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2015 में आयुध अधिनियम का झूठा मुकदमा दर्ज करने पर 4 पुलिस वालों पर 5-5 हजार जुर्माना, विभागीय जांच के आदेश - ओसियां में पुलिस वालों पर 5-5 हजार जुर्माना

जोधपुर के ओसियां में पांचला निवासी दो व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस की ओर से 2015 में आयुध अधिनियम का झूठा मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसके बाद ओसियां न्यायिक मजिस्ट्रेट ने थानाधिकारी सहित चार पुलिस वालों से 5-5 हजार जुर्माना राशि अदा करने और उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए.

ओसियां में पुलिस वालों पर 5-5 हजार जुर्माना, 5 thousand fine on policemen in Osian
ओसियां में पुलिस वालों पर 5-5 हजार जुर्माना
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Published : Mar 7, 2021, 3:11 PM IST

ओसियां (जोधपुर). क्षेत्र में पुलिस की ओर से वर्ष 2015 में पांचला खुर्द निवासी सुरेंद्र सिंह भाटी और जोगसिंह चारण के विरुद्ध आयुध अधिनियम की धारा 3/25 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था. जहां मुंसिफ मजिस्ट्रेट कोर्ट ओसियां में चालान भी पेश किया गया था. करीब 6 वर्ष तक चले प्रकरण में आरोपियों की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता लक्ष्मण सिंह जोधा ने न्यायालय के समक्ष ऐसे अकाट्य साक्ष्य पेश किए.

ओसियां में पुलिस वालों पर 5-5 हजार जुर्माना, 5 thousand fine on policemen in Osian
पुलिस वालों पर विभागीय जांच के आदेश

जिससे यह सिद्ध हो गया कि पूरा प्रकरण ही एक अपराधिक षड्यंत्र के तहत बनाया गया. जिस दौरान ओसियां न्यायिक मजिस्ट्रेट सिद्धार्थ सांदू ने आरोपियों के अधिवक्ता जोधा के तर्कों से पूर्ण सहमत होते हुए पूरा प्रकरण एक अपराधिक षड्यंत्र के तहत दायर करना घोषित करते हुए दोनों आरोपियों को बा-इज्जत बरी किया.

वहीं न्यायिक मजिस्ट्रेट सांदू ने तत्कालीन ओसियां थानाधिकारी लालाराम को प्रत्येक आरोपी को 5-5 हजार जुर्माना राशि अदा करने के आदेश के अलावा इंस्पेक्टर जनरल रेंज, जोधपुर और पुलिस अधीक्षक जोधपुर को थानाधिकारी लालाराम सहित पुलिसकर्मी महावीर प्रसाद मीणा, विक्रम सिंह और प्रेमसिंह के विरुद्ध विभागीय जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया.

बता दें कि आरोपी सुरेंद्र सिंह के दो लाइसेंसशुदा हथियारों के लाइसेंस रद्द करवाने के लिए गांव में उसकी विरोधी पार्टी से मिलकर थानाधिकारी लालाराम ने यह षडयंत्र पूर्वक मामला बनाया. महावीर प्रसाद ने कोर्ट बयान में स्वीकार कर लिया कि पूरा प्रकरण एक षड्यंत्र के तहत उसकी जानकारी में लाकर बनाया गया था.

पढ़ें- पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की धार्मिक यात्रा, यहां देखें पल-पल की अपडेट...

थानाधिकारी लालाराम आरमोर्र प्रेम सिंह से मिलीभगत करके कथित हथियार की अदला-बदली कर दी और जिला मजिस्ट्रेट जोधपुर के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थित होकर अभियोजन स्वीकृति प्राप्त की. वहीं अधिवक्ता लक्ष्मण सिंह ने बताया कि सत्य की हमेशा जीत होती है. पुलिस के षड्यंत्र को न्यायालय सिद्ध करने के लिए उन्होंने कड़ी से कड़ी जोड़ कर साक्ष्य पेश किए, जिससे पुलिस की कारस्तानी उजागर हो पाई.

ओसियां (जोधपुर). क्षेत्र में पुलिस की ओर से वर्ष 2015 में पांचला खुर्द निवासी सुरेंद्र सिंह भाटी और जोगसिंह चारण के विरुद्ध आयुध अधिनियम की धारा 3/25 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था. जहां मुंसिफ मजिस्ट्रेट कोर्ट ओसियां में चालान भी पेश किया गया था. करीब 6 वर्ष तक चले प्रकरण में आरोपियों की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता लक्ष्मण सिंह जोधा ने न्यायालय के समक्ष ऐसे अकाट्य साक्ष्य पेश किए.

ओसियां में पुलिस वालों पर 5-5 हजार जुर्माना, 5 thousand fine on policemen in Osian
पुलिस वालों पर विभागीय जांच के आदेश

जिससे यह सिद्ध हो गया कि पूरा प्रकरण ही एक अपराधिक षड्यंत्र के तहत बनाया गया. जिस दौरान ओसियां न्यायिक मजिस्ट्रेट सिद्धार्थ सांदू ने आरोपियों के अधिवक्ता जोधा के तर्कों से पूर्ण सहमत होते हुए पूरा प्रकरण एक अपराधिक षड्यंत्र के तहत दायर करना घोषित करते हुए दोनों आरोपियों को बा-इज्जत बरी किया.

वहीं न्यायिक मजिस्ट्रेट सांदू ने तत्कालीन ओसियां थानाधिकारी लालाराम को प्रत्येक आरोपी को 5-5 हजार जुर्माना राशि अदा करने के आदेश के अलावा इंस्पेक्टर जनरल रेंज, जोधपुर और पुलिस अधीक्षक जोधपुर को थानाधिकारी लालाराम सहित पुलिसकर्मी महावीर प्रसाद मीणा, विक्रम सिंह और प्रेमसिंह के विरुद्ध विभागीय जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया.

बता दें कि आरोपी सुरेंद्र सिंह के दो लाइसेंसशुदा हथियारों के लाइसेंस रद्द करवाने के लिए गांव में उसकी विरोधी पार्टी से मिलकर थानाधिकारी लालाराम ने यह षडयंत्र पूर्वक मामला बनाया. महावीर प्रसाद ने कोर्ट बयान में स्वीकार कर लिया कि पूरा प्रकरण एक षड्यंत्र के तहत उसकी जानकारी में लाकर बनाया गया था.

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थानाधिकारी लालाराम आरमोर्र प्रेम सिंह से मिलीभगत करके कथित हथियार की अदला-बदली कर दी और जिला मजिस्ट्रेट जोधपुर के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थित होकर अभियोजन स्वीकृति प्राप्त की. वहीं अधिवक्ता लक्ष्मण सिंह ने बताया कि सत्य की हमेशा जीत होती है. पुलिस के षड्यंत्र को न्यायालय सिद्ध करने के लिए उन्होंने कड़ी से कड़ी जोड़ कर साक्ष्य पेश किए, जिससे पुलिस की कारस्तानी उजागर हो पाई.

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