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भोपालगढ़ क्षेत्र में मौसम के बदलाव से किसानों पर जीरे की चिंता सताने लगी, जीरा बन सकता जीव का बेरी

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Published : Jan 14, 2020, 10:10 AM IST

जीरा एक बार फिर किसानों के जीव का बैरी बन गया है. बादलों की फांस में एक बार फिर जीरे की जान उलझ कर रह गई है। मौसम में हुए बदलाव से बढ़ी नमी और आकाश में छाए बादलों से जीरे की फसल पर खतरा मंडराने लगा है.

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भोपालगढ़ में जीरे की फसल पर मंडराने लगा झुलसा रोग का खतरा

भोपालगढ़ (जोधपुर). जिले में एक महीने से अधिक की आयु पार कर चुके जीरे की फसल पर झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है. इससे जिले के किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरे खिंचने लगी है.

गौरतलब है कि जोधपुर और जैसलमेर जिले के किसान पहले ही अरंडी और सरसों की फसलों का नुकसान झेल चुके हैं. अब बादलों ने जीरे की फसल को एक बार फिर संकट में डाल दिया है. अपनी लहलहाती फसल को देख दमक रहे किसानों के चेहरों से खुशी काफूर हो गई है और वह फसल को बचाने के उपायों में जुटे हैं.

भोपालगढ़ में जीरे की फसल पर मंडराने लगा झुलसा रोग का खतरा

किसान रामनिवास जाखड़ ने बताया कि जीरे की फसल में फूल आने शुरू होने के बाद आकाश में बादल छाए रहे तो झुलसा या ब्लाइट रोग की आशंकाएं बढ़ जाती हैं. किसानों को जीरे की फसल को बचाने के लिए सावधानी बरतनी होगी. फसल को खराबे से बचाने के लिए किसानों को समय-समय पर जीरे के पौधों पर दवाइयों का छिड़काव करना होगा.

दूसरे किसान का कहना है कि आकाश में बादल छाने से जीरे में झुलसा रोग हो सकता है, इससे जीरा काला पड़ कर खारा हो जाता है. किसानों को इसे सहेजने के लिए पूरी सावधानी बरतनी होगी. उनकी ओर से फसल को सहेजने में बरती गई थोड़ी सी लापरवाही बड़ा नुकसान करा सकती है.

इस रोग में पौधों की पत्तियों और तनों पर गहरे भूरे बैंगनी रंग के धब्बे पड़ जाते हैं तथा पौधों के शीर्ष भाग जमीन की तरफ झुकने लगते हैं. जीरे में यह रोग अत्यधिक तेजी से फेलता है और लक्षण दिखाई देते ही प्रबंधन के उपाय करने आवश्यक हो जाते हैं. अगर रोग पर नियंत्रण न हो तो फसल में भारी नुकसान की संभावना रहती है.

यह भी पढ़ें : दिल्ली से मीडिया को बुलाकर भाजपा ने जेके लोन अस्पताल और कोटा को बदनाम किया: मंत्री शांति धारीवाल

ऐसे बरते सावधानी

आकाश में बादल छाने से वातावरण में नमी बढ़ जाएगी और इससे कीट का प्रकोप बढ़ सकता है. किसानों को फसलों को कीटों के प्रकोप से बचाने के लिए नियमित खेत की रखवाली करनी होगी. वातावरण में बढ़ी नमी से सभी फसलों के लिए नुकसानदायक है. जीरे में फसल आना शुरू होते ही झुलसा रोग से बचाव शुरू करने की जरूरत है. इसके लिए डायथेन एम 45 का 2.3 ग्राम एक लीटर पानी की दर से 10 से 15 दिन या आकाश में बादल रहने तक छिड़काव दोहराएं.

भोपालगढ़ (जोधपुर). जिले में एक महीने से अधिक की आयु पार कर चुके जीरे की फसल पर झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है. इससे जिले के किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरे खिंचने लगी है.

गौरतलब है कि जोधपुर और जैसलमेर जिले के किसान पहले ही अरंडी और सरसों की फसलों का नुकसान झेल चुके हैं. अब बादलों ने जीरे की फसल को एक बार फिर संकट में डाल दिया है. अपनी लहलहाती फसल को देख दमक रहे किसानों के चेहरों से खुशी काफूर हो गई है और वह फसल को बचाने के उपायों में जुटे हैं.

भोपालगढ़ में जीरे की फसल पर मंडराने लगा झुलसा रोग का खतरा

किसान रामनिवास जाखड़ ने बताया कि जीरे की फसल में फूल आने शुरू होने के बाद आकाश में बादल छाए रहे तो झुलसा या ब्लाइट रोग की आशंकाएं बढ़ जाती हैं. किसानों को जीरे की फसल को बचाने के लिए सावधानी बरतनी होगी. फसल को खराबे से बचाने के लिए किसानों को समय-समय पर जीरे के पौधों पर दवाइयों का छिड़काव करना होगा.

दूसरे किसान का कहना है कि आकाश में बादल छाने से जीरे में झुलसा रोग हो सकता है, इससे जीरा काला पड़ कर खारा हो जाता है. किसानों को इसे सहेजने के लिए पूरी सावधानी बरतनी होगी. उनकी ओर से फसल को सहेजने में बरती गई थोड़ी सी लापरवाही बड़ा नुकसान करा सकती है.

