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पशुओं के चारा-पानी के लिए हर वर्ष पशुपालक करते हैं पलायन - Rajasthan News

सिरोही जिले के पशुपालकों को हर वर्ष पशुओं के चारा-पानी के लिए पलायन करना पड़ता है. इन दिनों जोधपुर के लूणी में सिरोही जिले के देवासी समाज के लोग 500 पशुओं के साथ सरेंचा रोड पर तंबू लगाकर अपना डेरा लगाए बैठे हुए हैं.

सिरोही के पशुपालकों का पलायन,  migrate of cattleman of Sirohi
पशुपालकों का पलायन
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Published : Feb 26, 2020, 8:03 PM IST

Updated : Feb 26, 2020, 9:29 PM IST

लूणी (जोधपुर). सिरोही जिले के पशुपालकों को हर वर्ष पशुओं के चारा-पानी के लिए पलायन करना पड़ता है. इस पलायन के कारण बच्चों की शिक्षा भी बाधित होती है. गांव में चारा और पशुओं के लिए जगह नहीं मिलने के कारण हजारों किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है.

पशुपालकों का पलायन

इन दिनों जोधपुर के लूणी में सिरोही जिले के देवासी समाज के लोग 500 पशुओं के साथ सरेंचा रोड पर तंबू लगाकर अपना डेरा लगाए बैठे हुए हैं. देवासी समाज के ये सभी सिरोही जिले के शिवगंज तहसील में शुली गांव के निवासी हैं. ग्रामीण भीमाराम ने बताया, कि इस समय गांव में रबी की फसल में जीरा, रायड़ा, चना, अरंडी आदि फसलें बोई गई है. इसके कारण गांव में चारा और पशुओं के लिए जगह नहीं मिल रही है.

पढ़ें- बूंदी हादसा: घटनास्थल पर पहुंचे पूर्व मंत्री पर बिफरे लोगों ने फेंकी मिट्टी, पुलिस ने किया बीच-बचाव

भीमाराम का कहना है, कि जहां पशुओं को पानी और चारा मिल जाता है, वे वहीं अपना डेरा जमा कर बैठ जाते हैं. ये ग्रामीण अपने साथ 500 पशुओं की देखभाल भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया, कि इन पशुओं से होने वाले दूध को बेचकर वे आजीविका और पशुओं का पालन करते हैं. उनकी कमाई का भी यही एकमात्र साधन है.

ग्रामीणों का कहना है कि पशुओं के पलायन के कारण बच्चे शिक्षा नहीं ग्रहण कर पाते हैं. उनका कहना है, कि वे सरकार से भी मदद की मांग की है, लेकिन सरकार उनकी नहीं सुन रहे हैं. उन्होंने कहा, कि अगर गांव में ही पशुओं के लिए रहने की जगह उपलब्ध हो जाए तो उनको पलायन नहीं करना पड़ेगा. उनका कहना है कि वे हर साल 6 महीने के लिए इसी तरह गांव-गांव घूमते हैं.

लूणी (जोधपुर). सिरोही जिले के पशुपालकों को हर वर्ष पशुओं के चारा-पानी के लिए पलायन करना पड़ता है. इस पलायन के कारण बच्चों की शिक्षा भी बाधित होती है. गांव में चारा और पशुओं के लिए जगह नहीं मिलने के कारण हजारों किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है.

पशुपालकों का पलायन

इन दिनों जोधपुर के लूणी में सिरोही जिले के देवासी समाज के लोग 500 पशुओं के साथ सरेंचा रोड पर तंबू लगाकर अपना डेरा लगाए बैठे हुए हैं. देवासी समाज के ये सभी सिरोही जिले के शिवगंज तहसील में शुली गांव के निवासी हैं. ग्रामीण भीमाराम ने बताया, कि इस समय गांव में रबी की फसल में जीरा, रायड़ा, चना, अरंडी आदि फसलें बोई गई है. इसके कारण गांव में चारा और पशुओं के लिए जगह नहीं मिल रही है.

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भीमाराम का कहना है, कि जहां पशुओं को पानी और चारा मिल जाता है, वे वहीं अपना डेरा जमा कर बैठ जाते हैं. ये ग्रामीण अपने साथ 500 पशुओं की देखभाल भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया, कि इन पशुओं से होने वाले दूध को बेचकर वे आजीविका और पशुओं का पालन करते हैं. उनकी कमाई का भी यही एकमात्र साधन है.

ग्रामीणों का कहना है कि पशुओं के पलायन के कारण बच्चे शिक्षा नहीं ग्रहण कर पाते हैं. उनका कहना है, कि वे सरकार से भी मदद की मांग की है, लेकिन सरकार उनकी नहीं सुन रहे हैं. उन्होंने कहा, कि अगर गांव में ही पशुओं के लिए रहने की जगह उपलब्ध हो जाए तो उनको पलायन नहीं करना पड़ेगा. उनका कहना है कि वे हर साल 6 महीने के लिए इसी तरह गांव-गांव घूमते हैं.

Last Updated : Feb 26, 2020, 9:29 PM IST
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