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Rajasthan High Court: करदाताओं का पैसा धार्मिक भवन के निर्माण पर ना हो उपयोग, कंस्ट्रक्शन पर लगाई रोक - प्रस्तावित दरगाह निर्माण पर रोक

वन भूमि में अतिक्रमण कर धार्मिक स्थल बनाने को लेकर (religious building in forest land in Jodhpur) दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई में राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या राय है कि करदाताओं का पैसा धार्मिक भवन के निर्माण में उपयोग नहीं लिया जाना चाहिए.

Rajasthan High Court on religious building on forest land, says taxpayers money should not be used for it
करदाताओं का पैसा धार्मिक भवन के निर्माण पर ना हो उपयोग, कंस्ट्रक्शन पर लगाई रोक
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Published : Feb 1, 2023, 8:49 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई में कहा कि प्रथम दृष्ट्या राय है कि करदाताओं का पैसा धार्मिक भवन के निर्माण के उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने वन क्षेत्र की भूमि पर प्रस्तावित दरगाह निर्माण पर रोक लगाते हुए वन विभाग से रिपोर्ट मांगी है कि वन क्षेत्र में कितना अतिक्रमण है और उसको हटाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ के समक्ष हरियाली और प्राकृतिक पर्यावरण विकास संस्थान की ओर से पेश याचिका पर सुनवाई हुई.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका में बताया कि जोधपुर के मंडोर के पास वन भूमि है जो कि आरक्षित है. वहां पर दरगाह तन्हापीर का निर्माण किया जा रहा है, जिसके लिए नगर निगम की ओर से टेंडर भी जारी किया गया, जो निरस्त हो चुका है. दरगाह के अलावा भी वन भूमि पर बहुत सा अतिक्रमण है. जबकि राजस्थान में वन भूमि कानून 1953 से लागू है. तब से अब तक जितने भी अतिक्रमण हुए हैं, उनको हटाया जाये ओर वन भूमि को यथावत रखा जाये.

पढ़ें: राजस्थान : पुलिस थानों में अब नहीं हो सकेगा पूजा स्थलों का निर्माण, आदेश जारी

कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रथम दृष्ट्या राय है कि करदाताओं का पैसा धार्मिक निर्माण के उपयोग नहीं लिया जाना चाहिए. कोर्ट ने तन्हापीर दरगाह के प्रस्तावित निर्माण पर रोक लगाते हुए किसी प्रकार का निर्माण नहीं करने के लिए कहा है. कोर्ट ने वन विभाग के एएजी संदीप शाह को निर्देश दिए हैं कि विभाग की ओर से शपथ पत्र पेश करें कि विचाराधीन वन भूमि पर कितना अतिक्रमण विद्यमान है. उसको हटाने के लिए कोई कदम उठाए हैं तो वो भी बताएं. कोर्ट ने इसके साथ ही स्थगन प्रार्थना पत्र निस्तारित कर दिया. वहीं याचिका को चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए हैं.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई में कहा कि प्रथम दृष्ट्या राय है कि करदाताओं का पैसा धार्मिक भवन के निर्माण के उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने वन क्षेत्र की भूमि पर प्रस्तावित दरगाह निर्माण पर रोक लगाते हुए वन विभाग से रिपोर्ट मांगी है कि वन क्षेत्र में कितना अतिक्रमण है और उसको हटाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ के समक्ष हरियाली और प्राकृतिक पर्यावरण विकास संस्थान की ओर से पेश याचिका पर सुनवाई हुई.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका में बताया कि जोधपुर के मंडोर के पास वन भूमि है जो कि आरक्षित है. वहां पर दरगाह तन्हापीर का निर्माण किया जा रहा है, जिसके लिए नगर निगम की ओर से टेंडर भी जारी किया गया, जो निरस्त हो चुका है. दरगाह के अलावा भी वन भूमि पर बहुत सा अतिक्रमण है. जबकि राजस्थान में वन भूमि कानून 1953 से लागू है. तब से अब तक जितने भी अतिक्रमण हुए हैं, उनको हटाया जाये ओर वन भूमि को यथावत रखा जाये.

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कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रथम दृष्ट्या राय है कि करदाताओं का पैसा धार्मिक निर्माण के उपयोग नहीं लिया जाना चाहिए. कोर्ट ने तन्हापीर दरगाह के प्रस्तावित निर्माण पर रोक लगाते हुए किसी प्रकार का निर्माण नहीं करने के लिए कहा है. कोर्ट ने वन विभाग के एएजी संदीप शाह को निर्देश दिए हैं कि विभाग की ओर से शपथ पत्र पेश करें कि विचाराधीन वन भूमि पर कितना अतिक्रमण विद्यमान है. उसको हटाने के लिए कोई कदम उठाए हैं तो वो भी बताएं. कोर्ट ने इसके साथ ही स्थगन प्रार्थना पत्र निस्तारित कर दिया. वहीं याचिका को चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए हैं.

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