जोधपुर. जिले में शुक्रवार को जोधपुर ऑफथैलमिक सोसाइटी के तत्वावधान में एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें जोधपुर के सभी नेत्र अस्पताल से डॉक्टर्स ने भाग लिया.
मथुरादास माथुर अस्पताल में जोधपुर ऑफथैलमिक सोसाइटी के तत्वावधान में एक सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार के आयोजन का मुख्य कारण यह है कि प्रदेश सहित पूरे भारत मे वर्तमान समय में ग्लूकोमा से ग्रसित कई मरीज देखने को मिल रहे है. पिछले 10 सालों में ग्लूकोमा के 30 फ़ीसदी केस बड़े हैं. दुनिया भर में आंखों की रोशनी जाने और अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण ग्लूकोमा है. सही समय पर इसका पता ना चलना घातक हो सकता है.
सेमिनार में डॉक्टर गुलाम अली कामदार ने विश्वकर्मा दिवस सप्ताह के समापन पर आम जनता सहित रेजिडेंट डॉक्टर्स को ग्लूकोमा के बारे में जानकारी दी. डॉक्टर ने बताया कि पूरे भारत में लगभग डेढ़ करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित है और यह बीमारी आम नागरिक में 45 साल की उम्र के बाद होने लगती है. लेकिन कई बार यह कम उम्र में भी हो जाती है. डॉ कामदार ने बताया कि 40 वर्ष की आयु के बाद सभी लोगों को ग्लूकोमा का खतरा रहता है .इसलिए आम नागरिक को हर माह नेत्र चिकित्सा विशेषज्ञ पास अपनी आंखों की जांच करवाते रहना चाहिए.
डॉ कामदार ने बताया कि ग्लूकोमा की बीमारी शुगर से ग्रसित मरीजों सहित 45 साल से ऊपर के मरीजों में अधिकतर पाई जाती है और इस बीमारी से निजात पाने के लिए मरीजों को समय-समय पर अस्पताल में जाकर आंखों की जांच करवानी चाहिए.
सेमिनार में डॉ कामदार और उनकी टीम द्वारा आमजन व नेत्र रोगियों को पीपीटी के माध्यम से ग्लूकोमा के बारे में बताया गया और उससे बचने के उपाय बताए गए.