लूणी (जोधपुर). अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऑडिटोरियम सभागार भवन में किशोरावस्था, किशोर स्वास्थ्य समस्याओं और समाधान को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में जोधपुर के 20 विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया.
इस कार्यशाला के दौरान एम्स के श्रम रोग विभाग, स्त्री रोग विभाग, मनोरोग विभाग, फॉरेस्टसर्जन विभाग, शिशु रोग विभाग के डॉक्टरों द्वारा विद्यार्थियों को शारीरिक और मानसिक विकास पर उद्बोधन दिया. डॉक्टर अभिषेक ने बताया कि बाल्यावस्था में हमेशा बच्चों को सही संतुलन रखना चाहिए. जिससे बच्चों के मन में विपरीत भावना पैदा ना हो सके.
साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों की मानसिक विकास पर एक से आठवीं तक और आठवीं से बाहर तक के बच्चों को मानसिक और शारीरिक सोच अलग-अलग होती है, जो बच्चों के माता-पिता पर निर्भर करती है.
बच्चों का किस तरह से भविष्य बनाना चाहिए. आज के युग में बच्चों के माता-पिता बच्चों को कोचिंग के लिए ज्यादा महत्व रखते हैं. जिससे शिक्षा के साथ अन्य ज्ञान संबंधी को समझ सके. लेकिन डॉक्टर का कहना है कि बच्चों को विद्यालय के स्तर पर ही अधिक शिक्षा का महत्व देना चाहिए. ताकि विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों को नई शिक्षा संबंधी ज्ञान प्राप्त हो सके.
साथ ही उन्होंने कहा कि लड़का और लड़की के संबंध में जानकारी दी गई और स्वास्थ्य के लिए खाने-पीने जैसी बीमारियां डायबिटीज मोटापा आदि को कैसे कम किया जाता है. डॉक्टर ने इस पर सलाह दी गई. साथ ही बच्चों को 2 घंटे से अधिक मोबाइल टीवी का उपयोग नहीं करना चाहिए. जिससे बच्चों का मानसिक संतुलन बना रहे. इस कार्यशाला में एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टर और विद्यालय के प्रिंसिपल सहित बच्चों के माता-पिता ने भाग लिया.