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Corona Effect: लोहार्गल में इस बार नहीं सुनाई नहीं देगी 'बोल बम-ताड़क बम' की गूंज

शेखावाटी का हरिद्वार कहा जाना वाला तीर्थराज लोहार्गल धाम का नजारा इस बार कुछ और ही था. दरअसल, सावन के पहले सोमवार को धाम बिल्कुल सूना पड़ा हुआ था. हर बार की तरह लाखों कावड़ियों और श्रद्धालुओं से गुलजार रहने वाली लोहार्गल की वादियां इस बार सन्नाटे में तब्दील नजर आई. देखें इस स्पेशल रिपोर्ट में...

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लोहार्गल धाम में पसरा सन्नाटा
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Published : Jul 11, 2020, 9:31 PM IST

नवलगढ़ (झुंझुनू). अरावली पर्वतमाला की हरियाली वादियों में बसे तीर्थराज लोहार्गल‌ धाम पर सावन के महीने में लाखों कावड़ियां आते हैं. यहां आने के साथ ही गौमुख से जल ले जाकर अपने-अपने गंतव्य पर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. सावन के महीने में लोहार्गल की वादियां बोल बम ताड़क के जयकारों से गूंजती रहती है. लेकिन इस बार लोहार्गल की वादियों में बोल बम तड़ाक बम की गुंज सुनाई नहीं देगी. बाजारों में कावड़ तो सजी हैं, लेकिन प्रवेश नहीं मिलने की वजह से खरीददार नहीं हैं. यहां तक कि ज्ञान बावड़ी स्थित प्राचीन शिव मंदिर के पट भी बंद हैं. जिस सूर्य कुण्ड में रोजाना हजारों की भीड़ रहती थी, वो आज पूरी तरह सूना पड़ा है.

लोहार्गल धाम में पसरा सन्नाटा

बता दें कि लोहार्गल धाम के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि लोहार्गल की वादियों में सावन महीने में भगवान शिव के जयकारों की गूंज सुनाई नहीं देगी. सावन के महीने में लोहार्गल के गौमुख से निकलने वाली पवित्र धारा से कावड़ियां जल लेकर जाते हैं और उस जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. रंग-बिरंगे कपड़ों में जयकारों के घोष के साथ कावड़ियों की टोलियां हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती थीं. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने यहां का नजारा ही बदलकर रख दिया.

पढ़ें- कोरोना योद्धाओं को मिला उपहार, चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और डॉक्टर्स को नहीं देना होगा टोल टैक्स

स्थानीय लोगों पर रोजी रोटी का संकट

लोहार्गल धाम के स्थानीय लोगों का रोजगार भी धाम में आने-वाले श्रद्धालुओं पर ही निर्भर है. यहां के अधिकतर लोगों ने खाकी चौक से लेकर कुण्ड तक कई आचार सहित कई अन्य वस्तुओं की दुकानें खोल रखी है, जिनसे धाम में आने-वाले लोग खरीददारी किया करते हैं. लेकिन इस बार तो लॉकडाउन के चलते व्यापार पर ताला लगा हुआ है. जिससे यहां के लोगों पर रोजी-रोटी का संकट आन पड़ा है. पिछले 3 महीने से धाम बंद होने के कारण स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी पूरी तरह से ताला लग गया है.

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नहीं गूंजेगा इस बार बोल बम का नारा

मंदिर में भी नहीं हो रही कोई आमदनी

श्रद्धालुओं के नहीं आने से मंदिरों में भी कोई आमदनी नहीं हो रही है. जिससे मंदिर से जुड़े लोगों के सामने भी काफी समस्याएं आ रही है. स्थानीय लोगों के लिए सावन और भाद्रपद का महीना रोजी-रोटी कमाने का मुख्य जरिया होता है. इन दो महीनों में करीब 20 लाख लोग लोहार्गल पहुंचते हैं, जिनसे स्थानीय लोगों का और उनके परिवार का भरण-पोषण होता है. लेकिन इस बार सीजन के पहले महीने यानी सावन में 31 जुलाई तक सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है. अब तो भाद्रपद माह में लोहार्गल धाम खुलेगा या नहीं, ये भी अभी तय नहीं है.

पढ़ें- भगोड़े अपराधियों को नहीं जाएगा बख्शा, संपत्ति की जाएगी कुर्क

उल्लघंन करने पर होगी कार्रवाई

इस संबंध में एसडीएम मुरारीलाल शर्मा का कहना है कि सरकारी गाइडलाइन के अनुसार जहां पचास से ज्यादा लोग आते-जाते है, उन सभी धार्मिक स्थलों को खोलने पर अभी प्रतिबंध है. जिसमें लोहार्गल धाम भी शामिल है. लोहार्गल में कोई कावड़ लेने के लिए नहीं आए, इसके लिए समझाइश की जाएगी. समझाइश के बावजूद अगर कोई उल्लंघन करता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सरकार की गाइडलाइन की पालना करवाने के लिए ग्राम पंचायत को भी पाबंद किया गया है.

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मुख्य रास्तों पर पुलिस की तैनाती

होमगार्ड समेत 25 पुलिसकर्मियों की लगाई ड्यूटी

वहीं, सरपंच जगमोहन सिंह शेखावत ने बताया कि लोहार्गल में प्रवेश पर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है. किसी भी वाहन को अंदर प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा जो लोग अस्थि विसर्जन के लिए आ रहे हैं, उनमें से भी सिर्फ दो लोगों को प्रवेश की इजाजत है. इन हालातों को देखते हुए कावड़ियों की यात्रा पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. इसके अलावा ज्ञान बावड़ी के पास गणेश मंदिर के सामने 3 पारियों में होमगार्ड समेत 25 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगी हुई है. स्थानीय स्वयंसेवक भी होमगार्ड संजय शर्मा के नेतृत्व में प्रशासन के इस व्यवस्था में सहयोग कर रहे हैं.

