जोधपुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कभी भी हो सकता है. दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा में प्रत्याशी चयन को लेकर मंथन चल रहा है. कांग्रेस में दावेदारियां ली जा रही हैं. इस बीच बाड़मेर शिव से विधायक अमीन खां ने 70 से ज्यादा की उम्र के प्रत्याशियों के टिकट काटने की स्थिति में अपनी जगह अपने बेटे शेर मोहम्मद के लिए खुलकर टिकट मांगा है. मारवाड़ के नेताओं की अपनी राजनीतिक विरासत सहेजने की पुरानी पंरपरा रही है. जिसके चलते समय रहते नेता दूसरी पीढ़ी को मैदान में उतारते रहे हैं. जिसके तहत कई परिवारों की दूसरी पीढ़ी विरासत संभाल भी रही हैं.
इस बार अपने परिवार के लिए टिकट की वकालत करने वाले अकेले अमीन खां ही नहीं हैं. कई नेता अंदर खाने में तैयारी कर रहे हैं, तो कइयों ने दूसरी पीढ़ी को बागडोर संभला दी है. इस चुनाव में कितने नेता अपने परिवार के सदस्यों को अपनी पार्टी से टिकट दिलाने में कामयाब हो पाते हैं, यह तो आने वाला समय बताएगा. लेकिन इतना तय है कि अगर पार्टियां उम्र का कोई बेरीकेड लगाती हैं, तो कई नए चेहरे मैदान में नजर आएंगे.
यह कर रहे हैं तैयारी: अमीन खां खुलकर अपनी जगह अपने बेटे शेर मोहम्मद के लिए शिव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट मांग चुके हैं. इसी तरह से गुढामलानी से कदृावर जाट नेता और मंत्री हेमाराम चौधरी इस बार चुनाव लड़ने के मूड में नहीं है. उनकी जगह बेटी सुनीता दावेदार हो सकती है. उनके सामने तीन बार से भाजपा से चुनाव लड़ रहे लादूराम विश्नोई की जगह उनके बेटे केके विश्नोई भी दावेदारी हैं.
केके विश्नोई सतीश पूनिया की कार्यकारिणी में प्रदेश मंत्री रहे हैं. भोपालगढ़ विधानसभा से पूर्व मंत्री स्व नरपतराम बरवड की पत्नी अपनी बेटी गीता बरवड के लिए कांग्रेस का टिकट मांग रही है. इसी तरह से पूर्व विधायक भंवर बलाई के पुत्र अरुण बलाई भी भोपालगढ से कांग्रेस का टिकट मांग रहे हैं. कांग्रेस के टिकट पर दो बार चुनाव लड़ चुके स्व जेफू खां के पुत्र इंसाफ अपने लिए सूरसागर से टिकट मांग रहे हैं.
इनको मिल चुकी है विरासत:
- मारवाड़ में कई राजनीतिक परिवार अपनी दूसरी पीढ़ी को मैदान में उतार विरासत सौंप चुके हैं. इनमें कदृावर विश्नोई नेता स्व रामसिंह विश्नोई के बाद उनके पुत्र मलखान सिंह विधायक बने. उनके भंवरी मामले में आरोपी होने पर 2013 में उनकी मां अमरी देवी को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया जबकि गत बार उनके पुत्र महेंद्र सिंह विश्नोई लूणी से विधायक चुने गए.
- खांटी जाट नेता स्व परसराम मदेरणा के बाद उनके पुत्र महिपाल मदेरणा भोपालगढ़ से विधायक चुने गए. उनके भंवरी मामले में आरोपी बनने के बाद उनकी पत्नी लीला मदेरणा को टिकट मिला. गत बार उनकी बेटी दिव्या मदेरणा ओसियां से विधायक चुनी गई.
- नागौर के डेगाना से कांग्रेस से कई बार विधायक चुने गए रिछपाल मिर्धा के पुत्र विजयपाल मिर्धा को गत चुनाव में पार्टी ने टिकट दिया. वे डेगाना से विधायक चुने गए.
- खिंवसर से विधायक चुने जाने के बाद लोकसभा चुनाव जीत कर दिल्ली गए हनुमान बेनीवाल ने उपचुनाव में अपने भाई नारायण बेनीवाल को आरएलपी से लड़ाया, नारायण विधायक चुने गए.
- जाट नेता स्व रामनिवास मिर्धा के बेटे हरेंद्र मिर्धा उनके बाद नागौर की राजनीति में उतरे. विधायक चुनने के बाद कैबिनेट मंत्री भी रहे. गत चुनाव हार गए थे. इस बार हरेंद्र के बेटे रघुवेंद्र मिर्धा भी पिता की सीट से टिकट मांग रहे हैं. दोनों की प्रतिस्पर्धा सामने आ चुकी है.
- स्व नाथूराम मिर्धा के बेटे भानूप्रकाश मिर्धा उनके बाद भाजपा से सांसद चुने गए. इसी तरह से उनकी पौत्री ज्योति मिर्धा भी नागौर से कांग्रेस की सांसद रह चुकी हैं.
- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को भी सक्रिय राजनीति में उतार चुके हैं. 2019 में कांग्रेस पार्टी ने वैभव गहलोत को जोधुर संसदीय क्षेत्र से टिकट दिया था, लेकिन वैभव हार गए. इस बार विधानसभा चुनाव में भी वैभव गहलोत सक्रिय है. माना जा रहा है कि वे इसबार भी लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे.
- कांग्रेस से मंत्री शेरगढ के राजपूत नेता स्व खेतसिंह राठौड़ के भतीजे उमेद सिंह को कांग्रेस ने तीन बार टिकट दिया तीनों बार हार गए. गत बार उनकी पत्नी मीना कंवर को उतारा, वह जीत गई. इस बार भी वह दावेदारी कर रही हैं.
- पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा के कदृावर नेता रहे स्व जसवंतसिंह जसोल के बाद उनके बेटे मानवेंद्र सिंह जसोल ने राजनीतिक विरासत संभाली, सांसद और विधायक चुने गए. बाद में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया.