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करौली में आशा सहयोगिनियों का प्रदर्शन, मांगे पूरी नहीं होने तक अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार

करौली जिला मुख्यालय पर आशा सहयोगिनियों ने अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ के बैनर तले विभिन्न मांगो को लेकर रैली निकाली और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. मांगे पूरी नहीं होने तक आशा सहयोगिनियों ने अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार पर जाने की घोषणा की है.

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करौली में आशा सहयोगिनियों का प्रदर्शन
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Published : Jan 12, 2021, 8:02 PM IST

करौली. मंगलवार को विभिन्न मांगो को लेकर आशा सहयोगिनियों ने रैली निकाली. आशा सहयोगिनियों ने जिला कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. मांगे पूरी नहीं होने तक आशा सहयोगिनियों ने अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार पर जाने की घोषणा की है.

करौली में आशा सहयोगिनियों का प्रदर्शन

पढ़ें: डूंगरपुर : डॉक्टर का आरोप- MLA ने मारा थप्पड़...विधायक ने दी सफाई- लोकहित में कुछ भी करना पड़ सकता है

आशा सहयोगिनियों ने बताया कि वो देश हित में कार्य कर रही हैं. प्रदेश की सरकार आशा सहयोगिनियों की समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है. आशा सहयोगिनी महिला बाल विकास और मेडिकल विभाग में बंटी हुई हैं. जिससे दोनों विभागों की ओर से उनको परेशान किया जाता है.आशाओं ने मांग की है कि उनको एक ही विभाग के अन्दर काम दिया जाए. वो लगातार 15 वर्षों से एक ही पद पर कार्यरत हैं और वेतन मात्र 2700 रूपए है जो कि न्यूनतम मजदूरी से भी कम है.

आशा सहयोगिनियों ने मांग की है कि उनको आंगनबाड़ी कार्मिकों की भांति तुलनात्मक मानदेय दिया जाए. साथ ही प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी की जाए. केन्द्र की सूची में आशाओं का नाम जोड़ने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाए और सरकार ने अपने मेनिफेस्टो में किए गए वादे के अनुसार आशा सहयोगिनी कार्मिकों को नियमित कर्मचारी बनाए.

करौली. मंगलवार को विभिन्न मांगो को लेकर आशा सहयोगिनियों ने रैली निकाली. आशा सहयोगिनियों ने जिला कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. मांगे पूरी नहीं होने तक आशा सहयोगिनियों ने अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार पर जाने की घोषणा की है.

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आशा सहयोगिनियों ने बताया कि वो देश हित में कार्य कर रही हैं. प्रदेश की सरकार आशा सहयोगिनियों की समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है. आशा सहयोगिनी महिला बाल विकास और मेडिकल विभाग में बंटी हुई हैं. जिससे दोनों विभागों की ओर से उनको परेशान किया जाता है.आशाओं ने मांग की है कि उनको एक ही विभाग के अन्दर काम दिया जाए. वो लगातार 15 वर्षों से एक ही पद पर कार्यरत हैं और वेतन मात्र 2700 रूपए है जो कि न्यूनतम मजदूरी से भी कम है.

आशा सहयोगिनियों ने मांग की है कि उनको आंगनबाड़ी कार्मिकों की भांति तुलनात्मक मानदेय दिया जाए. साथ ही प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी की जाए. केन्द्र की सूची में आशाओं का नाम जोड़ने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाए और सरकार ने अपने मेनिफेस्टो में किए गए वादे के अनुसार आशा सहयोगिनी कार्मिकों को नियमित कर्मचारी बनाए.

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