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बचपन से दोनों हाथ न होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, आरएएस की कर रहा तैयारी - ras preparation tips

सही कहा गया हैं कि मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. राजस्थान में एक ऐसा ही वाकया आया हैं, एक छात्र के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं मगर वो हार मानने के बजाय अपने सपनों के लिये अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बना रहा है.

बचपन से दोनों हाथ न होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, आरएएस की कर रहा तैयारी
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Published : May 30, 2019, 3:03 PM IST

जोधपुर. जिले के बिश्नोई छात्रावास में पढ़ने वाले छात्र रमेश बिश्नोई के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है. इसके बावजूद भी रमेश हार मानने की बजाय चुनौतियों से बखूबी लड़ रहा है. जहां कई लोग ऐसे में हार मान कर सब कुछ नियति पर छोड़ देते हैं वहीं रमेश अपने पैरों से वो सारे काम कर रहा हैं जो आम आदमी हाथों से करता हैं. जैसे कपड़े पहनना, पानी पीना, नाश्ता बनाना, मोबाइल चलाना, खाना बनाना साथ ही पढ़ाई-लिखाई के कार्य भी रमेश अपने पैरों से ही करता है. उसने बताया कि उसे रोटी बनाने में थोड़ी कठिनाई होती हैं, इसके अलावा वो सारे काम आम इंसान की तरह सभी कामों को कर लेता हैं.

रमेश विश्नोई मूलतः फलौदी के नोखड़ा गांव का निवासी है. रमेश के पिता एक किसान है, जो कि खेती करके परिवार का भरण पोषण करते हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए रमेश ने बताया कि जन्म से ही उसके दोनों हाथ नहीं हैं. वह बचपन से ही स्कूल जा रहा है लेकिन दूसरे बच्चों की तरह वह हाथ से लिख नहीं पाता था. इसलिए उसने पैरों से ही लिखना शुरू कर दिया. रमेश ने बताया कि आर्थिक तंगी के बावजूद वो हार नहीं माना और अपने लक्ष्य के लिये डटा रहा.

बचपन से दोनों हाथ न होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, आरएएस की कर रहा तैयारी

रमेश विश्नोई ने दसवीं की परीक्षा 66% अंक से पास की थी और 12वीं की परीक्षा उसने 72% अंकों से पास की है. इसी जुनून को लेकर रमेश अब जोधपुर के निजी कोचिंग सेंटर से आरएएस की तैयारी में जुटे हुए हैं. रमेश ने बताया कि उसका सपना आरएएस अधिकारी बनना है. रमेश विश्नोई की पढ़ाई के प्रति मेहनत और लगन देखकर कई भामाशाह भी रमेश की सहायता करने को लेकर आगे आए हैं.

रमेश बिश्नोई ने कहा कि मेरी तरह दुनिया में और भी कई लोग हैं लेकिन वह हिम्मत हार जाते हैं मगर मैं लड़ रहा हूं. उन्हें मैं यही कहना चाहूंगा कि उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिये. इंसान चाहे तो सब कुछ कर सकता है बस कोई भी काम करने के प्रति जज्बा होना चाहिए. कहीं ना कहीं देखा जाए तो रमेश विश्नोई का पढ़ाई के प्रति इस जुनून को देख कर और भी ऐसे दिव्यांग बच्चे जरूर प्रेरित होंगे.

जोधपुर. जिले के बिश्नोई छात्रावास में पढ़ने वाले छात्र रमेश बिश्नोई के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है. इसके बावजूद भी रमेश हार मानने की बजाय चुनौतियों से बखूबी लड़ रहा है. जहां कई लोग ऐसे में हार मान कर सब कुछ नियति पर छोड़ देते हैं वहीं रमेश अपने पैरों से वो सारे काम कर रहा हैं जो आम आदमी हाथों से करता हैं. जैसे कपड़े पहनना, पानी पीना, नाश्ता बनाना, मोबाइल चलाना, खाना बनाना साथ ही पढ़ाई-लिखाई के कार्य भी रमेश अपने पैरों से ही करता है. उसने बताया कि उसे रोटी बनाने में थोड़ी कठिनाई होती हैं, इसके अलावा वो सारे काम आम इंसान की तरह सभी कामों को कर लेता हैं.