नवलगढ़ (झुंझुनू). अरावली पर्वतमाला की हरियाली वादियों में बसे तीर्थराज लोहार्गल‌ धाम पर सावन के महीने में लाखों कावड़ियां आते हैं. यहां आने के साथ ही गौमुख से जल ले जाकर अपने-अपने गंतव्य पर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. सावन के महीने में लोहार्गल की वादियां बोल बम ताड़क के जयकारों से गूंजती रहती है. लेकिन इस बार लोहार्गल की वादियों में बोल बम तड़ाक बम की गुंज सुनाई नहीं देगी. बाजारों में कावड़ तो सजी हैं, लेकिन प्रवेश नहीं मिलने की वजह से खरीददार नहीं हैं. यहां तक कि ज्ञान बावड़ी स्थित प्राचीन शिव मंदिर के पट भी बंद हैं. जिस सूर्य कुण्ड में रोजाना हजारों की भीड़ रहती थी, वो आज पूरी तरह सूना पड़ा है.

लोहार्गल धाम में पसरा सन्नाटा

बता दें कि लोहार्गल धाम के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि लोहार्गल की वादियों में सावन महीने में भगवान शिव के जयकारों की गूंज सुनाई नहीं देगी. सावन के महीने में लोहार्गल के गौमुख से निकलने वाली पवित्र धारा से कावड़ियां जल लेकर जाते हैं और उस जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. रंग-बिरंगे कपड़ों में जयकारों के घोष के साथ कावड़ियों की टोलियां हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती थीं. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने यहां का नजारा ही बदलकर रख दिया.

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स्थानीय लोगों पर रोजी रोटी का संकट

लोहार्गल धाम के स्थानीय लोगों का रोजगार भी धाम में आने-वाले श्रद्धालुओं पर ही निर्भर है. यहां के अधिकतर लोगों ने खाकी चौक से लेकर कुण्ड तक कई आचार सहित कई अन्य वस्तुओं की दुकानें खोल रखी है, जिनसे धाम में आने-वाले लोग खरीददारी किया करते हैं. लेकिन इस बार तो लॉकडाउन के चलते व्यापार पर ताला लगा हुआ है. जिससे यहां के लोगों पर रोजी-रोटी का संकट आन पड़ा है. पिछले 3 महीने से धाम बंद होने के कारण स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी पूरी तरह से ताला लग गया है.

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नहीं गूंजेगा इस बार बोल बम का नारा

मंदिर में भी नहीं हो रही कोई आमदनी

श्रद्धालुओं के नहीं आने से मंदिरों में भी कोई आमदनी नहीं हो रही है. जिससे मंदिर से जुड़े लोगों के सामने भी काफी समस्याएं आ रही है. स्थानीय लोगों के लिए सावन और भाद्रपद का महीना रोजी-रोटी कमाने का मुख्य जरिया होता है. इन दो महीनों में करीब 20 लाख लोग लोहार्गल पहुंचते हैं, जिनसे स्थानीय लोगों का और उनके परिवार का भरण-पोषण होता है. लेकिन इस बार सीजन के पहले महीने यानी सावन में 31 जुलाई तक सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है. अब तो भाद्रपद माह में लोहार्गल धाम खुलेगा या नहीं, ये भी अभी तय नहीं है.

पढ़ें- भगोड़े अपराधियों को नहीं जाएगा बख्शा, संपत्ति की जाएगी कुर्क

उल्लघंन करने पर होगी कार्रवाई

इस संबंध में एसडीएम मुरारीलाल शर्मा का कहना है कि सरकारी गाइडलाइन के अनुसार जहां पचास से ज्यादा लोग आते-जाते है, उन सभी धार्मिक स्थलों को खोलने पर अभी प्रतिबंध है. जिसमें लोहार्गल धाम भी शामिल है. लोहार्गल में कोई कावड़ लेने के लिए नहीं आए, इसके लिए समझाइश की जाएगी. समझाइश के बावजूद अगर कोई उल्लंघन करता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सरकार की गाइडलाइन की पालना करवाने के लिए ग्राम पंचायत को भी पाबंद किया गया है.

Jhunjhnu news, झुंझुनू समाचार
मुख्य रास्तों पर पुलिस की तैनाती

होमगार्ड समेत 25 पुलिसकर्मियों की लगाई ड्यूटी

वहीं, सरपंच जगमोहन सिंह शेखावत ने बताया कि लोहार्गल में प्रवेश पर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है. किसी भी वाहन को अंदर प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा जो लोग अस्थि विसर्जन के लिए आ रहे हैं, उनमें से भी सिर्फ दो लोगों को प्रवेश की इजाजत है. इन हालातों को देखते हुए कावड़ियों की यात्रा पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. इसके अलावा ज्ञान बावड़ी के पास गणेश मंदिर के सामने 3 पारियों में होमगार्ड समेत 25 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगी हुई है. स्थानीय स्वयंसेवक भी होमगार्ड संजय शर्मा के नेतृत्व में प्रशासन के इस व्यवस्था में सहयोग कर रहे हैं.

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