जोधपुर. जिला प्रमुख के पद पर लीला मदेरणा (Leela Maderna) निर्वाचित हुई हैं. 50 सदस्य वाली जिला परिषद में कांग्रेस को निर्वाचित 21 सदस्यों के मत मिले तो भाजपा को 16 मत मिले. आंकड़ों में किसी भी तरह की क्रॉस वोटिंग नजर नहीं आती है. दोनों पार्टियों के नेताओं के मानें तो इक्का-दुक्का वोटों की क्रॉस वोटिंग हुई है लेकिन आंकड़ों में कोई फर्क नहीं आया है.
कांग्रेस के नेताओं को इस बात की खुशी है कि कांग्रेस का प्रमुख बन गया. चुनाव जीतने के बाद लीला मदेरणा ने इसका श्रेय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Gehlot) को दिया तो दिव्या मदेरणा ने कहा कि कांग्रेस आम जनता की जरूरत है. मैं हमेशा आम जनता के लिए काम करती रहूंगी. उन्होंने इशारों में अपने दादा स्वर्गीय परसराम मदेरणा की ओर से लगाए जाने वाली टोपी को लेकर कहा कि अभी भी टोपी का असर कायम है.
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जिला प्रमुख बनने के बाद एक बार फिर मदेरणा परिवार की जिले में राजनीतिक पकड़ मजबूत होगी. लीला मदेरणा के जिला प्रमुख निर्वाचित होने के बाद संगठन प्रभारी रामलाल जाट, सह प्रभारी प्रशांत बैरवा, पर्यवेक्षक रामेश्वर दाधीच, जेडीए के पूर्व चेयरमैन राजेंद्र सिंह सोलंकी सहित अन्य नेताओं ने बधाई दी.
1982 से 2003 तक महिपाल रहे प्रमुख
जोधपुर के पहले जिला प्रमुख कद्दावर नेता खेत सिंह राठौड़ 1961 में बने थे. 1982 में खेतसिंह राठौड राज्य की राजनीति में चले गए. उसके बाद 1982 में महिपाल मदेरणा जिला प्रमुख बने. जिन्होंने 2003 में विधानसभा चुनाव लडने की वजह से पद छोड़ा था. जिसके बाद कुछ समय के लिए सहीराम विश्नोई जिला प्रमुख बने. इसके बाद उपचुनाव हुआ जिसमें मुन्नी गोदारा करीब एक साल के लिए जिला प्रमुख बनी.
इसके बाद भाजपा की अमिता चौधरी जिला प्रमुख बनी. जबकि उस समय कांग्रेस के पास बहुमत था. लेकिन बताया जा रहा है कि मदेरणा परिवार की मेहरबानी से क्रॉस वोटिंग से वह चुनी गई. इसके बाद कांग्रेस की दुर्गा देवी जिला प्रमुख बनी. 2015 में भाजपा के पूनाराम जिला प्रमुख बने थे. अब करीब 18 साल बाद मदेरणा परिवार से लीला मदेरणा जिला प्रमुख बनी है.
दिव्या मदेरणा रही सक्रिय
नामांकन में विवाद होने के बाद दिव्या मदेरणा सक्रिय रही तो सभी सदस्यों को वोटिंग के लिए बस से लाया गया. दिव्या मदेरणा खुद एक-एक के नाम जांच कर अंदर भेजती रही. लेकिन इस दौरान जब मुन्नी गोदारा आई तो दिव्या ने उनका का अभिवादन तक नहीं किया. जबकि बाकी सभी महिला सदस्यों को गले तक लगाया.
बाड़ाबंदी से निकली मुन्नी गोदारा
इस मतदान की प्रक्रिया के दौरान सबसे पहले मुन्नी गोदारा बाहर निकली और चली गई. दोपहर बाद पाली के पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ के सीने में दर्द होने से वे बीमार हो गए. उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जाखड़ ने अपनी बेटी मुन्नी को प्रमुख बनाने का पूरा प्रयास किया लेकिन कांग्रेस का सिंबल नही दिलवा सके.