लूणी (जोधपुर). देशभर में गुरुवार को कजरी तीज धूमधाम से मनाई गई. इस बार की कजरी तीज कोरोना के चलते कुछ फीकी जरूर रही, लेकिन महिलाओं ने अपने घरों में ही धूमधाम के साथ त्योहार मनाया और इस मौके पर मंगल गीत गाए और लोकगीतों पर जमकर नाची. भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है. मारवाड़ में इसे सातुडी तीज के नाम से भी जाना जाता है.
मारवाड़ में महिलाओं के लिए कजरी तीज एक बड़ा त्योहार होता है. महिलाओं ने देर रात तक पूजा-अर्चना की और उसके बाद अपना व्रत खोला. इस समय मानसून चरम पर होता है, चारों तरफ हरियाली ही हरियाली होती है. जो प्रकृति के सौंदर्य को चार चांद लगा देती है. इसी लिए इसे हरियाली तीज भी कहा जाता है. इस बार कोरोना महामारी के चलते मंदिरों के कपाट बंद होने से महिलाओं ने घरों में रहकर पूजा-अर्चना की.
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कजरी तीज पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, कई महिलाएं तो पूरे दिन निर्जल रहकर उपवास करती हैं. साथ ही कुंवारी कन्या अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं. इस दिन महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती हैं. इसके बाद नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र व फल और पूजा कलश पर रोली से टीका लगाकर पूजा स्थल पर दीप जलाकर मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है.
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पूजा के बाद सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान की जाती हैं. लूणी में महिलाओं ने पेड़ पर झूले डालकर झूलों का आनंद भी लिया. साथ ही लड़कियां और महिलाएं 'रंगीलो सावन आयो' लोकगीत पर भी जमकर डांस किया. महिलाओं ने कजरी तीज की कथा सुनकर चांद को देखकर अपना व्रत खोला.