इस रोग में पौधों की पत्तियों और तनों पर गहरे भूरे बैंगनी रंग के धब्बे पड़ जाते हैं तथा पौधों के शीर्ष भाग जमीन की तरफ झुकने लगते हैं. जीरे में यह रोग अत्यधिक तेजी से फेलता है और लक्षण दिखाई देते ही प्रबंधन के उपाय करने आवश्यक हो जाते हैं. अगर रोग पर नियंत्रण न हो तो फसल में भारी नुकसान की संभावना रहती है.

यह भी पढ़ें : दिल्ली से मीडिया को बुलाकर भाजपा ने जेके लोन अस्पताल और कोटा को बदनाम किया: मंत्री शांति धारीवाल

ऐसे बरते सावधानी

आकाश में बादल छाने से वातावरण में नमी बढ़ जाएगी और इससे कीट का प्रकोप बढ़ सकता है. किसानों को फसलों को कीटों के प्रकोप से बचाने के लिए नियमित खेत की रखवाली करनी होगी. वातावरण में बढ़ी नमी से सभी फसलों के लिए नुकसानदायक है. जीरे में फसल आना शुरू होते ही झुलसा रोग से बचाव शुरू करने की जरूरत है. इसके लिए डायथेन एम 45 का 2.3 ग्राम एक लीटर पानी की दर से 10 से 15 दिन या आकाश में बादल रहने तक छिड़काव दोहराएं.

Intro:भोपालगढ़ में जीरे की फसल में होने लगे रोग ,किसानों को लगी चिंताBody:जीरा एक बार फिर किसानों के जीव का बैरी बन गया है। बादलों की फांस में एक बार फिर जीरे की जान उलझ कर रह गई है। मौसम में हुए बदलाव से बढ़ी नमी और आकाश में छाए बादलों से जीरे की फसल पर खतरा मंडराने लगा है। एक महीने से अधिक की आयु पार कर चुके जीरे पर झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है। इससे जिले के किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरे खिंचने लगी है।Conclusion:जीरे की फसल पर संकट के बादल, जीरा भोपालगढ़ के किसानों के लिए जीव का बेरी बन सकता
भोपालगढ़।
जीरा एक बार फिर किसानों के जीव का बैरी बन गया है। बादलों की फांस में एक बार फिर जीरे की जान उलझ कर रह गई है। मौसम में हुए बदलाव से बढ़ी नमी और आकाश में छाए बादलों से जीरे की फसल पर खतरा मंडराने लगा है। एक महीने से अधिक की आयु पार कर चुके जीरे पर झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है। इससे जिले के किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरे खिंचने लगी है। गौरतलब है कि जोधपुर और जैसलमेर जिले के किसान पहले ही अरंडी और सरसों की फसल नुकसान झेल चुके हैं। अब बादलों ने जीरे की फसल को एक बार फिर संकट में डाल दिया है। अपनी लहलहाती फसल को देख दमक रहे किसानों के चेहरों से खुशी काफूर हो गई है और वह फसल को बचाने के उपायों को करने में जुटे हैं।
किसान रामनिवास जाखड़ ने बताया कि जीरे की फसल में फूल आने शुरू होने के बाद आकाश में बादल छाए रहे तो झुलसा या ब्लाइट रोग की आशंकाएं बढ़ जाती है। किसानों को जीरे की फसल को बचाने के लिए सावधानी बरतनी होगी। फसल को खराबे से बचाने के लिए किसानों को समय समय पर जीरे की पौधों पर दवाइयों का छिड़काव करना होगा। आकाश में बादलों छाने से जीरे में झुलसा रोग हो सकता है, इससे जीरा काला पड़ कर खारा हो जाता है। किसानों को इसे सहेजने के लिए पूरी सावधानी बरतनी होगी। उनकी ओर से फसल को सहेजने में बरती गई थोड़ी सी लापरवाही बड़ा नुकसान करा सकती है। इस रोग में पौधों की पत्तियों और तनों पर गहरे भूरे बैंगनी रंग के धब्बे पड़ जाते हैं तथा पौधों के शीर्ष भाग जमीन की तरफ झुकने लगते हैं। जीरे में यह रोग अत्यधिक तेजी से फैलता है तथा लक्षण दिखाई देते ही प्रबंधन के उपाय करने आवश्यक हो जाते हैं। अगर रोग पर नियंत्रण न हो तो फसल में भारी नुकसान की संभावना रहती है।
आकाशमें बादल छाने से वातावरण में नमी बढ़ जाएगी और इससे कीट का प्रकोप बढ़ सकता है। किसानों को फसलों को कीटों के प्रकोप से बचाने के लिए नियमित खेत की रखवाली करनी होगी। वातावरण में बढ़ी नमी से सभी फसलों के लिए नुकसानदायक है। जीरे में फसल आना शुरू होते ही झुलसा रोग से बचाव शुरू करने की जरूरत है। इसके लिए डायथेन एम 45 का 2.3 ग्राम एक लीटर पानी की दर से 10 से 15 दिन या आकाश में बादल रहने तक छिड़काव दोहराएं।

बाईट-- रामनिवास जाखड़, किसान
बाईट-- सुमेरराम देवड़ा, किसान
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