ETV Bharat / state

क्या खत्म हो जाएगी RGHS योजना ? निजी मेडिकल स्टोर का भुगतान अटका, नहीं मिल रही दवाइयां

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 17, 2023, 7:11 AM IST

जोधपुर में कई निजी मेडिकल स्टोर को आरजीएचएस का भुगतान नहीं हुआ है, जिसके चलते अब शहर में लाभुकों को दवाइयां नहीं मिल रही है. शहर और जिले के 185 मेडिकल स्टोर में से 150 निजी स्टोर का बकाया करोड़ों रुपए का हो गया है.

RGHS payment of private medical store stuck
RGHS के तहत निजी मेडिकल स्टोर का भुगतान अटका
RGHS के तहत निजी मेडिकल स्टोर का भुगतान अटका

जोधपुर. आरजीएचएस प्रदेश की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की सरकारी कर्मचारियों को निशुल्क उपचार देने के लिए शुरू की गई एक महत्वकांक्षी योजना है. इसके तहत दवाइयां नहीं मिलने से अब यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. ऐसा भाजपा सरकार के आने से नहीं हो रहा है. अलबत्ता निशुल्क दवा दे रहे दुकानदारों को समय पर भुगतान नहीं करने से पिछले चार महीनों से ऐसा हो रहा है, जिसके चलते जोधपुर के 35 हजार पेंशनर्स और कर्मचारियों को निजी मेडिकल स्टोर पर दवाइयां मिलना लगभग बंद हो गई है. दुकानदार बिना भुगतान के स्टॉक नहीं खरीद पा रहे हैं. मेडिकल स्टोर संचालकों ने बताया कि हम कोशिश कर रहे हैं कि मरीजों को परेशानी नहीं हो, लेकिन बिना भुगतान के कितने दिन दवाइयां देंगे.

185 प्राइवेट मेडिकल स्टोर, 150 का बकाया : जोधपुर शहर और जिले में 185 मेडिकल स्टोर हैं जो आरजीएचएस से जुड़े हुए हैं. इनमें निजी अस्पतालों के स्टोर छोड़ दें तो करीब 150 निजी स्टोर का बकाया करोड़ों रुपए का हो गया है. निजी अस्पतालों के स्टोर का भी बकाया है, लेकिन उनको हर माह भुगतान टूकडों में थोड़ा बहुत होता हैं, क्योंकि इसके अभाव में अस्पताल सेवा बंद कर देते हैं. निजी स्टोर के संचालकों का कहना हैं कि शुरूआत में सही तरीके से भुगतान हो रहा था, लेकिन धीरे-धीरे भुगतान रुकने लगा. बिना प्रोसेस करने वाले टीपीए ने भी जानबूझ कर बिल रोकने शुरू कर दिए, जिसके चलते अब दवाइयां देने में परेशानी हो रही है.

कॉपेटिव कांउटर भी बंद होने के कगार पर : आरजीएचएस के तहत सहकारिता विभाग के दवा काउंटर से भी कार्मिकों और पेंशनर्स को दवाइयां दी जाती है. जोधपुर में विभाग के 41 काउंटर हैं, जहां से दवाइयां दी जाती हैं. इनके 16 करोड़ रुपए बाकी चल रहे हैं. ऐसे में सप्लायर्स को भुगतान नहीं हो रहा हैं. इससे इन काउंटर्स से दवाइयां लगभग बंद होने की कगार पर हैं. सहकारिता होलसेल उपभोक्ता भंडार के जीएम अरुण चारण का कहना है कि कॉनफैड से 16 करोड़ बकाया है. होलसेलर दवाइयां देने से कतरा रहे हैं.

पढ़ें : Indira Rasoi Yojana : इंदिरा गांधी के नाम-फोटो वाले होर्डिंग हटाए जाने पर कांग्रेसियों ने किया बवाल

जोधपुर में आरजीएचएस के प्राइवेट मेडिकल शॉप पर गडबड़ियां भी बड़े स्तर पर सामने आई है. हाल ही में जोधपुर के झंवर मेडिकल स्टोर और निजी अस्पताल के डॉक्टरों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का घोटाला उजागर हुआ है. इसमें डॉक्टर और निजी मेडिकल संचालक ने मरीज को प्रलोभन देकर आरजीएचएस कार्ड रखकर करोड़ों रुपए की दवाइयों के फर्जी बिल उठा लिए. इस राशि का तीनों में हिस्सा होता था. पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है, लेकिन अब यह जांच एसओजी को सौंप दी गई है.

RGHS के तहत निजी मेडिकल स्टोर का भुगतान अटका

जोधपुर. आरजीएचएस प्रदेश की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की सरकारी कर्मचारियों को निशुल्क उपचार देने के लिए शुरू की गई एक महत्वकांक्षी योजना है. इसके तहत दवाइयां नहीं मिलने से अब यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. ऐसा भाजपा सरकार के आने से नहीं हो रहा है. अलबत्ता निशुल्क दवा दे रहे दुकानदारों को समय पर भुगतान नहीं करने से पिछले चार महीनों से ऐसा हो रहा है, जिसके चलते जोधपुर के 35 हजार पेंशनर्स और कर्मचारियों को निजी मेडिकल स्टोर पर दवाइयां मिलना लगभग बंद हो गई है. दुकानदार बिना भुगतान के स्टॉक नहीं खरीद पा रहे हैं. मेडिकल स्टोर संचालकों ने बताया कि हम कोशिश कर रहे हैं कि मरीजों को परेशानी नहीं हो, लेकिन बिना भुगतान के कितने दिन दवाइयां देंगे.

185 प्राइवेट मेडिकल स्टोर, 150 का बकाया : जोधपुर शहर और जिले में 185 मेडिकल स्टोर हैं जो आरजीएचएस से जुड़े हुए हैं. इनमें निजी अस्पतालों के स्टोर छोड़ दें तो करीब 150 निजी स्टोर का बकाया करोड़ों रुपए का हो गया है. निजी अस्पतालों के स्टोर का भी बकाया है, लेकिन उनको हर माह भुगतान टूकडों में थोड़ा बहुत होता हैं, क्योंकि इसके अभाव में अस्पताल सेवा बंद कर देते हैं. निजी स्टोर के संचालकों का कहना हैं कि शुरूआत में सही तरीके से भुगतान हो रहा था, लेकिन धीरे-धीरे भुगतान रुकने लगा. बिना प्रोसेस करने वाले टीपीए ने भी जानबूझ कर बिल रोकने शुरू कर दिए, जिसके चलते अब दवाइयां देने में परेशानी हो रही है.

कॉपेटिव कांउटर भी बंद होने के कगार पर : आरजीएचएस के तहत सहकारिता विभाग के दवा काउंटर से भी कार्मिकों और पेंशनर्स को दवाइयां दी जाती है. जोधपुर में विभाग के 41 काउंटर हैं, जहां से दवाइयां दी जाती हैं. इनके 16 करोड़ रुपए बाकी चल रहे हैं. ऐसे में सप्लायर्स को भुगतान नहीं हो रहा हैं. इससे इन काउंटर्स से दवाइयां लगभग बंद होने की कगार पर हैं. सहकारिता होलसेल उपभोक्ता भंडार के जीएम अरुण चारण का कहना है कि कॉनफैड से 16 करोड़ बकाया है. होलसेलर दवाइयां देने से कतरा रहे हैं.

पढ़ें : Indira Rasoi Yojana : इंदिरा गांधी के नाम-फोटो वाले होर्डिंग हटाए जाने पर कांग्रेसियों ने किया बवाल

जोधपुर में आरजीएचएस के प्राइवेट मेडिकल शॉप पर गडबड़ियां भी बड़े स्तर पर सामने आई है. हाल ही में जोधपुर के झंवर मेडिकल स्टोर और निजी अस्पताल के डॉक्टरों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का घोटाला उजागर हुआ है. इसमें डॉक्टर और निजी मेडिकल संचालक ने मरीज को प्रलोभन देकर आरजीएचएस कार्ड रखकर करोड़ों रुपए की दवाइयों के फर्जी बिल उठा लिए. इस राशि का तीनों में हिस्सा होता था. पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है, लेकिन अब यह जांच एसओजी को सौंप दी गई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.