झुंझुनू. सोलाना गांव के होशियार सिंह झाझड़िया ने बिना किसी औपचारिक शिक्षा के वर्ष 2009 में एक नर्सरी खोली थी. उस समय वे ऐसे पौधे लेकर आए जो कि शेखावाटी में मिलते ही नहीं थे. उनका साफ उसूल है कि यदि आपको पौधे सार्वजनिक जगह पर लगवाने हैं, तो निशुल्क पौधे ले जाएं, लेकिन यदि आपको अपने घर, खेत या बाग में पौधे लगाने हैं, तो उनके पैसे लगेंगे.
बीते दस साल से ग्लोबल वार्मिंग को ध्यान में रखते हुए होशियार सिंह पर्यावरण को बचाने का काम कर रहे हैं. वह अपने खेत में पौधे तैयार कर सार्वजनिक जगह के लिए निशुल्क वितरण करते है. ऐसे में वे अब तक 50 हजार से ज्यादा पौधे सार्वजनिक स्थानों पर लगाने के लिए निशुल्क दे चुके हैं. श्मशान घाट, स्कूल, अस्पताल, पार्क आदि ऐसी जगह है जहां पर होशियर सिंह की नर्सरी की ओर से निशुल्क दिए हुए पौधे लगे हुए हैं.
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बाग के फल नहीं बेचते हशियार सिंह
होशियार सिंह के बाग की खास बात यह है कि वो अपने बाग के फल को बेचते नहीं है. ऐसे में उनकी नर्सरी में आम, बील, मौसमी सहित कई तरह के फलदार पेड़ लगे हुए हैं. लेकिन वे किसी भी फल को बेचते नहीं है. उन फलों को खुद अपने घर पर काम में लेने के साथ-साथ गांव वालों, रिश्तेदार और मित्रों को देते रहते हैं.
ट्री मैन होशियार सिंह ने वनस्पति विज्ञान की भले ही औपचारिक शिक्षा नहीं ली हो, लेकिन इस नर्सरी को तैयार करने में कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने उनका खूब सहयोग किया. साथ ही अब तो होशियार सिंह के परिवार वालों की रूचि भी पर्यावरण संरक्षण में जग गई है. वहीं उनकी सबसे छोटी पुत्री राजस्थान कृषि महाविद्यालय से बीएससी एग्रीकल्चर की शिक्षा ले रही हैं.
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चार हजार वैरायटी के पौधे उपलब्ध
होशियार सिंह झाझड़िया की नर्सरी में करीब चार हजार वैरायटी के पौधे उपलब्ध हैं और उनकी संख्या तो लाख से भी ज्यादा की है. वे अब किसानों को यह भी सलाह देते हैं कि पौधे आपके क्षेत्र में लगेंगे तो इससे कई तरह का फायदा हो सकता है. उनकी ओर से पहले जिन किसानों को पौधे दिए गए है. उन किसानों के फीडबैक के आधार पर ही वह अन्य किसानों को सलाह देते हैं.
मेड़ पर लगेंगे पौधे, तो आय बढ़ेगी और मिट्टी का कटाव भी रुकेगा
ट्री मैन ऑफ झुंझुनू किसानों को सलाह देते हैं कि, यदि आपको अपने पूरे खेत में बाग नहीं लगाना है, तो भी कम से कम अपने खेत की सीमाओं यानी मेड़ पर तो पेड़ लगाए ही जा सकते हैं. इसमें शेखावाटी में विशेषकर निंबू वर्गीय पौधे और मौसमी किन्नू संतरा बड़ी आसानी से लग जाते हैं. इसके अलावा बेर की झाड़ियां भी यहां बड़ी आसानी से लगाई जा सकती है. खेत की मेड़ पर फलदार पौधे लगाने से एक तरफ जहां किसानों की आय बढ़ सकेगी, वहीं दूसरी तरफ मिट्टी का कटाव भी रुकेगा.
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खुद से ज्यादा पर्यावरण का फायदा
50 हजार से ज्यादा सार्वजनिक स्थानों पर पौधे देने के संबंध में होशियार सिंह कहते हैं कि, इससे पर्यावरण को कितना फायदा हुआ होगा, यह मेरे फायदे से ज्यादा महत्वपूर्ण है. सार्वजनिक स्थानों के लिए जो भी पौधे लेने के लिए आता है, होशियार सिंह उसको शुरुआत में 11 से 21 पौधे निशुल्क देते हैं. यदि वह व्यक्ती अगले साल तक देखभाल कर के आधे भी पौधे सुरक्षित रख लेता है तो फिर वह कहते हैं कि, अब आप कितने भी पौधे लेकर जा सकते हैं. जितना कि आप उनका अच्छे से देखभाल कर सके.