जोधपुर. मारवाड़ में महिलाओं के उपचार की अलग से व्यवस्था आजादी से पहले ही यहां के रियासती राज ने कर दी थी. उनके लिए 1938 में उम्मेद अस्पताल बनाया. जो अपने 85 साल पूरे कर रहा है. 31 अक्टूबर, 1938 को शुरू हुए उम्मेद अस्पताल का जन्मोत्सव शुक्रवार से शुरू हुआ, जो सात दिन चलेगा.
इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने यहां जन्म लेने वाले लोगों को अपने जन्म स्थान पर आने का आह्वान किया है. पहले दिन कई लोग यहां पहुंचे, जिनका यहां जन्म हुआ है. कुछ परिवार तो ऐसे हैं कि जिनकी चार-चार पीढ़ियां यहां जन्मी है. उनका भावनात्मक लगाव भी है. उनका सम्मान भी किया गया. इस मौके पर अस्पताल को सजाया गया. जगह-जगह रंगोलियां बनाई गई. गुरुवार को पूर्व संध्या पर भी रोशनी की गई.
पढ़ें: मारवाड़ के इस अस्पताल का मनाया जाएगा जन्मोत्सव, यहां 10 लाख बच्चे ले चुके हैं जन्म
अस्पताल में अब तक 10 लाख बच्चों का जन्म हो चुका है, जिन्होंने यहां जन्म लिया है, वे यहां आकर सेल्फी प्वाइंट का इस्तेमाल करे. सिग्नेचर वॉल भी बनाई गई है. जहां पर वे अपने हस्ताक्षर कर सकते हैं. अस्पताल में 1949 में जन्मी कौशल्या देवी पहुंची. उनके साथ यहां जन्मी उनकी बेटी और नातिन के साथ बेटी की नातिन भी थी. जिनका सम्मान किया गया.
पढ़ें: हाइकोर्ट की ओर से नियुक्त न्याय मित्रों ने किया उम्मेद अस्पताल का औचक निरीक्षण
धर्म गुरुओं ने दिया आशीर्वाद: अस्पताल के अधीक्षक डॉ अफजल हाकिम ने बताया कि अस्पताल की नींव 1936 में रखी गई थी. 1938 में उम्मेद अस्पताल शुरू हुआ था. यह पूरी तरह से महिलाओं व बच्चों के उपचार को समर्पित मारवाड़ का सबसे बड़ा अस्पताल है. आज अस्पताल के जन्मोत्सव के पहले दिन जन्में नवजात को हिंदू, मुस्लिम, सिख व ईसाई समाज के धर्म गुरूओं ने आशीर्वाद प्रदान किया. अधीक्षक ने बताया कि इन 7 दिनों में महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रखने के लिए व्याख्यान आयोजित होंगे. स्कूल्स में टीमें जाकर जानकारी देगी.
पढ़ें: जोधपुर: बच्चों को Expiry Date की ग्लूकोज चढ़ाने के मामले में खुलासा...
रानी की डिमांड पर बना जनाना अस्पताल: जोधपुर के तत्कालीन महाराजा उम्मेद सिंह ने 1929 में आमजन के लिए विंडम अस्पताल बनवाया जिस अब एमजीएच कहा जाता है. तब उनकी पत्नी ने कहा कि हमें जनाना के लिए भी अलग से अस्पताल चाहिए. इस पर महाराजा ने जनाना अस्पताल बनाने का फैसला लिया. 1936 में नींव रखी, 1938 में अस्पताल बन कर तैयार हुआ. जिसका नाम उम्मेद अस्पताल रखा गया. 12 लाख की लागत से बने अस्पताल का डिजाइन अंग्रेजों ने विदेशी तर्ज पर तैयार किया. वार्ड की उंचाई 12 फिट से ज्यादा रखी गई जिससे गर्मी महसूस नहीं हो.