जोधपुर. देश में चिकित्सा के सर्वोच्च संस्थान एम्स जोधपुर में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ की गर्भवती पत्नी का इलाज एम्स में ना करने और इसके बाद हुए गर्भपात की घटना से क्षुब्ध एम्सकर्मी द्वारा अपने संस्थान में न्याय की गुहार लगाना अब उसे भारी पड़ता नजर आ रहा है. इस घटना को करीब 1 महीने का समय हो गया है.
1 महीने बाद प्रबंधन ने मेडिसिन विभाग के डॉक्टर एनके गर्ग की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया गया. जिसके समक्ष एम्स के नर्सिंग अधिकारी नरेश स्वामी और उनकी पत्नी नेहा 16 जून को इस उम्मीद के साथ पेश हुए थे कि उन्हें न्याय मिलेगा, लेकिन पीड़िता ने बताया कि उससे डॉक्टरों ने पुलिस इंटेरोगेशन की तरह सवाल किए. इसके साथ ही उसकी दिव्यांगता का भी मजाक उड़ाया. यहां तक कहा कि तुम लोगों ने इस मामले को बहुत आगे तक पहुंचा दिया है तो तुम्हें सबक सिखाना पड़ेगा.
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दरअसल, नरेश स्वामी की पत्नी नेहा शहर के बाहरी इलाके में रहती है. 17 मई को उसे रक्त स्त्राव होने पर नरेश ने पहले डॉक्टर से बात करने का प्रयास किया. उसके बाद वह अपनी पत्नी को लेकर एम्स की इमरजेंसी पहुंचा, लेकिन वहां मौजूद गायनी विभाग की डॉक्टर ने कहा कि उसे विभागाध्यक्ष का आदेश है कि जो लोग कोरोना के कंटेनमेंट जोन में रहते हैं उनका उपचार नहीं करना है. ऐसे में मैं आपकी मदद नहीं कर सकती आप कहीं बाहर चले जाओ.
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उसके बाद नरेश स्वामी अपनी पत्नी को लेकर निजी अस्पताल में गया जहां उसकी पत्नी का गर्भपात हो गया. इसके बाद नरेश स्वामी के समर्थन में एम्स की नरसिंह वेलफेयर एसोसिएशन ने भी उन से निवेदन किया कि वे इस मामले की जांच कराए. इस दौरान नरेश स्वामी का आरोप है कि उसे कई बार बुलाकर प्रताड़ित किया गया. जब उन्होंने इस पूरे मामले की शिकायत हर स्तर पर की तब कही एम्स प्रबंधन ने जांच के लिए आदेश दिए. जिसमें 5 डॉक्टरों की कमेटी बनाई गई.
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नेहा स्वामी ने बताया कि जब वह जांच कमेटी के सामने पहुंची तो पहले उनके मोबाइल फोन रखवा लिए गए और उनसे लगातार सवाल पूछे गए. उस समय मौके पर दोषी डॉक्टर भी मौजूद रही, लेकिन उससे किसी तरह का सवाल नहीं पूछा गया. नरेश और नेहा के दोनों दिव्यांग भी है, इनके एक संतान है. नेहा के पहले भी एक गर्भपात हो चुका है ऐसा में कमेटी के डॉक्टरों ने कहा कि जब पहले गर्भपात हुआ तो तुम ने डॉक्टरों को क्यों नहीं फंसाया. फिलहाल इस पूरे मामले में एम्स प्रबंधन ने अभी तक चुप्पी साध रखी है.