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झुंझुनू के चिड़ावा में दो बेटियों की घोड़ी पर बैठाकर निकाली गई बिंदोरी

झुंझुनू के चिड़ावा में शुक्रवार को दो बेटियों की घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली गई. इस बिंदोरी में समाज को बेटी बचाने का संदेश दिया गया. इसके साथ ही बेटियों के पिता ने कहा कि समाज को बेटी और बेटों में फर्क नहीं करना चाहिए.

Jhunjhnu news, झुंझुनू की खबर
दो बेटियों की घोड़ी पर बैठाकर निकाली गई बिंदोरी
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Published : Jan 17, 2020, 5:25 PM IST

चिड़ावा (झुंझुनू). जिले के चिड़ावा कस्बे में शुक्रवार को दो बेटियों की एक साथ घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली गई. इस बिंदोरी के जरिए समाज को बेटी बचाने का संदेश दिया गया. ताकि बेटियों को जो पैदा होते ही मार दिया जाता है, ऐसा काम ना हो और ऐसे कामों पर रोक लग सके. गौरतलब है कि ऐसे प्रयासों से समाज की सोच भी बदल रही है.

दो बेटियों की घोड़ी पर बैठाकर निकाली गई बिंदोरी

लाडली बेटियां नीतू और सोनू ने बताया कि बिंदोरी के जरिए उनके परिवार ने समाज को एक अलग संदेश दिया कि अब बेटियां भी बेटों से कम नहीं है. समाज की रूढ़ीवादी परम्परा को छोड़ने के संदेश के जरिए निकाली गई. वहीं, बिंदोरी को लेकर दोनों बेटियां काफी खुश भी नजर आई. दोनों बेटियों के पिता ताराचंद शर्मा ने कहां कि वे समाज को केवल यही संदेश देना चाहते है कि समाज को अब बेटियों और बेटों में फर्क नहीं करना चाहिए.

पढ़ें- झुंझुनूः नवलगढ़ के पोदार कॉलेज में विज्ञान प्रदर्शनी, उपखंड अधिकारी ने की प्रशंसा

बता दें कि चिड़ावा के वार्ड नं. 20 में ताराचंद और नर्मदा शर्मा ने अपनी दोनों बेटियों नीतू और सोनू शर्मा की घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली. दोनों बेटियों की घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकालने के पीछे मकसद ये था कि समाज को ये संदेश दिया जाए कि बेटियां भी अब बेटों से कम नहीं है. इस बिंदौरी में मदनलाल मास्टर, रामजीलाल, गजानंद, रमेश कोटवाल, उमाकांत डालमिया, नटवर कोटवाल, विकास पारीक, अश्वनी कोटवाल समेत कई लोग मौजूद रहे.

चिड़ावा (झुंझुनू). जिले के चिड़ावा कस्बे में शुक्रवार को दो बेटियों की एक साथ घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली गई. इस बिंदोरी के जरिए समाज को बेटी बचाने का संदेश दिया गया. ताकि बेटियों को जो पैदा होते ही मार दिया जाता है, ऐसा काम ना हो और ऐसे कामों पर रोक लग सके. गौरतलब है कि ऐसे प्रयासों से समाज की सोच भी बदल रही है.

दो बेटियों की घोड़ी पर बैठाकर निकाली गई बिंदोरी

लाडली बेटियां नीतू और सोनू ने बताया कि बिंदोरी के जरिए उनके परिवार ने समाज को एक अलग संदेश दिया कि अब बेटियां भी बेटों से कम नहीं है. समाज की रूढ़ीवादी परम्परा को छोड़ने के संदेश के जरिए निकाली गई. वहीं, बिंदोरी को लेकर दोनों बेटियां काफी खुश भी नजर आई. दोनों बेटियों के पिता ताराचंद शर्मा ने कहां कि वे समाज को केवल यही संदेश देना चाहते है कि समाज को अब बेटियों और बेटों में फर्क नहीं करना चाहिए.

पढ़ें- झुंझुनूः नवलगढ़ के पोदार कॉलेज में विज्ञान प्रदर्शनी, उपखंड अधिकारी ने की प्रशंसा

बता दें कि चिड़ावा के वार्ड नं. 20 में ताराचंद और नर्मदा शर्मा ने अपनी दोनों बेटियों नीतू और सोनू शर्मा की घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली. दोनों बेटियों की घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकालने के पीछे मकसद ये था कि समाज को ये संदेश दिया जाए कि बेटियां भी अब बेटों से कम नहीं है. इस बिंदौरी में मदनलाल मास्टर, रामजीलाल, गजानंद, रमेश कोटवाल, उमाकांत डालमिया, नटवर कोटवाल, विकास पारीक, अश्वनी कोटवाल समेत कई लोग मौजूद रहे.

Intro:दो बेटियों को एक साथ घोड़ी पर बैठाकर निकाली बिंदौरी
समाज को दिया बेटी बचाने का संदेश
बदल रही है समाज की सोच
चिड़ावा/झुंझुनूं।
झुंझुनूं जिले के चिड़ावा कस्बे में दो बेटियों की एक साथ घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली गई। बिंदोरी के जरिये समाज को बेटी बचाने का संदेश दिया गया। गौरतलब रहे कि ऐसे प्रयासों से समाज की सोच भी बदल रही है।

Body:बता दे कि चिड़ावा के वार्ड 20 में ताराचंद एवं नर्मदा शर्मा ने अपनी दोनों बेटियों नीतू एवं सोनू शर्मा की घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली। दोनों बेटियों की घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकालने के पीछे मकसद ये था कि समाज को ये संदेश दिया जाए कि बेटियां भी अब बेटों से कम नहीं है। समाज को बेटी बचाने का संदेश देने हेतू निकाली गई बिंदौरी में मदनलाल मास्टर, रामजीलाल, गजानंद, रमेश कोटवाल, उमाकांत डालमिया, नटवर कोटवाल, विकास पारीक, अश्वनी कोटवाल आदि कई मौजूद रहे।

बता दे कि लाडली बेटियां नीतू एवं सोनू ने बताया कि बिंदोरी के जरिये उनके परिवार ने समाज को एक अलग संदेश दिया कि अब बेटियां भी बेटो से कम नहीं है। समाज की रूढीवादी परम्परा को छोड़ने के संदेश के जरिये निकाली गई बिंदोरी को लेकर दोनों बेटियां काफी खुश भी नजर आई। दोनों बेटियों के पिता ताराचंद शर्मा ने कहां कि वे समाज को केवल ये ही संदेश देना चाहिते है कि समाज को अब बेटियों में फर्क नहीं करना चाहिए।

बाइट 01- ताराचंद शर्मा, बेटियों के पिता।
बाइट 02- नीतू दुल्हन।
बाइट 03 सोनू दुल्हन।Conclusion:
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