जोधपुर. राजस्थान में बड़ी संख्या में पाक विस्थापित परिवार रहते हैं. लेकिन राज्य भर में हो रहे कोरोना वैक्सीनेशन (corona vaccination) से ये लोग वंचित हैं. इन लोगों को कोरोना का टीका (corona vaccination) न लगने की वजह वैध पहचान पत्र का न होना है. इस मामले में राजस्थान हाई कोर्ट भी गहलोत सरकार पर नाराजगी जता चुका है. कोर्ट की फटकार से पहले ईटीवी भारत ने प्रमुखता से जोधपुर में रह रहे पाक विस्थापित बस्तीयों में पहुंचकर ग्राउंड रिपोर्ट कर हकीकत दिखाई थी.
कोर्ट की फटकार के बावजूद मुख्यमंत्री के गृहनगर जोधपुर में बड़ी संख्या में रह रहे पाक विस्थापितों (pakistani migrants) परिवारों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लग रही है. हम एक बार फिर हकीकत जानने के लिए ग्राउंड पर पहुंचे और वैक्सीनेशन को लेकर जानकारी जुटाई.
जब ईटीवी भारत ने शहर के गंगाणा चौखा क्षेत्र की सात आठ बस्तियों की पड़ताल की तो सामने आया है कि यहां डेढ़ महीने पहले दो कोरोना वैक्सीनेशन कैप लगे थे. यह कैंप भी सिर्फ 45+ के लोगों के लिए थे जिसमें करीब 250 लोग शामिल हुए. ये वो लोग थे जिनके पास पास भारतीय नागरिकता और आधार कार्ड था.
18 से 44 वर्ष की उम्र के युवाओं में अभी तक किसी को भी टीका नहीं लगा है. मौके के हालात विभागीय दावों की पोल खोलते नजर आते हैं. यहां रह रहे पाक विस्थापितों ने बताया कि वर्तमान में करीब 700 से 800 ऐसे परिवार हैं जिनको अभी नागरिकता नहीं मिली है. इनके पास भारतीय पहचान पत्र नहीं है. कोरोन के चलते इन परिवारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.
भारतीय नागरिकता हासिल कर चुके भागचंद भील कहते हैं- बाड़मेर में हमारे रिश्तेदारों को पाकिस्तान के पासपोर्ट के आधार पर टीका लगाया गया. लेकिन जोधपुर में अभी इसकी पालना नहीं हो रही है. जबकि कोर्ट तक इसकी पालना के लिए निर्देश दे चुका है.
पाक विस्थापित शीतल कहते हैं- दूसरी डोज के लिए भी जो केंप था उसमें 70 लोगों को टीके लगे थे उसके बाद वापस कोई टीम नहीं आई है.
जोधपुर में हजारों पाक विस्थापितों को नागरिकता का इंतजार-
जोधपुर में पाक विस्थापित परिवार करीब 20 क्षेत्रों में रह रहे हैं. वर्तमान में 8 से 10 हजार लोगों को अभी तक नागरिकता मिलने का इंतजार है. इनके पास कोई भारतीय पहचान पत्र नहीं है जिसकी वजह से इनको कोरोना टीका नहीं लग पा रहा है.
कैंप लगने के विभागीय दावे सिर्फ कागजों में-
जोधपुर के मुख्य चिकित्सा एवं सवास्थ्य अधिकारी डॉ. बलवंत मंडा का कहना है कि केंद्र सरकार की एसओपी के आधार पर पाक विस्थापितों को टीके लगाए जा रहे है. कोर्ट के निर्देश के बाद से शिविर लगाए जा रहे हैं डॉ. बलवंत के ये दावे हमारी ग्राउंड रिपोर्ट से बिलकुल अलग थे.
सबसे बड़ी बाधा क्या है?
राजस्थान में रह रहे कई पाक विस्थपितों के पास खुद का आधार कार्ड नहीं है. ये एक बड़ी बाधा है जिस वजह से उन्हें कोरोना का टीका नहीं लगाया जा रहा है. गहलोत सरकार को भी इस बात की दुविधा है कि इन पाक विस्थापितों को किस श्रेणी में कोरोना की वैक्सीन लगाई जाए. इसी उलझन की वजह से प्रक्रिया में देरी हुई. हाईकोर्ट की तरफ से राज्य सरकार को फटकार लगी लेकिन फिर भी हालत अभी भी जस के तस हैं.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा था?
गहलोत सरकार ने कोर्ट को बताया था कि पाक विस्थापितों को कोरोना वैक्सीन लगाने को तैयार हैं, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें वैक्सीन लगाने के लिए कोई अलग एसओपी नहीं दिया गया है. इस पर हाई कोर्ट ने इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया गया था.
कोर्ट ने जोर देकर कहा था कि पाक विस्थापितों को वैक्सीन लगाने के लिए अलग से निर्देश देने की कोई जरूरत नहीं है. वहीं इस बात की भी जानकारी दी गई है कि केंद्र की तरफ से पहले ही कहा गया है कि जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें भी वैक्सीन लगानी है. ऐसे में पाक विस्थापितों को भी इसी कड़ी में समय रहते वैक्सीन लगनी चाहिए.
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हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में सरकारी आंकड़े और अधिकारियों की तरफ से किए जा रहे दावे बिलकुल अलग दिखे. जोधपुर में रह रहे इन पाक विस्थापित परिवारों को अभी भी कोरोना वैक्सीन का इंतजार है. इन लोगों के मुताबिक, अभी तक 45+ उम्र वाले लोगों को वैक्सीन नहीं लगी फिर 18 से 44 उम्र वाले युवाओं को कब तक कोरोना टीका मिलेगा पता नहीं.