जोधपुर. ऑनलाइन भारी डिस्काउंट पर सामान बेचने वाली कंपनियां अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, पेटीएम एफडीआई नियमों का उल्लंघन कर रही है. जिसे लेकर राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य पीठ जोधपुर में कॉन्फ़िगरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन की ओर से एक याचिका पेश की गई.
जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दिनेश मेहता की कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जिसकी अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी. याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता राजवेंद्र सारस्वत और अधिवक्ता अबीर रॉय ने कोर्ट को बताया कि यह कंपनियां एफडीआई के नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रही है.
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साथ ही कंपनियों की ओर से मार्केट पर कब्जा जमाने के उद्देश्य से लॉस्ट फंडिंग कर खरीदारों को 80 से 90 फीसदी तक डिस्काउंट देकर घरेलू बाजार को खत्म कर रही है. फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट के नियमानुसार कंपनियां अपने उत्पाद को अपने प्लेटफार्म के माध्यम से बेच रही है जिसकी ओनरशिप इन कम्पनियों की नहीं हो सकती, जबकि वर्तमान में जो प्रोडक्ट इन वेबसाइट्स पर बिक रहे हैं वे ज्यादातर इनकी ही कंपनियों के है. जो कि एफडीआई के नियमों का खुला उल्लंघन है.
इसके अलावा कोई भी कंपनी प्राइस को प्रिडेटर माइन नहीं कर सकती. जिसका सीधा-सीधा मतलब होता है कि कंपनी प्रोडक्ट पर डिस्काउंट नहीं दे सकती. अधिवक्ता राजवेंद्र सारस्वत ने कोर्ट को बताया कि गत वर्ष इन कंपनियों को करीब साढ़े सात हजार करोड़ का नुकसान हुआ. लेकिन बाजार पर कब्जा जमाने के उद्देश्य से इस नुकसान को वह सहजता से उठा रहे हैं.
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वहीं उदाहरण देते हुए अधिवक्ता ने बताया कि जिस तरह से पहले बुक स्टॉल पर किताबें बिकती थी लेकिन ऑनलाइन कंपनियों ने 50 से 60 फ़ीसदी डिस्काउंट देते हुए किताबे बेचना शुरू किया. धीरे-धीरे घरेलू बाजार से बुक स्टॉल खत्म हो गई और अब कंपनियों ने डिस्काउंट देना बंद कर दिया. इसके अलावा अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि घरेलू बाजार को खत्म कर पूरे बाजार पर एकाधिकार स्थापित करने के उद्देश्य से इस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं जो कि एफडीआई के नियमों का खुला उल्लंघन है.
वहीं अब इस मामले में आगामी 14 अक्टूबर को फिर सुनवाई होगी जहां केंद्र सरकार की ओर से आगामी सुनवाई पर जवाब पेश करना है. गौरतलब है कि कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं को यह लिबर्टी दी है कि वे इन कंपनियों को ईमेल के माध्यम से नोटिस भेज सकते हैं.