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स्पेशल रिपोर्ट: बादलों ने मोड़ा मुंह, झालावाड़ के बांध पड़े खाली, बढ़ी किसानों की चिंता

मानसून बीतने को है लेकिन झालावाड़ के बांध अब भी खाली है. जिले में पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार अब तक 137 एमएम बारिश कम हुई है. ऐसे में बांधों में पानी की आवक कम हुई है. इस कारण कुओं में भी पानी नहीं आया है. वहीं बांध खाली रहने से खेती कार्य भी प्रभावित हो रहा है.

Jhalawar's dam still empty for monsoon
मानसून बीतने को फिर भी झालावाड़ के बांध खाली
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Published : Aug 14, 2020, 3:30 PM IST

झालावाड़. राजस्थान के चेरापूंजी कहे जाने वाले झालावाड़ जिले में इस बार औसत से करीब 60 फीसदी कम बारिश हुई है. इसके चलते जिले के बांधों का दामन अभी तक भी खाली है. सावन का पूरा महीना बीत चुका है लेकिन लोगों का बारिश का इंतजार अभी तक खत्म नहीं हुआ है. जबकि इस बार राजस्थान में मानसून का प्रवेश झालावाड़ जिले से ही हुआ है लेकिन डेढ़ महीने बीतने के बावजूद बारिश काफी कम हुई है. इसके चलते जिले के सभी बड़े बांध आधे से ज्यादा खाली पड़े हैं.

मानसून बीतने को फिर भी झालावाड़ के बांध खाली

झालावाड़ जिले में औसत बारिश 900 mm मानी जाती है लेकिन अभी तक सिर्फ 377 एमएम बारिश ही हो पाई है. इस कारण जिले के सभी 7 बड़े बांधों में 45% ही पानी आ सका है. ज्यादातर बांध अभी 3 से 4 मीटर खाली पड़े हैं. जबकि पिछली बार अब तक जिले में 514 एमएम बारिश हो चुकी थी एवं ज्यादातर बांध भर चुके थे. जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता अजित कुमार जैन ने बताया कि जिले में 7 बड़े बांध है जिनमें कालीसिंध, भीमसागर, छापी, चंवली, पिपलाद, गागरिन, राजगढ़ है. इन सभी बांधों में पानी की मात्रा इस बार काफी कम ही है.

Problem increased due to less rain
कम बारिश से बढ़ी समस्या

मानसून में बांधों की स्थिति

बांध का नाम भराव क्षमताअब तक भरा
कालीसिंध बांध 10 मीटर 59%
खानपुर के भीमसागर बांध12.20 मीटर 35%
अकलेरा के छापी बांध 12.90 मीटर51.10%
पिडावा के चंवली बांध 9.37 मीटर 28.55%
पचपहाड़ के पिपलाद बांध 5 मीटर 31.07%
पिडावा का गागरिन बांध 7 मीटर 88%
पचपहाड़ का राजगढ़ बांध5.20 मीटर 17.39%

यह भी पढ़ें: SPECIAL: कमजोर मानसून की बेरुखी झेल रहा हाड़ौती संभाग, 4 लाख बीघा से अधिक भूमि पर नहीं हुई बुवाई

जिले में अभी तक 377 एमएम बारिश हुई है जिससे सातों बांधों में कुल 45.05 प्रतिशत ही पानी आ सका है. जबकि पिछले वर्ष अब तक इन बांधों में 514 एमएम बारिश हो चुकी थी और सभी बांध आधे से अधिक भर चुके थे. बांधों के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने बताया कि पिछले वर्ष अगस्त की शुरुआत में इतनी बारिश हो गई थी कि पानी उनके घरों में घुस आया था. कुछ लोगों को ताे घर छोड़कर दूसरी जगह डेरा डालना पड़ा था. लेकिन इस बार बारिश कम होने के कारण जलस्तर बहुत गिर गया है.

