मां से मनौती मांगता है और मन्नत पूरी होने के बाद वह मां के दरबार में नहीं आता है तो गुमानो मां भक्त के सपने में या किसी भी बहाने से याद दिला देती है.

साथ ही कहा कि जिन लोगों के संतान नहीं होती है, नौकरी नहीं लगती है या किसी परेशानी से परेशान होते हैं तो मां उनकी बहुत जल्दी सुनती है. भक्तो की मनौती पूरी होने के बाद भक्त यहां पर आकर छप्पन भोग, फूल बंगला झांकी, सवामणी का आयोजन भी करते हैं.

Intro:करौली जिला मुख्यालय से लगभग 65 किमी दूर चुम्बकीय शक्ति के नाम से प्रसिद्ध करणपुर वाली गुमाणो माता पर शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा.. श्रद्धालुओं ने माता की चौखट चूम मनौती मानी...


Body:चुंबकीय शक्ति के नाम से मशहूर गुमानो मां के दरबार में पूर्णिमा के अवसर पर उमड़ा जनसैलाब,

करौली

करौली जिला मुख्यालय से लगभग 65 किमी दूर चुम्बकीय शक्ति के नाम से प्रसिद्ध करणपुर वाली गुमाणो माता पर शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा.. श्रद्धालुओं ने माता की चौखट चूम मनौती मानी...

उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ कैलादेवी आस्थाधाम से 40 किलोमीटर से अधिक दूर पहाड़ों के बीच में स्थित चुम्बकीय शक्ति के नाम से प्रसिद्ध करणपुर वाली गुमाणो माता पर शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा..हजारो श्रद्धालुओं ने अखंड ज्योति के दर्शन कर मनौतियां मांगी.. श्रद्धालुओं का सुबह से ही रंग बिरंगे परिधानों में हाथ में पताका लिए आना शुरू हो गया.. जो देर शाम तक जारी रहा.. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन भी चाक-चौबंद रहा..माता की जात के लिए काफी संख्या में नवविवाहित जोड़े भी दर्शन करने पहुंचे..

चुम्बकीय शक्ति के नाम से है माता की पहचान,

प्रसिद्ध करणपुर वाली गुमाणो देवी को चुम्बकीय शक्ति के नाम से जाना जाता है.. यूं तो राजस्थान में कई देवियां हैं लेकिन करणपुर वाली माता की कुछ अलग ही महिमा है..यहां दो देवियां हैं जिसमें छोटी देवी का नाम गुमाणो ओर बड़ी देवी का नाम करणपुर वाली बीजासन देवी है.. इन देवीयो पर मोतीचूर के लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाने की भी परम्परा है..


माता का 300साल पुराना है इतिहास


इतिहासकारों के अनुसार करणपुर वाली बीजासन और गुमाणो माता का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है.. बड़ी देवी बीजासन माता को रामजीलाल चिरंजी लाल गोठिया के पूर्वज 300 साल पहले इंद्रगढ़ से यहां लाए थे..जादौन वंश में जन्मी गुमाणो देवी का विवाह रियासत काल में कोटा बूंदी में राजपूत घराने के हाड़ा गोत्र में कर दिया था.. गुमाणो देवी (हाड़ा रानी) एक बार करणपुर वाली बीजासन माता के दर्शन करने आई थी.. उसी दौरान उसने माता के सामने दम तोड़ दिया और वह बीजासन माता के सामने प्रकट हो गई तभी से छोटी बहन गुमाणो देवी का यहां एक मंदिर बना दिया गया.. दोनों देवियों के मंदिर आमने सामने हैं..माता के मन्दिर में लांगुरिया गीतों की धूम रहती है.. श्रद्धालु गुमाणो माता के दरबार में लांगुरिया गीतों पर जमकर नृत्य करते है.. 

मंदिर के महंत घनश्याम ने बताया की गुमानो माता की चुंबकीय शक्ति की जो महिमा है वह किसी से छुपी हुई नहीं है.. कोई भी भक्त अगर मां से मनौती मांगता है और मन्नत पूरी होने के बाद वह मां के दरबार में नहीं आता है तो गुमानो मां भक्त के सपने में या किसी भी बहाने से याद दिला देती है.. जिन लोगों के संतान नहीं होती है. नौकरी नहीं लगती है या किसी परेशानी से परेशान होते हैं तो मां उनकी बहुत जल्दी सुनती.. भक्तो की मनौती पूरी करती है.. मनौती पूरी होने के बाद भक्त यहां पर आकर छप्पन भोग, फूल बंगला झांकी, सवामणी का आयोजन भी करते हैं.. भक्त मां के दरबार में पैदल यात्रा करके भी यहां पर पहुंचते हैं..हाल ही मे नवरात्रों में और आज यहां पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब भी देखने को मिला है..

वाईट-----घनश्याम मन्दिर मंहत,


Conclusion:
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