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पुलिस विभाग को पुन: नियुक्ति के आदेश जारी करने के निर्देश, रिव्यू मेरिट के बाद विभाग ने दिए थे हटाने के आदेश

Instructions for issuing re appointment orders, राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस भर्ती मामले में रिव्यू मेरिट के बाद मेरिट से बाहर होने वाले याचिकाकर्ताओं को पुलिस कांस्टेबल के पद की सेवा समाप्त करने के आदेश को निरस्त करते हुए राहत दी है. वहीं, पुलिस विभाग को कहा कि उनकी सेवाएं समस्त परिलाभों के साथ निरंतर जारी रखने के आदेश जारी किए जाए.

Rajasthan High Court
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 22, 2023, 10:06 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्रसिंह भाटी ने पुलिस भर्ती मामले में रिव्यू मेरिट के बाद मेरिट से बाहर होने वाले याचिकाकर्ताओं को पुलिस कांस्टेबल के पद की सेवा समाप्त करने के आदेश को निरस्त करते हुए राहत दी है. वहीं, पुलिस विभाग को कहा कि उनकी सेवाएं समस्त परिलाभों के साथ निरंतर जारी रखने के आदेश जारी किए जाए. नीरजा कुमारी व अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामदेव पोटलिया ने पैरवी करते हुए कहा कि पुलिस विभाग ने कांस्टेबल भर्ती 2019 के लिए एक विज्ञापन जारी किया था. याचिकाकर्ताओं ने भर्ती में आवेदन किया था व लिखित परीक्षा में सफल होने पर शारीरिक दक्षता परीक्षा भी सफलतापूर्वक पास की थी. अंतिम परिणाम जारी करने के बाद याचिकाकर्ताओं को चयनित घोषित करते हुए ट्रेनिग पर भेजा गया और ट्रेनिंग के बाद नियुक्ति दी गई.

इस दौरान उक्त भर्ती में कुछ चयन से वंचित अभ्यर्थियों ने जयपुर हाईकोर्ट बैंच में याचिका दायर की थी और याचिका में एक्सपर्ट कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे. पुलिस मुख्यालय ने रिव्यू चयन बोर्ड का गठन कर 1 जून, 2022 को एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें चयन सूची से बाहर होने वाले व कट ऑफ से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति से हटाने और नवचयनित अभ्यर्थियों को चयन व नियुक्ति आदेश प्रदान करने के संबंध में जिला मुख्यालय व बटालियन को आदेश जारी किया.

इसे भी पढ़ें - नियुक्तियों के बावजूद...विभागों में हजारों पद रिक्त, सरकार का ध्यान केवल लंबित भर्तियों पर

पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद संबंधित जिला पुलिस मुख्यालय व बटालियन की ओर से जून 2022 में एक आदेश जारी कर सेवा समाप्त कर दी गई. सेवा समाप्त होने पर कुछ याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता रामदेव पोटलिया के जरिए याचिकाए पेश की. जिसमें बताया गया कि करीबन 15-16 महिने पुलिस विभाग के अधीन कांस्टेबल पद पर संतोषजनक सेवाकार्य कर रहे हैं और अब पुलिस विभाग द्वारा स्थायी भी कर दिया गया है.

याचिकाकर्ताओं को हटाने से पूर्व पुलिस विभाग की ओर से किसी भी प्रकार की सुनवाई का अवसर व नोटिस नहीं दिया गया. याचिकाकर्ताओं को पूर्व में मेरिट व चयन सूची के आधार पर ही नियुक्ति प्रदान की गई थी. पुलिस विभाग की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास व उनके सहयोगी ने पैरवी की. हाईकोर्ट ने पूर्व के निर्णयों व सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को देखते हुए याचिकाकर्ताओं को सेवा से हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया गया. हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ताओं को सेवा में निरंतर रखने का आदेश जारी किया जाए.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्रसिंह भाटी ने पुलिस भर्ती मामले में रिव्यू मेरिट के बाद मेरिट से बाहर होने वाले याचिकाकर्ताओं को पुलिस कांस्टेबल के पद की सेवा समाप्त करने के आदेश को निरस्त करते हुए राहत दी है. वहीं, पुलिस विभाग को कहा कि उनकी सेवाएं समस्त परिलाभों के साथ निरंतर जारी रखने के आदेश जारी किए जाए. नीरजा कुमारी व अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामदेव पोटलिया ने पैरवी करते हुए कहा कि पुलिस विभाग ने कांस्टेबल भर्ती 2019 के लिए एक विज्ञापन जारी किया था. याचिकाकर्ताओं ने भर्ती में आवेदन किया था व लिखित परीक्षा में सफल होने पर शारीरिक दक्षता परीक्षा भी सफलतापूर्वक पास की थी. अंतिम परिणाम जारी करने के बाद याचिकाकर्ताओं को चयनित घोषित करते हुए ट्रेनिग पर भेजा गया और ट्रेनिंग के बाद नियुक्ति दी गई.

इस दौरान उक्त भर्ती में कुछ चयन से वंचित अभ्यर्थियों ने जयपुर हाईकोर्ट बैंच में याचिका दायर की थी और याचिका में एक्सपर्ट कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे. पुलिस मुख्यालय ने रिव्यू चयन बोर्ड का गठन कर 1 जून, 2022 को एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें चयन सूची से बाहर होने वाले व कट ऑफ से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति से हटाने और नवचयनित अभ्यर्थियों को चयन व नियुक्ति आदेश प्रदान करने के संबंध में जिला मुख्यालय व बटालियन को आदेश जारी किया.

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पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद संबंधित जिला पुलिस मुख्यालय व बटालियन की ओर से जून 2022 में एक आदेश जारी कर सेवा समाप्त कर दी गई. सेवा समाप्त होने पर कुछ याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता रामदेव पोटलिया के जरिए याचिकाए पेश की. जिसमें बताया गया कि करीबन 15-16 महिने पुलिस विभाग के अधीन कांस्टेबल पद पर संतोषजनक सेवाकार्य कर रहे हैं और अब पुलिस विभाग द्वारा स्थायी भी कर दिया गया है.

याचिकाकर्ताओं को हटाने से पूर्व पुलिस विभाग की ओर से किसी भी प्रकार की सुनवाई का अवसर व नोटिस नहीं दिया गया. याचिकाकर्ताओं को पूर्व में मेरिट व चयन सूची के आधार पर ही नियुक्ति प्रदान की गई थी. पुलिस विभाग की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास व उनके सहयोगी ने पैरवी की. हाईकोर्ट ने पूर्व के निर्णयों व सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को देखते हुए याचिकाकर्ताओं को सेवा से हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया गया. हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ताओं को सेवा में निरंतर रखने का आदेश जारी किया जाए.

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