जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2022 में पेपर लीक मामले के दो आरोपियों की विस्तृत आदेश के साथ जमानत याचिकाएं खारिज कर दी. जस्टिस मदन गोपाल व्यास की अदालत में आरोपी बस ड्राईवर पीराराम व लिपिक पुखराज की ओर से जमानत याचिकाए पेश की गई थी. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने जमानत देने का अनुरोध किया और पेपर लीक में उनकी भूमिका से इंकार किया. वहीं सरकार की ओर से एएजी अनिल जोशी व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार सांखला उदयपुर मौजूद रहे.
एएजी जोशी ने कहा कि पीराराम व पुखराज के पास जो पेपर प्राप्त हुआ, उससे कई प्रश्न आरपीएससी द्वारा आयोजित करवाई जा रही भर्ती पेपर के प्रश्नों से मिल रहे थे. इनको मुख्य अभियुक्त ने पेपर उपलब्ध करवाया था. उन्होंने अभ्यर्थियों को बस में प्रश्नों को हल करवाया. मामले पर सुनवाई के बाद जस्टिस व्यास ने स्पीकिंग आदेश के साथ याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि किसी भी देश का भविष्य उसकी शिक्षा-व्यवस्था पर निर्भर करता है. शिक्षा के माध्यम से ही कोई समाज एवं देश प्रगति की ओर बढता है, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि शिक्षा के क्षेत्र की कई समस्याओं के समाधान की कोई राह नहीं दिख रही है. इन्हीं में से एक है प्रश्नपत्र लीक होने की समस्या.
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एएजी जोशी ने कहा कि वर्तमान भारत के युवा ऊंचे लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं. वे तमाम कठिनाइयों एवं अभावों से जूझते हुए कई वर्षों तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. जब किसी प्रतियोगी परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होता है, तो परीक्षार्थियों के साथ परिजनों के भी सपनों को गहरा आघात पहुंचता है. ऐसी घटनाओं से एक उन्नत, समृद्ध, सुशिक्षित एवं सशक्त राष्ट्र व समाज बनने-बनाने का हमारा सामूहिक स्वप्न और मनोबल टूटता है.
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उन्होंने कहा कि इससे युवाओं के भीतर व्यवस्था के प्रति असंतोष एवं निराशा की स्थायी भावना घर करती है. महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र अगर परीक्षा से पहले लीक हो जाए तो सबसे ज्यादा कष्ट उन मेहनती परीक्षार्थियों और उम्मीद्वारों को होता है, जो प्रतिभा के बल पर किसी परीक्षा में अपनी योग्यता साबित करने का जतन करते हैं. एक प्रश्नपत्र का रद्द होना कई बार अभ्यर्थियों के भीतर असुरक्षा और अस्थिरता की भावना पैदा कर सकता है.