जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बार फिर से आसाराम को उपचार के लिए जमानत की राहत देने से इंकार कर दिया है. अदालत ने आसाराम की ओर से पेश अपील पर अगले सप्ताह सुनवाई के लिए रखने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस विजय विश्नोई व जस्टिस विनित कुमार माथुर की खंडपीठ के समक्ष आसाराम की ओर से उपचार के लिए जमानत के लिए चौथी बार आवेदन किया गया था जिस पर सुनवाई के बाद खारिज कर दिया गया.
आसाराम की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने पैरवी करते हुए आसाराम का पक्ष रखा, जिसमें कहा गया कि आसाराम की वर्तमान में 85 साल की उम्र हो गई है और पिछले 11 साल से लगातार जेल में है. पिछले तीन चार माह से लगातार उनको ह्दय रोग की शिकायत हो रही है. दो बार एम्स अस्पताल में भर्ती भी करवाया गया है, जहां 27 दिसम्बर 2023 को एम्स के चिकित्सकों ने कोरोनरी एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी का सुझाव देते हुए जोखिम भी बताए थे. जोखिम को देखते हुए आसाराम जोधपुर एम्स में उपचार नही करवाना चाहते है. ऐसे में आसाराम के जोखिम को देखते हुए पता लगाया तो महाराष्ट्र के माधवबाग में एक कार्डियक केयर क्लीनिक और अस्पताल जो की खोपोली महाराष्ट्र में वहां से बिना किस सर्जरी के ह्रदय रोग के मरीजों का उपचार किया जाता है. ऐसे में आसाराम भी अपना इलाज माधवबाग महाराष्ट्र में करवाना चाहते हैं, जिसके लिए सजा के आदेश को स्थगित करते हुए जमानत दी जाए ताकि उनका उपचार करवाया जा सके.
पढ़ें: पैरोल का इंतजार कर रहे आसाराम की तबीयत फिर बिगड़ी, जोधपुर एम्स में भर्ती
वहीं सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने कहा कि राज्य सरकार वैसे तो उनका अच्छा उपचार करवा रही है उसके बावजूद आवेदनकर्ता कहीं और उपचार करवाना चाहता है तो पुलिस कस्टडी में उपचार करवाने के लिए तैयार है, जिसका खर्चा भी उनको वहन करना होगा. इस पर कोर्ट ने आसाराम के अधिवक्ताओं से इसके बारे में जवाब मांगा था. आसाराम की ओर से जो जवाब पेश किया उसमें पहले तो पुलिस कस्टडी में इलाज की सहमति दी गई लेकिन उसके बाद के पैरा में कही पर भी सहमति नही जताई गई. ऐसे में अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आसाराम की ओर से चौथी बार पेश उपचार के नाम पर जमानत को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि आवेदनकर्ता आसाराम पुलिस कस्टडी में उपचार करवाने के लिए इच्छुक नही है तो फिर अपील पर नियमित सुनवाई की जाएगी. कोर्ट ने कहा कि अगले सप्ताह आसाराम की अपील को नियमित सुनवाई के लिए रखा जाता है लेकिन उपचार के नाम जमानत नही दी जाएगी.