झुंझुनू. जिले में मंडावा विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव हो रहे हैं. इस बीच झुंझुनू के जाट बोर्डिंग में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामनारायण चौधरी की पुण्यतिथि पर किसान सम्मेलन रखा गया था. लेकिन इस सभा में कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला के नाम तक का जिक्र वहां नहीं हुआ. स्थानीय विधायक होने के बावजूद उनके पुत्र बृजेंद्र ओला भी उस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. साथ ही उनके परिवार से भी कोई शामिल नहीं हुआ.
गौरतलब है कि कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला के नाम के बिना झुंझुनू की राजनीति तो क्या शेखावाटी और राजस्थान के कांग्रेस के किसान नेताओं का इतिहास अधूरा तक लगता है. इसके बावजूद ओला की कर्म स्थली झुंझुनू में सरकार की करीब-करीब पूरी कैबिनेट उतर जाए, संगठन के बड़े पदाधिकारी एक हों, लेकिन शीशराम ओला का नाम तक किसी के जुबान पर नहीं आए तो जाहिर है कि सब कुछ ठीक नहीं है. झुंझुनू में सभा हो और स्थानीय विधायक बृजेंद्र ओला ही वहां नहीं आए तो झुंझुनू की राजनीति की गुटबाजी साफ दिखती ही है.
ये भी साफ है कि इस गुटबाजी को या तो प्रदेश नेतृत्व की शह है या फिर संगठन की लगाम इतनी कमजोर हो गई है कि किसी को अनुशासनहीनता का डर ही नहीं रह गया है. बता दें कि कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला केंद्र में झुंझुनू से 5 बार सांसद रहे हैं और तीन बार मंत्री भी रह चुके हैं.
उनके पुत्र बृजेंद्र ओला तीन बार से विधायक हैं. बृजेंद्र ओला की पत्नी राजबाला ओला जिला प्रमुख और साल 2014 में लोकसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार रही हैं. इसके अलावा शीशराम ओला की पुत्रवधू आकांक्षा ओला राष्ट्रीय महिला कांग्रेस में सचिव हैं.
अब चर्चा ये भी आम है कि शीशराम ओला और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामनारायण चौधरी की राजनीतिक अदावत का ये असर है. अब ये दूसरी पीढ़ी में भी आ चुकी है, क्योंकि रामनारायण चौधरी की पुत्री रीटा चौधरी ही अब मंडावा विधानसभा से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं.