जोधपुर. भारत की पहल पर 2023 को मिलट ईयर के रूप में पूरी दुनिया मना रही है. जिससे मोटे अनाज का उपयोग बढ़ सके. भारत सरकार भी लोगों को मोटा अनाज खाने के लिए प्रेरित करने का लगातार प्रयास कर रही है. इसमें जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) भी लगातार काम कर रहा है. यहां बने मोटे अनाज के उत्पाद जी-20 की बैठकों में परोसे जा रहे हैं. उत्पादन बढे़ इसके लिए भी प्रयास हो रहे हैं.
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ग्लूटेन फ्री होने से बढ़ी मांगः अब काजरी ने इससे और आगे जाकर मोटे अनाज को मिलाकर बीकानेरी भूजिया की तरह भूजिया तैयार कर लिया है. बीकानेर भुजिया में मोठ का प्रयोग होता है. वहीं जोधपुर के काजरी में बाजरे के साथ मूंग मिलाकर अधिक पौष्टिक उत्पाद तैयार कर दिया है. जिसका स्वाद भुजिया जैसा ही है. जोधपुर काजरी ने बिट्स पिलानी की तकनीकी सहायता से गांवों में महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर इसे आगे बढ़ाया है. खास बात यह भी है कि इस उत्पाद को फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) ने भी बेचने के लिए प्रमाणित कर दिया है. काजरी की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. प्रतिभा तिवारी के अनुसार बाजरा का सर्वाधिक उत्पादन राजस्थान में होता है. ग्लूटेन फ्री होने से इसकी मांग भी बढ़ी है. इससे बने भुजिया स्वादिष्ट व गुणवत्तापूर्ण हैं. ग्रामीण महिलाओं के माध्यम से इस उत्पाद को आगे बढ़ाने का प्रयास है. वे अपना व्यवसाय शुरू कर सकती हैं.
कुरकुरापन होता है अधिकः बाजार में बीकानेरी भुजिया पीले रंग का मिलता है. वहीं बाजरे से बना भुजिया हल्के भूरे रंग का बनता है. इसमें मौजूद हस्क की वजह से यह मूंग व मोठ के भुजिया की अपेक्षा ज्यादा कुरकुरा होता है. इसे बच्चे व बडे़ सुबह नाश्ते में भी उपयोग कर सकते हैं. इससे पेट में किसी तरह की परेशानी नहीं होती है. सभी तरह की जांच के बाद ही इसे फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड ऑथरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने सर्टीफाइड किया है. बाजरे से बने भुजिया में प्रत्येक सौ ग्राम में 12 ग्राम प्रोटीन, 60 प्रतिशत कार्बाेइड्रेट, 8 ग्राम वसा होती है.