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जोधपुर के गांवों में आज भी संरक्षित है जन्म मृत्यु पंजीयन की अनोखी परंपरा - जोधपुर की खबर

क्या आपको आपके पूर्वजों के नाम याद हैं. शायद ही आप 3 पीढ़ी तक का भी नाम जानते हो. दादा, परदादा और उनके दादा. लेकिन इससे आगे की भी जोधपुर के भोपालगढ़ की बही में देखी जा सकती है. आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जहां चंद नंबर याद रखना भी मुश्किल हो जाता है, वहीं जोधपुर के भोपालगढ़ के इस जगह पर कुछ लोग पूर्वजों के नाम को सहेजे हुए हैं. आपको इनके बही खातों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी सालों पुराने नाम भी मिल जाएंगे.

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गांवों में आज भी संरक्षित है जन्म मृत्यु पंजीयन की अनोखी परम्परा
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Published : Mar 13, 2020, 5:19 PM IST

भोपालगढ़. आज के डिजिटल युग में जहां एक तरफ हर चीज कम्प्यूटराइज्ड हो चुकी है. वहीं दूसरी ओर जोधपुर में इस जगह पर पूवजों के नामावली को बही खातों में संजोकर रखा जा रहा है. सुनने में आपको यह थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है. जोधपुर जिले में राव आज भी बही का वाचन करते हैं. प्राचीन कोटड़ी में बैठकर इस बही का वाचन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

गांवों में आज भी संरक्षित है जन्म मृत्यु पंजीयन की अनोखी परम्परा

पूर्वजों के इतिहास और उत्तरोत्तर नामावली को संरक्षित रख उनके वंशजों को सुनाने की राव बही प्रथा 21 वीं सदी में भी जारी है. गांवों में विभिन्न जातियों के वंशजों में राव के आगमन पर कुटुंब में त्यौहार जैसा उत्साह रहता है. आज भी लोग रावों के लिए विशेष भोजन बनाकर उन्हें दावत देते हैं.

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सृष्टि की उत्पत्ति और भगवान के अवतार से चंद्र और सूर्यवंशी भागों में बांटकर पीढ़ी दर पीढ़ी जन्म तारीख, ननिहाल, ससुराल और जातियों का विस्तृत विवरण डिंगल और पिंगल भाषा में बहियों में मिल जाता है. नामावली बही का सामूहिक वाचन प्रत्येक समाज के अलग-अलग बही भाटों द्वारा किया जाता है.

राव और 'रावों की रोटी'

गांवों में बही भाट 'राव' के लिए बनाए जाने वाले विशिष्ट भोजन को 'रावों की रोटी' कहा जाता है. रावों को सम्बंधित वंशजों की ओर से परिवार के सभी घरों में भोजन के लिए न्योता दिया जाता है. इसमें हलवा, खीर, केर-सांगरी सहित कई प्रकार के विशिष्ट प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं. भोजन के बाद राव श्लोक द्वारा परिवार को मंगलकामना और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

राव बही का वाचन

समस्त परिवार में भोजन के बाद रावों की ओर से परिवार की प्राचीन कोटड़ी में बैठकर ऐतिहासिक बही का वाचन किया जाता है. रावों की बही में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण प्राचीन समय से किया जा रहा है. आदिकाल से इस बही को संरक्षित रखा हुआ है. बही के पूजन के बाद राव उच्च आसन पर बैठकर वंशजों के यशगान और पीढिय़ों का वाचन करते हैं. रावों में आगमन के साथ ही ढाणियों में एक निश्चित बैठक स्थल पर अखंड ज्योति जलाई जाती है. बही वाचन के दौरान परिवार के समस्त सदस्य उसका श्रवण करते हैं.

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पेश होता है नजराना

रावों को उनके समाज वंशजों के घरों में रहवास के दौरान बड़ी खुशी से अतिथि सेवा की जाती है. राव भाट की बही में अपने परिवार के नए सदस्य का नाम दर्ज करवाने पर यजमान नजराना पेश करते हैं. नजराने में यजमान की ओर से हजारों रुपयों की राशि के साथ जेवर और वस्त्र भी दिए जाते हैं.

भोपालगढ़. आज के डिजिटल युग में जहां एक तरफ हर चीज कम्प्यूटराइज्ड हो चुकी है. वहीं दूसरी ओर जोधपुर में इस जगह पर पूवजों के नामावली को बही खातों में संजोकर रखा जा रहा है. सुनने में आपको यह थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है. जोधपुर जिले में राव आज भी बही का वाचन करते हैं. प्राचीन कोटड़ी में बैठकर इस बही का वाचन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

गांवों में आज भी संरक्षित है जन्म मृत्यु पंजीयन की अनोखी परम्परा

पूर्वजों के इतिहास और उत्तरोत्तर नामावली को संरक्षित रख उनके वंशजों को सुनाने की राव बही प्रथा 21 वीं सदी में भी जारी है. गांवों में विभिन्न जातियों के वंशजों में राव के आगमन पर कुटुंब में त्यौहार जैसा उत्साह रहता है. आज भी लोग रावों के लिए विशेष भोजन बनाकर उन्हें दावत देते हैं.

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सृष्टि की उत्पत्ति और भगवान के अवतार से चंद्र और सूर्यवंशी भागों में बांटकर पीढ़ी दर पीढ़ी जन्म तारीख, ननिहाल, ससुराल और जातियों का विस्तृत विवरण डिंगल और पिंगल भाषा में बहियों में मिल जाता है. नामावली बही का सामूहिक वाचन प्रत्येक समाज के अलग-अलग बही भाटों द्वारा किया जाता है.

राव और 'रावों की रोटी'

गांवों में बही भाट 'राव' के लिए बनाए जाने वाले विशिष्ट भोजन को 'रावों की रोटी' कहा जाता है. रावों को सम्बंधित वंशजों की ओर से परिवार के सभी घरों में भोजन के लिए न्योता दिया जाता है. इसमें हलवा, खीर, केर-सांगरी सहित कई प्रकार के विशिष्ट प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं. भोजन के बाद राव श्लोक द्वारा परिवार को मंगलकामना और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

राव बही का वाचन

समस्त परिवार में भोजन के बाद रावों की ओर से परिवार की प्राचीन कोटड़ी में बैठकर ऐतिहासिक बही का वाचन किया जाता है. रावों की बही में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण प्राचीन समय से किया जा रहा है. आदिकाल से इस बही को संरक्षित रखा हुआ है. बही के पूजन के बाद राव उच्च आसन पर बैठकर वंशजों के यशगान और पीढिय़ों का वाचन करते हैं. रावों में आगमन के साथ ही ढाणियों में एक निश्चित बैठक स्थल पर अखंड ज्योति जलाई जाती है. बही वाचन के दौरान परिवार के समस्त सदस्य उसका श्रवण करते हैं.

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पेश होता है नजराना

रावों को उनके समाज वंशजों के घरों में रहवास के दौरान बड़ी खुशी से अतिथि सेवा की जाती है. राव भाट की बही में अपने परिवार के नए सदस्य का नाम दर्ज करवाने पर यजमान नजराना पेश करते हैं. नजराने में यजमान की ओर से हजारों रुपयों की राशि के साथ जेवर और वस्त्र भी दिए जाते हैं.

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