जोधपुर. राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्रदेश के निजी अस्पताल सरकारी योजनाओं का बॉयकाट कर रहे हैं. 15 दिनों से 90 फीसदी से अधिक निजी अस्पताल चिरंजीवी और आरजीएचएस से जुड़े मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं. इतना ही नहीं अब निजी अस्पताल संचालकों ने चिरंजीवी योजना के तहत अनुबंध पत्र यानी एमओयू करने से दूरी बना ली है.
हाल ही में चिरंजीवी योजना का एक वर्ष पूरा हुआ था. जिसके चलते अनुबंध के नवीनीकरण की प्रक्रिया चल रही है. जोधपुर में सीएमएचओ कार्यालय ने सभी निजी अस्पतालों को 15 फरवरी को निर्देश जारी कर 21 फरवरी तक प्रक्रिया पूरी करने को कहा. लेकिन शहर में चिरंजीवी योजना से जुड़े 61 अस्पतालों में से आधे ने भी अपने एमओयू नहीं किए. जोधपुर सीएमएचओ डॉ जितेंद्र पुरोहित का कहना है कि हम प्रयास कर रहे हैं कि सभी अस्पतालों का एमओयू हो जाए, जिससे योजना का संचालन हो सके.
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एमओयू नहीं तो बाध्यता खत्म: निजी अस्पतालों का चिरंजीवी योजना में काम करने के लिए राजस्थान स्टेट हेल्थ एश्यारेंस एजेंसी के साथ एमओयू करना होता है. इसका जिम्मा संबंधित जिले के सीएमएचओ कार्यालय को दिया गया है. निजी अस्पताल जानबूझ कर इसमें देरी कर रहे हैं. जिससे एमओयू नहीं होगा, तो सरकार उनके उपचार के लिए बाध्य नहीं कर सकेगी. इसके लिए जयपुर में बनी निजी अस्पतालों की जाइंट एक्शन कमेटी ने सभी को सीएमएचओ कार्यालय में एमओयू लंबित करने के लिए पत्र भेजने का प्रारूप भी भेजा है. जोधपुर आईएमए के अध्यक्ष डॉ सिद्धार्थराज लोढा का कहना है कि सरकार राईट टू हेल्थ बिल में कई बातों को लेकर हमें नाराजगी है. इसको लेकर हमारा विरोध जारी है.
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परेशानी सरकारी अस्पताल व कर्मचारियों को: निजी अस्पतालों द्वारा सरकारी योजना का किए जा रहे बहिष्कार के चलते सरकारी अस्पतालों में भीड़ बढ़ गई है. क्योंकि चिंरजीवी योजना में जरूरतमंदों को निशुल्क उपचार निजी अस्पताल में मिलता था. अब जिनके पास राशि है, वे भुगतान कर उपचार करवा रहे हैं. जबकि गरीब सरकारी अस्पताल में जाने को मजबूर हैं. इसी तरह से सरकारी कर्मचारी जिनको सरकार ने ओपीडी व इंडोर निजी अस्पतालों में कैशलेस सुविधा दे रखी है, लेकिन बहिष्कार के चलते सभी कर्मचारी परेशान हैं. वे भी भुगतान कर उपचार करवा रहे हैं, उनको पुर्नभुगतान भी नहीं होगा.