जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने किसान ऋण माफी योजना को लेकर पूर्व के आदेश की पालना में शपथ पत्र प्रस्तुत करने का अंतिम अवसर देते हुए कहा कि अनुपालना नही होने पर प्रमुख सचिव सहकारिता विभाग राजस्थान सरकार व्यक्तिगत रूप होकर स्पष्टीकरण पेश करे. जस्टिस डॉ पुष्पेन्द्र सिंह भाटी व जस्टिस राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ सिमरथाराम व भंवरलाल की याचिका पर सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित व अधिवक्ता निखिल डुंगावत ने पैरवी करते हुए कहा कि पूर्व के आदेशों की पालना नही हो रही है. 03 नवम्बर को सरकार को शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए थे, जिसमें वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-2020 के लिए कितनी सहकारी समितियों की ऑडिट करवाई गई है और उसमें कितनी समितियों में विसंगतिया है उसकी जानकारी देनी थी, लेकिन अभी तक शपथ पत्र पेश नही किया गया है.
पढ़ें: एसीबी के तत्कालीन एएसपी सहित 3 पुलिसकर्मियों को अवमानना नोटिस
अधिवक्ता राजपुरोहित ने कहा कि किसान ऋण माफी योजना के सम्बंध में उक्त वित्तीय वर्षो की ऑडिट अभी तक नही करवाई गई है. कोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की गई है जिसके अनुसार किसान ऋण माफी योजना में रामलाल सैन ने करीब पौने चार करोड़ रूपए से ज्यादा की धोखाधड़ी की है और केवल सोसायटी अधिनियम के अनुसार राशि की वसूली की सिफारिश की गई है. कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि 21 अक्टूबर 2022 ,08 मई 2023 व 03 नवम्बर 2023 के आदेश की अनुपालना करते हुए शपथ प्रस्तुत किया जाए. कोर्ट ने कहा कि यदि इन आदेशो की अनुपालना नही की जाती है तो 05 फरवरी को अगली सुनवाई प्रमुख सचिव सहकारिता विभाग राजस्थान सरकार व्यक्तिगत रूप से पेश होकर स्पष्टीकरण पेश करे जो भी आदेश दिए उनकी अनुपालना क्यों नही हुई.