लूणी (जोधपुर). नई शिक्षा नीति 2020 को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने प्रेस वार्ता कर के इसकी जानकारी दी. जिसके बाद शुक्रवार को लूणी स्थित पाल रोड भवानी आदर्श विद्या मंदिर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर गोष्ठी आयोजित की गई.
इस कार्यक्रम के दौरान विद्यालय प्रांगण में मुख्य अतिथि के द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया. इसी दौरान विद्या भारती के पूर्व संरक्षक और अध्यक्ष स्वर्गीय प्रोफेसर जीवनलाल माथुर को 2 मिनट का मौन रखकर सादर श्रद्धांजलि दी गई.
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अखिल भारतीय संस्कृति बोध के संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि सन 2014 से पहले मानस अंग्रेजी पद्धति पर आधारित नई शिक्षा नीति को सफल बनाने हेतु सभी को सक्रिय भूमिका निभानी होगी. इस उद्देश्य को लेकर ऑनलाइन के माध्यम से गोष्ठी आयोजित की गई.
इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी, 1912 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे यानि 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है. पूर्व इसरो प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने इसका मसौदा तैयार किया था. जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. वहीं नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं.
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नई शिक्षा नीति 2020 की मुख्य बातें-
- नई शिक्षा नीति में पांचवी क्लास तक मातृभाषा स्थानीय क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई हैं इससे क्लास 8 या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी. हालांकि नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा.
- साल 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर के साथ माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है.
- अभी स्कूल से दूर रहने वाले दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्यधारा में लाया जाएगा. इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी.
- स्कूल पाठ्यक्रम के 10+2 ढाचे की जगह 5+3+3+4 का नया पाठ्यक्रम संरचना लागू किया जाएगा. जो क्रमशः 3-8, 8-11,11-14 और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए हैं. इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है. जिससे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षण के रूप में मान्यता दी गई है.
- नई प्रणाली में फ्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनबाड़ी होगी. इसके तहत छात्राओं की शुरुआती स्टेज की पढ़ाई के लिए तीन सालों की प्री प्राइमरी, पहली और दूसरी क्लास को रखा गया है. इसके बाद मिडिल स्कूल यानी 6- 8 कक्षा में सब्जेक्ट का इंट्रोडक्शन कराया जाएगा. सभी छात्र केवल तीसरी, पांचवी और आठवीं कक्षा में परीक्षा देंगे.
- 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा पहले की तरह जारी रहेगी. लेकिन बच्चों के समग्र विकास करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इन्हें नया स्वरूप दिया जाएगा. जिससे एक नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र समग्र विकास के लिए कार्य प्रदर्शन आकलन समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण एक मानक निर्धारित के रूप में स्थापित किया जाएगा.
- एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा.
- स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं पाठ्यक्रम गतिविधियां और व्यवसायिक शिक्षा के बीच खास अंतर नहीं किया जाएगा.
- सामाजिक और आर्थिक नजरिए से वंचित समूहों ( SEDG) की शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाएगा.
- शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (एनपीएसटी) की राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा. जिसके लिए एनसीईआरटी एससीआरटी शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेष के संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा.
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 गोष्ठी आयोजित के दौरान प्रधानाचार्य उगम सिंह राठौड़, संगीता चोरड़िया, अशोक गहलोत, गोविंद सिंह खेतावत, ओम प्रकाश माहेश्वरी, संगीता जोशी, राजेंद्र सांखला, जय प्रकाश दवे सहित सरकारी अध्यापक व गणमान्य लोग मौजूद रहे.