जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में रजिस्ट्रार सहकारी समितियां की ओर से अतिरिक्त हलफनामा पेश किया गया. जिसमें माना कि वर्ष 1990 से 2019 तक 2361 सहकारी समितियां में अनियमितताओं की शिकायतें मिली (Irregularities found in 2361 cooperative societies) हैं. जिस पर आवश्यक जांच के बाद कानूनी कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश कुलदीप माथुर की खंडपीठ के समक्ष एएजी सुधीर टांक के साथ रजिस्ट्रार सहकारी समितियां मुक्तानन्द अग्रवाल ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अतिरिक्त हलफनामा पेश किया.
रजिस्ट्रार ने बताया गया कि वर्षों पुराने प्रकरणों के निस्तारण के लिए कई बार निर्देश जारी किए जा चुके हैं. वर्ष 1990 से 2019 तक 2361 मामलों में शिकायतें प्राप्त हुईं, जिन पर जांच पूरी होने के बाद कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए दो माह का समय मांगा गया है. कोर्ट ने दो माह का समय देते हुए 13 दिसम्बर, 2022 को मामले पर सुनवाई के लिए निर्देश दिए हैं. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ऋण माफी योजना में अनियमितताएं होने पर सिमरथाराम व अन्य की ओर से याचिकाएं दायर की गई. अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित व निखिल डुंगावत ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा.
राजपुरोहित ने कहा कि अनियमितताओं को लेकर सिवाना विधायक हमीरसिंह भायल ने एक सवाल विधानसभा में प्रस्तुत किया. जिसमें अनियमितताओं एवं धोखाधड़ी में लिप्त सोसायटी की जानकारी मांगी थी. राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में बताया गया कि 2361 सोसायटियां अनियमितताओं में लिप्त पाई गई हैं. जबकि वसूलियां केवल 32 सोसायटियों से ही की जानी है. अधिवक्ता राजपुरोहित ने विधानसभा कार्यवाही की प्रति रिकार्ड पर पेश की थी. जिस पर रजिस्ट्रार सहकारी समितियां का हलफनामा मांगा था, लेकिन उस पर हाईकोर्ट ने असंतोष जताते हुए रजिस्ट्रार को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था.