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राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पेशल फ्यूल सरचार्ज वसूली पर लगाई रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने डिस्कॉ की ओर से स्पेशल फ्यूल सरचार्ज वसूली पर रोक लगा दी है. इससे याचिकाकर्ता जेके सीमेंट लिमिटेड को राहत मिली है.

HC ban on special fuel surcharge recovery by Discom
राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पेशल फ्यूल सरचार्ज वसूली पर लगाई रोक
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Published : May 18, 2023, 11:21 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग और डिस्कॉम के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से स्पेशल फ्यूल सरचार्ज वसूली के आदेश पर रोक लगा दी है. जस्टिस डॉ पुष्पेन्द्रसिंह भाटी ने जेके सीमेंट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है.

याचिकाकर्ता कम्पनी की ओर से अधिवक्ता रमित मेहता और तरूण दूदिया ने पैरवी करते हुए बताया कि अडानी राजस्थान पॉवर लिमिटेड और डिस्कॉम के समक्ष पॉवर परचेज एग्रीमेंट की संविदा हुई थी. जिसमें याचिकाकर्ता कभी पक्षकार था ही नहीं. डिस्कॉम द्वारा संविदात्मक दायित्व में चूक होने के कारण अडानी ने करोडों रुपए का क्लेम डिस्कॉम के खिलाफ दर्ज कराया और अडानी इस क्लेम में सफल रहा. आदेश के अनुसार डिस्कॉम पर 7000 करोड़ रुपए अडानी को देय हो गया जिससे डिस्कॉम पर वित्तीय भार बढ़ गया. वित्तीय भार बढ़ने पर डिस्कॉम ने आयोग के समक्ष अर्जी प्रस्तुत कर निवेदन किया कि जो अडानी को पैसा चुकाया गया है, वो ग्राहकों से वसूल करने का आदेश दिया जाए.

पढ़ेंः फ्यूल सरचार्ज को लेकर भाजपा का प्रदर्शन, बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए दिया 3 दिन का अल्टीमेटम

आयोग ने सिर्फ डिस्कॉम को सुनवाई का मौका देने के बाद, आयोग ने आदेश जारी कर निर्देश दिए कि डिस्कॉम ग्राहकों से स्पेशल फ्यूल सरचार्ज के नाम से वसूली करने के लिए योग्य है. आयोग के इस आदेश के तहत डिस्कॉम ने स्पेशल फ्यूल सरचार्ज के नाम से वसूली शुरू कर दी. डिस्कॉम की वसूली के आदेश को राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई. हाईकोर्ट में अधिवक्ता रमित मेहता ने बहस के दौरान तर्क दिया कि इस तरह की वसूली गैर कानूनी है और कानून के प्रावधानों के खिलाफ है.

पढ़ेंः Fuel Surcharge: सीएम के 100 यूनिट बिजली फ्री करने के बाद हर उपभोक्ता से फ्यूल सरचार्ज वसूलने की तैयारी

डिस्कॉम स्वयं के संविदात्मक दायित्व को निभाने में विफल रहा है, जिसकी वजह से वित्तीय भार डिस्कॉम पर पड़ा है. इसमें ग्राहकों का कोई लेना-देना नहीं है, क्योकि संविदा में ग्राहक कभी भागीदार नहीं थे. डिस्कॉम की विफलता को ग्राहकों पर थोपा नहीं जा सकता है. साथ ही यह भी तर्क रखा कि जो वसूली है, वह कानून द्वारा तय सीमा से कहीं ज्यादा है. हाईकोर्ट ने अधिवक्ता मेहता के तर्कों को ध्यान में रखते हुए आयोग और डिस्कॉम को नोटिस जारी करते हुए पाबंद किया है कि इस तरह की वसूली के खिलाफ किसी तरह की याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग और डिस्कॉम के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से स्पेशल फ्यूल सरचार्ज वसूली के आदेश पर रोक लगा दी है. जस्टिस डॉ पुष्पेन्द्रसिंह भाटी ने जेके सीमेंट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है.

याचिकाकर्ता कम्पनी की ओर से अधिवक्ता रमित मेहता और तरूण दूदिया ने पैरवी करते हुए बताया कि अडानी राजस्थान पॉवर लिमिटेड और डिस्कॉम के समक्ष पॉवर परचेज एग्रीमेंट की संविदा हुई थी. जिसमें याचिकाकर्ता कभी पक्षकार था ही नहीं. डिस्कॉम द्वारा संविदात्मक दायित्व में चूक होने के कारण अडानी ने करोडों रुपए का क्लेम डिस्कॉम के खिलाफ दर्ज कराया और अडानी इस क्लेम में सफल रहा. आदेश के अनुसार डिस्कॉम पर 7000 करोड़ रुपए अडानी को देय हो गया जिससे डिस्कॉम पर वित्तीय भार बढ़ गया. वित्तीय भार बढ़ने पर डिस्कॉम ने आयोग के समक्ष अर्जी प्रस्तुत कर निवेदन किया कि जो अडानी को पैसा चुकाया गया है, वो ग्राहकों से वसूल करने का आदेश दिया जाए.

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आयोग ने सिर्फ डिस्कॉम को सुनवाई का मौका देने के बाद, आयोग ने आदेश जारी कर निर्देश दिए कि डिस्कॉम ग्राहकों से स्पेशल फ्यूल सरचार्ज के नाम से वसूली करने के लिए योग्य है. आयोग के इस आदेश के तहत डिस्कॉम ने स्पेशल फ्यूल सरचार्ज के नाम से वसूली शुरू कर दी. डिस्कॉम की वसूली के आदेश को राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई. हाईकोर्ट में अधिवक्ता रमित मेहता ने बहस के दौरान तर्क दिया कि इस तरह की वसूली गैर कानूनी है और कानून के प्रावधानों के खिलाफ है.

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डिस्कॉम स्वयं के संविदात्मक दायित्व को निभाने में विफल रहा है, जिसकी वजह से वित्तीय भार डिस्कॉम पर पड़ा है. इसमें ग्राहकों का कोई लेना-देना नहीं है, क्योकि संविदा में ग्राहक कभी भागीदार नहीं थे. डिस्कॉम की विफलता को ग्राहकों पर थोपा नहीं जा सकता है. साथ ही यह भी तर्क रखा कि जो वसूली है, वह कानून द्वारा तय सीमा से कहीं ज्यादा है. हाईकोर्ट ने अधिवक्ता मेहता के तर्कों को ध्यान में रखते हुए आयोग और डिस्कॉम को नोटिस जारी करते हुए पाबंद किया है कि इस तरह की वसूली के खिलाफ किसी तरह की याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी.

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