जोधपुर. पाकिस्तान के सिंध से आए जोधपुर के सिंधी समाज की दिवाली पर अलग परम्परा है. जिसके तहत लक्ष्मी पूजन के बाद सबसे पहले छिपकली को देखने और उसे कुंकुम लगाया जाता है. इसके अलावा मिट्टी और लकड़ी के तिनकों से बने मेलूडा को जलाकर पूरे घर में घुमाते (Sindhi community burn Meluda on Diwali) हैं. जिससे साल भर घर में कोई बुराई नहीं आए और हमेशा सुख और वैभव बना रहे.
जोधपुर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में बहुतायत सिंधी परिवार निवास करते हैं. इसी क्षेत्र में दुकानों पर मेलूडा की बिक्री होती है. जोधपुर सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष राम तौलानी का कहना है कि यह परंपरा हमारी बरसों पुरानी है. हमारे पूर्वज इस पंरपरा का निर्वाहन करते आए हैं, हम भी इसकी पालना कर रहे हैं. किसी जमाने में घर में ही मेलूडा बनाया जाता था. लेकिन अब बाजार में बना बनाया मिलता है. मेलूडा दिखने में काफी आकर्षक होते है. मिट्टी से बने बर्तननुमा वस्तु पर लकड़ी के पतले डंडे जिन पर रंग बिरंगे पेपर लगे होते है. दिवाली के दिन ही ज्यादातर इनकी बिक्री होती है. कहा जाता है कि इसे घर में जलाने के बाद सभी कमरों में घुमाया जाता है, जिससे किसी तरह की कोई विपदा नहीं आए.
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छिपकली का दिखना सौभाग्य: सिंधी समाज में दिवाली की पूजा के बाद छिपकली को देखना शुभ माना जाता है. दिखने पर उस पर कुमकुम के छींटे लगाए जाते है. जबकि मारवाड़ में अक्षय तृतिया के दिन सामान्य लोग भी छिपकली को देखने के लिए मशक्कत करते हैं. मान्यता है कि इस दिन छिपकली दिखने पर मनोकामना पूर्ण होती है.