ETV Bharat / state

झुंझुनू सीट पर पहले भी तीन बार कट चुका है सिटिंग MP का टिकट, केवल एक ही बार मिला है फायदा

वास्तव में देखा जाए तो झुंझुनू लोकसभा में 64% से अधिक मत हासिल कर जीतने वाले सीटिंग सांसद का भी टिकट कट चुका है.

डिजाइन फोटो
author img

By

Published : Mar 24, 2019, 1:50 PM IST

झुंझुनू. झुंझुनू लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद संतोष अहलावत का टिकट कटने के बाद भाजपा में वहां भारी असंतोष का माहौल चल रहा है. सांसद का कहना है कि उन्होंने कद्दावर नेता शीशराम ओला की पुत्रवधू राजबाला ओला को करीब ढ़ाई लाख मतों से शिकस्त दी थी. इसके बावजूद उनका टिकट क्यों काट दिया गया. लेकिन इस लोकसभा पर सिटिंग सांसद का टिकट कटने का रवायत पुरानी है.

CLICK कर देखें VIDEO

वास्तव में देखा जाए तो झुंझुनू लोकसभा में 64% से अधिक मत हासिल कर जीतने वाले सीटिंग सांसद का भी टिकट कट चुका है. जबकि संतोष अहलावत को मात्र 48.79% मत ही हासिल हुए थे. दरअसल 1977 में भारतीय लोक दल के टिकट पर कन्हैया लाल ने कुल मतों के प्रतिशत के हिसाब से अब तक सबसे ज्यादा 64.44 फ़ीसदी मत लिए थे. इस चुनाव में कन्हैया लाल को जनता पार्टी का भी समर्थन प्राप्त था लेकिन अगले चुनाव 1980 में जनता पार्टी ने कन्हैया लाल का टिकट काट दिया.

इस चुनाव में कन्हैया लाल की जगह भीम सिंह को भारतीय लोकदल ने अपना प्रत्याशी बनाया. हालांकि टिकट काटने का फैसला सही रहा और भीम सिंह ने कांग्रेस (यू) की सुमित्रा सिंह और कांग्रेसी (आई) के कद्दावर नेता शीश राम ओला को करारी शिकस्त दी थी. लेकिन ऐसा नहीं है कि सिटिंग सांसद का टिकट काटकर किसी और देने से जीत का फायदा बार-बार मिला हो. ऐसा केवल एक बार ही संभव हो सका है.

बाद में फिर कटा टिकट
बाद में 1984 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ तो जीते हुए सांसद भीम सिंह को ना तो जनता पार्टी ने टिकट दिया और ना ही भाजपा ने. इस बार पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ा. नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस के कैप्टन अयूब खान विजेता रहे. चुनाव में लोक दल की सुमित्रा सिंह दूसरे, भाजपा के कुंदन सिंह तीसरे तथा जनता पार्टी के वीरेंद्र प्रताप सिंह चौथे स्थान पर रहे.

इसी प्रकार वर्ष 1989 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर जगदीप धनकड़ ने चुनाव जीता. लेकिन 1991 में लोकदल ने भी जीते हुए सांसद जगदीश धनकड़ का टिकट काटकर डॉक्टर चंद्रभान को दे दिया गया. यहां भी टिकट काटने वाली पार्टी लोकदल को नुकसान उठाना पड़ा और डॉक्टर चंद्रभान मात्र 54963 मत ही हासिल कर पाए. उन्हें चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा.

अब चौथी बार काटा गया है टिकट
यह चौथी बार होने जा रहा है जब झुंझुनू लोकसभा सीट पर सिटिंग सांसद का टिकट काटा गया है. भारतीय जनता पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी के रूप में झुंझुनू में पहली बार कमल खिलाने वाली संतोष अहलावत को इस बार टिकट नहीं दिया गया है. उनकी जगह मंडावा विधायक नरेन्द्र खीचड़ को प्रत्याशी बनाया गया है. मौजूदा सांसद का टिकट कटने वालों में संतोष अहलावत का चौथा नंबर हो गया है. अब देखने वाली बात ये होगी कि भाजपा यहां फायदे में रहती है या फिर नुकसान झेलना पड़ेगा.

झुंझुनू. झुंझुनू लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद संतोष अहलावत का टिकट कटने के बाद भाजपा में वहां भारी असंतोष का माहौल चल रहा है. सांसद का कहना है कि उन्होंने कद्दावर नेता शीशराम ओला की पुत्रवधू राजबाला ओला को करीब ढ़ाई लाख मतों से शिकस्त दी थी. इसके बावजूद उनका टिकट क्यों काट दिया गया. लेकिन इस लोकसभा पर सिटिंग सांसद का टिकट कटने का रवायत पुरानी है.

CLICK कर देखें VIDEO

वास्तव में देखा जाए तो झुंझुनू लोकसभा में 64% से अधिक मत हासिल कर जीतने वाले सीटिंग सांसद का भी टिकट कट चुका है. जबकि संतोष अहलावत को मात्र 48.79% मत ही हासिल हुए थे. दरअसल 1977 में भारतीय लोक दल के टिकट पर कन्हैया लाल ने कुल मतों के प्रतिशत के हिसाब से अब तक सबसे ज्यादा 64.44 फ़ीसदी मत लिए थे. इस चुनाव में कन्हैया लाल को जनता पार्टी का भी समर्थन प्राप्त था लेकिन अगले चुनाव 1980 में जनता पार्टी ने कन्हैया लाल का टिकट काट दिया.

