फलोदी (जोधपुर). बाप उपखंड क्षेत्र के खिदरत गांव में नहर किनारे करीब 15 से अधिक मोरों सहित 50 पक्षी मृत मिले हैं. वन्यजीव प्रेमी श्रवण विश्नोई ने बताया कि नहर में तीन दिन पहले काला पानी आया था. हो सकता इस पानी को पीने की वजह से पक्षियों की मौत हुई हो. मोरों और दूसरे पक्षियों के मरने की सूचना वन विभाग को दी गई. वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पक्षियों का रेस्क्यू शुरू किया जो सोमवार देर शाम तक चला.
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वन विभाग की टीम ने मृत मोरों और पक्षियों के शवों को कब्जे में ले लिया है. नहर के पानी के सैंपल भी जांच के लिए लैब में भेजे गए हैं. वन विभाग के सहायक वनपाल राजूराम विश्नोई ने बताया कि रात हो जाने से रेस्क्यू पूरा नहीं हो पाया. मंगलवार सुबह फिर से पक्षियों का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जाएगा.
राजस्थान में पिछले काफी समय से मोरों की मौत हो रही है. हाल ही में पाली जिले के रोहट क्षेत्र के आस-पास के गांवों सहित जोधपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में मोरों के मरने का मामला सामने आया था. उन मोरों की मौत रानीखेत नाम की बीमारी से हुई थी.
क्या है रानीखेत बीमारी
उत्तराखण्ड में अल्मोड़ा के पास रानीखेत (Ranikhet) नाम की जगह है. जहां पहली बार मुर्गियों में इस बीमारी को देखा गया था. जिसके बाद इस बीमारी का नाम रानीखेत रखा गया. इसे न्यू केसल डिजीज (Newcastle disease) भी कहा जाता है. यह बीमारी ज्यादातर पोल्ट्री की मुर्गियों (poultry hen) में होती है. लेकिन मुर्गी, मोर, तीतर, बटेर एक ही फैमिली के होने के कारण यह उनमें भी फैल जाती है.