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Rajasthan High Court: वाइस प्रिंसिपल की काउंसलिंग पर अंतरिम रोक, अगले आदेश तक राजस्थान में नहीं होंगे पदस्थापन

राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में (stay on the counseling of the Vice Principal) वाइस प्रिंसिपल के पदस्थापन के लिए होने वाली काउंसलिंग पर अंतरिम रोक लगा दी है.

Rajasthan High Court,  stay on the counseling of the Vice Principal
राजस्थान हाईकोर्ट.
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Published : May 5, 2023, 10:14 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की सरकारी स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल के पदस्थापन के लिए होने वाली काउंसलिंग पर अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस विनीत कुमार माथुर की बैंच ने अंग्रेजी विषय के प्राध्यापक याचिकाकर्ता अजय कुमार रोहिल्ला सहित अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया. हाईकोर्ट के इस अहम आदेश के बाद प्रदेश में अब वाइस प्रिंसिपल का पदस्थापन फिलहाल नहीं हो सकेगा.

कोर्ट की यह रोक फिलहाल 29 मई तक प्रभावी रहेगी. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विवेक श्रीमाली ने कहा कि विभिन्न विषयों के प्राध्यापकों ने अपनी वरिष्ठता सूची की कानूनी वैधता को चुनौती दी है. अधिवक्ता श्रीमाली ने कोर्ट को बताया कि पिछले 50 वर्षों से राज्य सरकार की ओर से प्राध्यापकों की वरिष्ठता का निर्धारण राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से जारी नियुक्ति की अनुशंसा की दिनांक के आधार पर किया जाता रहा है. राज्य सरकार ने इस बार वरिष्ठता सूची का प्रकाशन याचिकाकर्ताओं के प्रतिवेदन को दरकिनार करते हुए मनमाने तरीके से नियमों का उल्लघंन करते हुए पदस्थापन की दिनांक के आधार पर कर दिया है.

पढ़ेंः Rajasthan High Court: प्रार्थना पत्र लंबित रहना आदेश की पालना नहीं करने का आधार नहीं

राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि यह प्रक्रिया विधि सम्मत है और इसमें हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है. कोर्ट ने अधिवक्ता श्रीमाली के तर्को से सहमत होते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया कि जब तक यह न्यायिक बिंदु तय नहीं हो जाता, राज्य सरकार की ओर से सभी प्राध्यापकों की वाइस प्रिंसिपल पद पर पदोन्नति के बाद उनके आगामी पदस्थापन के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया पर रोक रहेगी.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की सरकारी स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल के पदस्थापन के लिए होने वाली काउंसलिंग पर अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस विनीत कुमार माथुर की बैंच ने अंग्रेजी विषय के प्राध्यापक याचिकाकर्ता अजय कुमार रोहिल्ला सहित अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया. हाईकोर्ट के इस अहम आदेश के बाद प्रदेश में अब वाइस प्रिंसिपल का पदस्थापन फिलहाल नहीं हो सकेगा.

कोर्ट की यह रोक फिलहाल 29 मई तक प्रभावी रहेगी. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विवेक श्रीमाली ने कहा कि विभिन्न विषयों के प्राध्यापकों ने अपनी वरिष्ठता सूची की कानूनी वैधता को चुनौती दी है. अधिवक्ता श्रीमाली ने कोर्ट को बताया कि पिछले 50 वर्षों से राज्य सरकार की ओर से प्राध्यापकों की वरिष्ठता का निर्धारण राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से जारी नियुक्ति की अनुशंसा की दिनांक के आधार पर किया जाता रहा है. राज्य सरकार ने इस बार वरिष्ठता सूची का प्रकाशन याचिकाकर्ताओं के प्रतिवेदन को दरकिनार करते हुए मनमाने तरीके से नियमों का उल्लघंन करते हुए पदस्थापन की दिनांक के आधार पर कर दिया है.

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राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि यह प्रक्रिया विधि सम्मत है और इसमें हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है. कोर्ट ने अधिवक्ता श्रीमाली के तर्को से सहमत होते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया कि जब तक यह न्यायिक बिंदु तय नहीं हो जाता, राज्य सरकार की ओर से सभी प्राध्यापकों की वाइस प्रिंसिपल पद पर पदोन्नति के बाद उनके आगामी पदस्थापन के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया पर रोक रहेगी.

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