रमेश विश्नोई मूलतः फलौदी के नोखड़ा गांव का निवासी है. रमेश के पिता एक किसान है, जो कि खेती करके परिवार का भरण पोषण करते हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए रमेश ने बताया कि जन्म से ही उसके दोनों हाथ नहीं हैं. वह बचपन से ही स्कूल जा रहा है लेकिन दूसरे बच्चों की तरह वह हाथ से लिख नहीं पाता था. इसलिए उसने पैरों से ही लिखना शुरू कर दिया. रमेश ने बताया कि आर्थिक तंगी के बावजूद वो हार नहीं माना और अपने लक्ष्य के लिये डटा रहा.

बचपन से दोनों हाथ न होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, आरएएस की कर रहा तैयारी

रमेश विश्नोई ने दसवीं की परीक्षा 66% अंक से पास की थी और 12वीं की परीक्षा उसने 72% अंकों से पास की है. इसी जुनून को लेकर रमेश अब जोधपुर के निजी कोचिंग सेंटर से आरएएस की तैयारी में जुटे हुए हैं. रमेश ने बताया कि उसका सपना आरएएस अधिकारी बनना है. रमेश विश्नोई की पढ़ाई के प्रति मेहनत और लगन देखकर कई भामाशाह भी रमेश की सहायता करने को लेकर आगे आए हैं.

रमेश बिश्नोई ने कहा कि मेरी तरह दुनिया में और भी कई लोग हैं लेकिन वह हिम्मत हार जाते हैं मगर मैं लड़ रहा हूं. उन्हें मैं यही कहना चाहूंगा कि उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिये. इंसान चाहे तो सब कुछ कर सकता है बस कोई भी काम करने के प्रति जज्बा होना चाहिए. कहीं ना कहीं देखा जाए तो रमेश विश्नोई का पढ़ाई के प्रति इस जुनून को देख कर और भी ऐसे दिव्यांग बच्चे जरूर प्रेरित होंगे.

Intro:जोधपुर
जोधपुर के बिश्नोई छात्रावास में पढ़ने वाला छात्र रमेश बिश्नोई जिसके जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है इसके बावजूद भी रमेश हार मानने की जगह अच्छे से जिंदगी जी रहा है और अपने पैरों से ही सारे काम कर रहा है। रमेश विश्नोई अपने पैरों से सभी काम कर लेता है जैसे कपड़े पहनना, पानी पीना, नाश्ता बनाना ,मोबाइल चलाना साथ ही पढ़ाई-लिखाई के कार्य भी रमेश अपने पैरों से ही करता है। रमेश विश्नोई मूलतः फलोदी के नोखड़ा गांव का निवासी है रमेश के पिता एक किसान है जो कि खेती का काम करते हैं।


Body:रमेश विश्नोई ने बताया कि जन्म से ही उसके दोनों हाथ नहीं है और वह बचपन से ही स्कूल जा रहा है लेकिन दूसरे बच्चों की तरह वह हाथ आए तो लिख नही पाता इसलिए उसने पैरों से ही लिखना शुरू कर दिया। रमेश विश्नोई ने बताया कि उसे सिर्फ रोटी बनाने में थोड़ी बहुत दिक्कत होती है इसके अलावा वह सभी काम पैरों से कर लेता है रमेश विश्नोई ने दसवीं की परीक्षा 66% अंक से पास की थी और 12वीं की परीक्षा उसने 72% अंकों से पास की है। इसी जुनून को लेकर रमेश अब जोधपुर के निजी कोचिंग सेंटर से आर ए एस की तैयारी में जुटा हुआ है रमेश ने बताया कि उसका सपना आरएएस अधिकारी बनना है। रमेश विश्नोई की पढ़ाई के प्रति मेहनत और लगन देखकर कई भामाशाह भी रमेश की सहायता करने को लेकर आगे आए हैं


Conclusion:रमेश बिश्नोई ने कहां की मेरी तरह दुनिया में और भी कई लोग हैं लेकिन वह हिम्मत हार जाते हैं उन्हें मैं यही कहना चाहूंगा कि वे लोग अपनी हिम्मत ना हारे इंसान चाहे तो सब कुछ कर सकता है बस कोई भी काम करने के प्रति जज्बा होना चाहिए। कहीं ना कहीं देखा जाए तो रमेश विश्नोई का पढ़ाई के प्रति इस जुनून को देख कर और भी ऐसे दिव्यांग बच्चे जरूर प्रेरित होंगे।

बाईट रमेश बिश्नोई
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