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जोधपुर: बिलाड़ा क्षेत्र में हुई अच्छी बारिश, फसलों को मिला जीवनदान

जोधपुर के बिलाड़ा क्षेत्र में गुरुवार शाम को मानसून की अच्छी बारिश होने से फसलों को नया जीवनदान मिला है, जिससे किसानों के चहरे खिल उठे हैं. बता दें कि सावन के महीने में मानसून की अच्छी बारिश नहीं होने से यहां खेतों में खड़ी फसलें मुरझाने लगी थीं.

Rains in Bilara, किसानों को राहत, Bilara Jodhpur News
जोधपुर के बिलाड़ा क्षेत्र में हुई बारिश
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Published : Jul 30, 2020, 10:26 PM IST

बिलाड़ा (जोधपुर). जिले के बिलाड़ा क्षेत्र में गुरुवार शाम को जमकर बारिश हुई. उपखंड के तिलवासनी, घणामगरा, लांबा, कापरड़ा, बोयल, बाला और भावी क्षेत्र में सावन के आखिरी सप्ताह में मानसून की अच्छी बारिश होने से मुरझाई फसलों को नया जीवनदान मिला है, जिससे किसानों के चहरे खिल उठे हैं.

Rains in Bilara, किसानों को राहत, Bilara Jodhpur News
जोधपुर के बिलाड़ा में बारिश होने से फसलों को मिला जीवनदान

पढ़ें: विधानसभा सत्र आहूत होने तक सभी विधायक होटल में ही रुकेंगेः सीएम गहलोत

गौरतलब है कि सावन के महीने में जहां हमेशा हरियाली नजर आती रही है. वहीं, इस साल यहां दिन में चिलचिलाती धूप के कारण हजारों हेक्टयर के खेतों में खड़ी फसले फसलें चौपट होने के कगार पर पहुंच गई थी. सावन के महीने में मानसून की अच्छी बारिश नहीं होने से यहां खेतों में खड़ी फसलें मुरझाने लगी थीं. लेकिन, गुरुवार शाम को क्षेत्र के कुछ इलाकों में अच्छी बारिश होने से किसानों के चेहरे पर छाई मायूसी पर थोड़ा विराम लगा है.

पढ़ें: Special : रक्षाबंधन पर कोरोना का 'ग्रहण'...बहनें खुद बना रहीं राखियां

साथ ही बता दें कि बिलाड़ा उपखंड के हजारों किसान परिवार इस साल कोरोना महामारी और टिड्डी हमले से भी परेशान थे. इस बीच जुलाई के पहले सप्ताह में मानसून की नाम मात्र की बरसात हुई. 10 दिन पहले हुई हल्की बरसात के बाद किसान खेत में मूंग, बाजरा, तिल, ज्वार और मूगंफली की फसलों की निराई-गुड़ाई में लग गए थे. लेकिन, अब तक अच्छी बारिश नहीं होने से उनकी चिंता बढ़ रही थी. चारों ओर किसानों के मन में अकाल का डर सताने लगा था. सावन के महीने में कम बरसात होने से पशुओं के सामने चारे का संकट भी मंडराने लगा था. इस विकट परिस्थिति में हुई मानसून की पहली अच्छी बारिश ने किसान के चेहरों पर रौनक लौटा दी है.

बिलाड़ा (जोधपुर). जिले के बिलाड़ा क्षेत्र में गुरुवार शाम को जमकर बारिश हुई. उपखंड के तिलवासनी, घणामगरा, लांबा, कापरड़ा, बोयल, बाला और भावी क्षेत्र में सावन के आखिरी सप्ताह में मानसून की अच्छी बारिश होने से मुरझाई फसलों को नया जीवनदान मिला है, जिससे किसानों के चहरे खिल उठे हैं.

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गौरतलब है कि सावन के महीने में जहां हमेशा हरियाली नजर आती रही है. वहीं, इस साल यहां दिन में चिलचिलाती धूप के कारण हजारों हेक्टयर के खेतों में खड़ी फसले फसलें चौपट होने के कगार पर पहुंच गई थी. सावन के महीने में मानसून की अच्छी बारिश नहीं होने से यहां खेतों में खड़ी फसलें मुरझाने लगी थीं. लेकिन, गुरुवार शाम को क्षेत्र के कुछ इलाकों में अच्छी बारिश होने से किसानों के चेहरे पर छाई मायूसी पर थोड़ा विराम लगा है.

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साथ ही बता दें कि बिलाड़ा उपखंड के हजारों किसान परिवार इस साल कोरोना महामारी और टिड्डी हमले से भी परेशान थे. इस बीच जुलाई के पहले सप्ताह में मानसून की नाम मात्र की बरसात हुई. 10 दिन पहले हुई हल्की बरसात के बाद किसान खेत में मूंग, बाजरा, तिल, ज्वार और मूगंफली की फसलों की निराई-गुड़ाई में लग गए थे. लेकिन, अब तक अच्छी बारिश नहीं होने से उनकी चिंता बढ़ रही थी. चारों ओर किसानों के मन में अकाल का डर सताने लगा था. सावन के महीने में कम बरसात होने से पशुओं के सामने चारे का संकट भी मंडराने लगा था. इस विकट परिस्थिति में हुई मानसून की पहली अच्छी बारिश ने किसान के चेहरों पर रौनक लौटा दी है.

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