ग्रामीणों का कहना है कि बांधों के न भरने से आसपास के कुओं में भी पानी नहीं आया है. ऐसे में कुओं में पानी नहीं आने से किसानों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि फसलों को पानी देने में समस्या हो रही है. अगर जल्द बारिश नहीं होती है और कुएं व बांध नहीं भरते हैं तो उनकी फसलों की सिंचाई करना मुश्किल हो जाएगा. इससे उन्हें काफी नुकसान होगा.

झालावाड़. राजस्थान के चेरापूंजी कहे जाने वाले झालावाड़ जिले में इस बार औसत से करीब 60 फीसदी कम बारिश हुई है. इसके चलते जिले के बांधों का दामन अभी तक भी खाली है. सावन का पूरा महीना बीत चुका है लेकिन लोगों का बारिश का इंतजार अभी तक खत्म नहीं हुआ है. जबकि इस बार राजस्थान में मानसून का प्रवेश झालावाड़ जिले से ही हुआ है लेकिन डेढ़ महीने बीतने के बावजूद बारिश काफी कम हुई है. इसके चलते जिले के सभी बड़े बांध आधे से ज्यादा खाली पड़े हैं.

मानसून बीतने को फिर भी झालावाड़ के बांध खाली

झालावाड़ जिले में औसत बारिश 900 mm मानी जाती है लेकिन अभी तक सिर्फ 377 एमएम बारिश ही हो पाई है. इस कारण जिले के सभी 7 बड़े बांधों में 45% ही पानी आ सका है. ज्यादातर बांध अभी 3 से 4 मीटर खाली पड़े हैं. जबकि पिछली बार अब तक जिले में 514 एमएम बारिश हो चुकी थी एवं ज्यादातर बांध भर चुके थे. जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता अजित कुमार जैन ने बताया कि जिले में 7 बड़े बांध है जिनमें कालीसिंध, भीमसागर, छापी, चंवली, पिपलाद, गागरिन, राजगढ़ है. इन सभी बांधों में पानी की मात्रा इस बार काफी कम ही है.

Problem increased due to less rain
कम बारिश से बढ़ी समस्या

मानसून में बांधों की स्थिति

बांध का नाम भराव क्षमताअब तक भरा
कालीसिंध बांध 10 मीटर 59%
खानपुर के भीमसागर बांध12.20 मीटर 35%
अकलेरा के छापी बांध 12.90 मीटर51.10%
पिडावा के चंवली बांध 9.37 मीटर 28.55%
पचपहाड़ के पिपलाद बांध 5 मीटर 31.07%
पिडावा का गागरिन बांध 7 मीटर 88%
पचपहाड़ का राजगढ़ बांध5.20 मीटर 17.39%

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जिले में अभी तक 377 एमएम बारिश हुई है जिससे सातों बांधों में कुल 45.05 प्रतिशत ही पानी आ सका है. जबकि पिछले वर्ष अब तक इन बांधों में 514 एमएम बारिश हो चुकी थी और सभी बांध आधे से अधिक भर चुके थे. बांधों के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने बताया कि पिछले वर्ष अगस्त की शुरुआत में इतनी बारिश हो गई थी कि पानी उनके घरों में घुस आया था. कुछ लोगों को ताे घर छोड़कर दूसरी जगह डेरा डालना पड़ा था. लेकिन इस बार बारिश कम होने के कारण जलस्तर बहुत गिर गया है.

ग्रामीणों का कहना है कि बांधों के न भरने से आसपास के कुओं में भी पानी नहीं आया है. ऐसे में कुओं में पानी नहीं आने से किसानों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि फसलों को पानी देने में समस्या हो रही है. अगर जल्द बारिश नहीं होती है और कुएं व बांध नहीं भरते हैं तो उनकी फसलों की सिंचाई करना मुश्किल हो जाएगा. इससे उन्हें काफी नुकसान होगा.

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