जोधपुर. एलोपैथी में जिन असाध्य रोगों का उपचार नहीं होता है उनके लिए उपचार की आखिरी किरण आयुर्वेद बनती जा रही है. जोधपुर के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय में सेरेब्रल पाल्सी, ऑटिज्म जैसे जन्मजात रोगों से पीड़ित बच्चों को इस उपचार से लाभ मिल रहा है. विश्वविद्यालय के बालरोग उपचार विभाग में इन रोगों का उपचार औषधियों के साथ-साथ पंचकर्म से किया जा रहा है, जो पूरी तरह निःशुल्क है.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति बताते हैं कि इसके लिए हमने अलग से बाल पंचकर्म विंग बनाई है. देश के कई हिस्सों से यहां उपचार के लिए अभिभावक अपने बच्चों को लेकर आ रहे हैं. सेरेब्रल पाल्सी एडीएचडी (Attention Deficit Hyperactivity Disorder), ऑटिज्म, मेंटल डिसऑर्डर और अन्य बिमारियों के रूप में सामने आ रहे हैं, जिनका यहां उपचार हो रहा है.
पंचकर्म में मस्तिष्क को सक्रिय करने की क्रियाएं : बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. प्रेम प्रकाश व्यास का कहना है कि इन रोगों के उपचार में औषधियों के साथ ही पंचकर्म से अच्छे परिणाम सामने आए हैं. हमारे विभाग के डॉक्टर ऐसे रोगियों पर पूरी मेहनत कर रहे हैं. एसोसिएट प्रो. डॉ दिनेश राय का कहना है कि सेरेब्रल पाल्सी में मस्तिष्क डेड होता है. यह गर्भावस्था में ही होता है. हम ऐसी दवाइयां देते हैं, जिससे वह धीरे-धीरे सक्रिय होता है. पंचकर्म में मस्तिष्क को सक्रिय करने की क्रियाएं होती हैं.
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केस 1 : दो बार में ही सुधार
प्रयागराज से आईं प्रो. मीनाकुमारी मिश्र के साढे चार साल का बेटा ऑटिज्म से पीड़ित है. वह दिल्ली एम्स और गंगाराम अस्पताल में लंबा उपचार करवा चुकी हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ तो जोधपुर आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संपर्क किया. मीना दो बार अपने बच्चे को लेकर आ चुकी हैं और लगातार उसमें सुधार हो रहा है. वह बताती हैं कि ऑटिज्म के चलते वह बोलता नहीं था, लेकिन अब वह बोलने लगा है. उसकी गतिविधियां भी बदल गई हैं.
केस 2 : एडीएचडी से पीड़ित बालिका का इलाज
भीवाड़ी से आईं वनीता अपनी आठ साल की बेटी का इलाज करवा रही हैं. वह एडीएचडी से पीड़ित है. इसमें बच्चा हाइपर हो जाता है. वनीता का कहना है कि वह बेटी को एलोपैथी का ट्रीटमेंट हर स्तर पर दे चुकी हैं. कहीं से कोई लाभ नहीं मिला तो जोधपुर आ गईं. यहां तीन माह से बेटी का उपचार करवा रही हैं. वनीता के अनुसार इससे काफी फायदा हुआ है. बेटी की हाइपर एक्टिविटी कम हुई है. विश्वास है कि लगातार उपचार से वो पूरी तरह से ठीक हो जाएगी.
माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ का बेटा भी इस बीमारी से ग्रसित : हमारे आस पास भी बहुत से ऐसे बच्चे देखने मिल जाते हैं जो शारीरिक या मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होते या सेरेब्रल पाल्सी नामक बीमारी से जूझ रहे होते हैं. वर्ष 2017 में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ (CEO) सत्या नडेला की किताब हिट रिफ्रेश प्रकाशित हुई थी, जिसमें उन्होंने सेरेब्रल पाल्सी से जूझ रहे अपने बेटे से जुड़ी कई बातों का उल्लेख किया था.
क्या होती है सेरेब्रल पाल्सी : सेरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. इसमें मस्तिष्क बुरी तरह से प्रभावित होता है. इसका कारण जन्म के तुरंत बाद बच्चे के दिमाग में ऑक्सीजन की कमी या जन्म के समय मस्तिष्क के किसी हिस्से में चोट लगना होता है. मस्तिष्क पर हुए दुष्प्रभाव से मांसपेशियों से जुड़ी समस्या होने लगती हैं. ये तीन साल से अधिक उम्र के 1,000 में से लगभग 2 से 3 बच्चों को होती है.
यह है पाल्सी के रूप : ऑटिज्म और एडीएचडी भी सेरेब्रल पाल्सी का एक रूप है. एडीएचडी का असर बच्चे की 7 साल की उम्र तक सामने आता है, जबकि ऑटिज्म दो से तीन साल की उम्र के बाद तेजी से बच्चे में बढ़ता है. इसमें बच्चा चुप रहता है, उसे बोलने में तकलीफ होती है. बच्चों का सामान्य बनना बहुत मुश्किल होता है. फिजिकल डिसऑर्डर होने पर संभावनाएं लगभग खत्म हो जाती है.
क्या होता है पंचकर्म : आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य का शरीर 5 तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु से बना है. जब शरीर में इन 5 तत्वों के अनुपात में गड़बड़ी होती है तो दोष यानी समस्याएं पैदा होती हैं. आयुर्वेद इन तत्वों को फिर से सामान्य स्थिति में लाता है, जिसे लाने के लिए पांचकर्म किए जाते हैं. यह पांच कर्म स्नेहन, स्वेदन, वस्ति, नस्य और रक्त मोक्षण होते हैं. इनके माध्यम से रोगों का निदान होता है.