इस चुनाव में कन्हैया लाल की जगह भीम सिंह को भारतीय लोकदल ने अपना प्रत्याशी बनाया. हालांकि टिकट काटने का फैसला सही रहा और भीम सिंह ने कांग्रेस (यू) की सुमित्रा सिंह और कांग्रेसी (आई) के कद्दावर नेता शीश राम ओला को करारी शिकस्त दी थी. लेकिन ऐसा नहीं है कि सिटिंग सांसद का टिकट काटकर किसी और देने से जीत का फायदा बार-बार मिला हो. ऐसा केवल एक बार ही संभव हो सका है.

बाद में फिर कटा टिकट
बाद में 1984 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ तो जीते हुए सांसद भीम सिंह को ना तो जनता पार्टी ने टिकट दिया और ना ही भाजपा ने. इस बार पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ा. नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस के कैप्टन अयूब खान विजेता रहे. चुनाव में लोक दल की सुमित्रा सिंह दूसरे, भाजपा के कुंदन सिंह तीसरे तथा जनता पार्टी के वीरेंद्र प्रताप सिंह चौथे स्थान पर रहे.

इसी प्रकार वर्ष 1989 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर जगदीप धनकड़ ने चुनाव जीता. लेकिन 1991 में लोकदल ने भी जीते हुए सांसद जगदीश धनकड़ का टिकट काटकर डॉक्टर चंद्रभान को दे दिया गया. यहां भी टिकट काटने वाली पार्टी लोकदल को नुकसान उठाना पड़ा और डॉक्टर चंद्रभान मात्र 54963 मत ही हासिल कर पाए. उन्हें चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा.

अब चौथी बार काटा गया है टिकट
यह चौथी बार होने जा रहा है जब झुंझुनू लोकसभा सीट पर सिटिंग सांसद का टिकट काटा गया है. भारतीय जनता पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी के रूप में झुंझुनू में पहली बार कमल खिलाने वाली संतोष अहलावत को इस बार टिकट नहीं दिया गया है. उनकी जगह मंडावा विधायक नरेन्द्र खीचड़ को प्रत्याशी बनाया गया है. मौजूदा सांसद का टिकट कटने वालों में संतोष अहलावत का चौथा नंबर हो गया है. अब देखने वाली बात ये होगी कि भाजपा यहां फायदे में रहती है या फिर नुकसान झेलना पड़ेगा.

Intro:झुंझुनू। झुंझुनू लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद संतोष अहलावत का टिकट कटने के बाद 3 दिन से असंतोष का माहौल चल रहा है। सांसद का कहना है कि उन्होंने कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला की पुत्रवधू राजबाला ओला को 233000 से भी ज्यादा मतों से शिकस्त दी थी इसके बावजूद उनका टिकट क्यों काट दिया गया। लेकिन वास्तव में देखा जाए तो झुंझुनू लोकसभा में 64% से अधिक मत हासिल कर जीतने वाले सीटिंग सांसद का भी टिकट काटा गया है जबकि संतोष अहलावत को तो मात्र (48.79% ) मत ही मिले थे। दरअसल वर्ष 1977 में भारतीय लोक दल के टिकट पर कन्हैया लाल ने कुल मतों के प्रतिशत के हिसाब से अब तक सबसे ज्यादा 64.44 फ़ीसदी मत लिए थे। इस चुनाव में कन्हैया लाल को जनता पार्टी का भी समर्थन प्राप्त था अगले चुनाव 1980 में जनता पार्टी ने कन्हैया लाल का टिकट काट दिया और भीम सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया। हालांकि टिकट काटना सही रहा और भीम सिंह ने कांग्रेस यू की सुमित्रा सिंह और कांग्रेसी आई के शीश राम ओला को शिकस्त दे दी थी।


Body:बाद में फिर कटा टिकट
बाद में 1984 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का गठन हो गया था और जीते हुए सांसद भीम सिंह को ना तो जनता पार्टी ने टिकट दिया और ना ही भाजपा ने। इसका पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा और कांग्रेस के कैप्टन अयूब खान विजेता रहे। चुनाव में लोक दल की सुमित्रा सिंह दूसरे, भाजपा के कुंदन सिंह तीसरे तथा जनता पार्टी के वीरेंद्र प्रताप सिंह चौथे स्थान पर रहे। इसी प्रकार वर्ष 1989 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर जगदीप धनकड ने चुनाव जीता लेकिन 1991 में लोकदल ने भी जीते हुए सांसद जगदीश धनकड का टिकट काटकर डॉक्टर चंद्रभान को दे दिया गया। यहां भी टिकट काटने वाली पार्टी लोक दल को नुकसान उठाना पड़ा और डॉक्टर चंद्रभान मात्र 54963 मतों पर सिमट गये और उन्हें चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा।


Conclusion:अब चौथी बार काटा गया है टिकट
वहीं भारतीय जनता पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी के रूप में झुंझुनू में पहली बार कमल खिलाने वाली संतोष अहलावत का इस बार टिकट काटा गया है। ऐसे में मौजूदा सांसद का टिकट कटने वालों में संतोष अहलावत का चौथा नंबर हो गया है। देखने वाली बात होगी कि भाजपा की रणनीति कितना कामयाब हो पाती है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.