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झुंझुनू : पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर समायोजित कर्मचारियों ने रखा सामूहिक उपवास

झुंझुनू में राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के जिला कार्याकारिणी सदस्यों ने एक दिन का सामूहिक उपवास रखा. कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर CM गहलोत के नाम ज्ञापन सौंपा है. साथ ही चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो सीकर में क्रमिक अनशन शुरू करने के साथ आंदोलन किया जाएगा.

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Published : Jan 16, 2021, 5:41 PM IST

Rajasthan news, कर्मचारियों का सामूहिक उपवास
झुंझुनू में समायोजित कर्मचारियों का सामूहिक उपवास

झुंझुनू. राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के जिला कार्याकारिणी सदस्यों ने जिला कलेक्ट्रेट के सामने धरना दिया और एक दिन की उपवास पर रहे. साथ ही उन्होंने पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है.

झुंझुनू में समायोजित कर्मचारियों का सामूहिक उपवास

राजकीय कर्मचारियों की ओर से काफी समय से पुरानी पेंशन योजना को पुन: लागू करने की मांग उठती रही है. साथ ही कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय और हाई कोर्ट ने भी अपने निर्णय में पुरानी पेंशन योजना को ही बहाल करने के आदेश दिए हैं. इसके बावजूद राज्य सरकार अभी तक इस मामले में किसी प्रकार की गंभीरता नही दिखा रही है. इसी को लेकर एक बार फिर कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर राज्य सरकार का ध्यान खींचने के लिए राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के जिला कार्याकारिणी सदस्य कलेक्ट्रेट के सामने एक दिन के उपवास पर रहे और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर सरकार से सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की अनुपालना करने का अनुरोध किया.

यह भी पढ़ें. बाड़मेर: निर्माणाधीन पानी की होदी ढही, मजदूर को निकालने के रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

साथ ही ज्ञापन में मांग की गई कि पुरानी पेंशन योजना के विकल्प को चुनने वाले समायोजित कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना के आदेश जारी कर न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हुए इसे लागु करवाए. संघ के रतनसिंह शेखावत ने बताया कि अगर सरकार ने इस संबंध में कर्मचारियों को राहत नहीं दी तो, एक फरवरी से सीकर में क्रमिक अनशन शुरू करने के साथ आंदोलन को और तेज किया जाएगा.

पुराने कर्मचारी नए नियमों में आने से उलझा मामला

राजस्थान स्वैच्छिक ग्रामीण शिक्षा सेवा नियमों को लागू करते समय राजस्थान सेवा अधिनियम के प्रावधानों में नियमों की अनदेखी के कारण सरकार की ओर से कर्मचारियों की नियुक्ति वर्ष 2011 का मानते हुए नई पेंशन योजना का पात्र माना गया लेकिन पूर्व सरकारी नियमों के तहत अनुदानित कार्मिकों को राजकीय सेवा में समायोजित करने पर पुरानी पेंशन के नियम बने हुए है, उनके तहत उन्हें लाभ दिया गया है. जबकि इन कर्मचारियों की नियुक्ति पुरानी थी, इनका राजकीय सेवा में समायोजन वर्ष 2011 में किया गया था, न कि नई नियुक्त.

ये मामला हाई कोर्ट में भी जा चुका है. इसलिए इन तथ्यों और नियमों को ध्यान में लाने में लाने के लिए सरकार का ध्यान मांग पत्र द्वारा आकर्षित किया गया लेकिन राहत नही मिलने पर उच्च न्यायालय जोधपुर की खंडपीठ के बाद सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ में इसे चुनौति दी गई. जिसमें इन खंडपीठों ने समायोजित कर्मचारियों की नियुक्ति को वर्ष 2004 से पूर्व की मानते हुए इन कार्मिकों को पुरानी पेंशन योजना 1996 का हकदार माना और राज्य का न्यायिक निर्णयों की पालना के लिए निर्देशित किया.

झुंझुनू. राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के जिला कार्याकारिणी सदस्यों ने जिला कलेक्ट्रेट के सामने धरना दिया और एक दिन की उपवास पर रहे. साथ ही उन्होंने पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है.

झुंझुनू में समायोजित कर्मचारियों का सामूहिक उपवास

राजकीय कर्मचारियों की ओर से काफी समय से पुरानी पेंशन योजना को पुन: लागू करने की मांग उठती रही है. साथ ही कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय और हाई कोर्ट ने भी अपने निर्णय में पुरानी पेंशन योजना को ही बहाल करने के आदेश दिए हैं. इसके बावजूद राज्य सरकार अभी तक इस मामले में किसी प्रकार की गंभीरता नही दिखा रही है. इसी को लेकर एक बार फिर कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर राज्य सरकार का ध्यान खींचने के लिए राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के जिला कार्याकारिणी सदस्य कलेक्ट्रेट के सामने एक दिन के उपवास पर रहे और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर सरकार से सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की अनुपालना करने का अनुरोध किया.

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साथ ही ज्ञापन में मांग की गई कि पुरानी पेंशन योजना के विकल्प को चुनने वाले समायोजित कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना के आदेश जारी कर न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हुए इसे लागु करवाए. संघ के रतनसिंह शेखावत ने बताया कि अगर सरकार ने इस संबंध में कर्मचारियों को राहत नहीं दी तो, एक फरवरी से सीकर में क्रमिक अनशन शुरू करने के साथ आंदोलन को और तेज किया जाएगा.

पुराने कर्मचारी नए नियमों में आने से उलझा मामला

राजस्थान स्वैच्छिक ग्रामीण शिक्षा सेवा नियमों को लागू करते समय राजस्थान सेवा अधिनियम के प्रावधानों में नियमों की अनदेखी के कारण सरकार की ओर से कर्मचारियों की नियुक्ति वर्ष 2011 का मानते हुए नई पेंशन योजना का पात्र माना गया लेकिन पूर्व सरकारी नियमों के तहत अनुदानित कार्मिकों को राजकीय सेवा में समायोजित करने पर पुरानी पेंशन के नियम बने हुए है, उनके तहत उन्हें लाभ दिया गया है. जबकि इन कर्मचारियों की नियुक्ति पुरानी थी, इनका राजकीय सेवा में समायोजन वर्ष 2011 में किया गया था, न कि नई नियुक्त.

ये मामला हाई कोर्ट में भी जा चुका है. इसलिए इन तथ्यों और नियमों को ध्यान में लाने में लाने के लिए सरकार का ध्यान मांग पत्र द्वारा आकर्षित किया गया लेकिन राहत नही मिलने पर उच्च न्यायालय जोधपुर की खंडपीठ के बाद सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ में इसे चुनौति दी गई. जिसमें इन खंडपीठों ने समायोजित कर्मचारियों की नियुक्ति को वर्ष 2004 से पूर्व की मानते हुए इन कार्मिकों को पुरानी पेंशन योजना 1996 का हकदार माना और राज्य का न्यायिक निर्णयों की पालना के लिए निर्देशित किया.

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